ग़ज़ल
रातभर दर्द के जंगल में घुमाती है मुझे
याद उस शख्स की हर
रोज़ रुलाती है मुझे
ख़्वाब जब सच के समन्दर में बिखर जाते हैं
उम्र तपते
हुए सहरा में सजाती है मुझे
ज़िन्दगी एक जज़ीरा है तमन्नाओं का
धूप उल्फत
की यही बात बताती है मुझे
हर तरफ़ मेरे मसाइल के शरार बरपा हैं
जुस्तजू
अब्र की हर लम्हा बुलाती है मुझे
मैं संवरने की तमन्ना में बिखरती ही
गई
आंधियां बनके हवा ऐसे सताती है मुझे
जब से क़िस्मत का मेरी रूठ गया है
सूरज
तीरगी वक़्त की हर रोज़ डराती है मुझे
आलमे-हिज्र में 'फ़िरदौस' खो
गई होती
चांदनी रोज़ रफ़ाक़त की बचाती है मुझे
-फ़िरदौस ख़ान
फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड
-
* स्टार न्यूज़ एजेंसी *जल संरक्षण के लिए समर्पित विश्व विख्यात संस्था
‘ड्रॉप डेड फ़ाउंडेशन’ ने फ़िरदौस ख़ान को उनके पानी बचाने के लिए किये जा रहे
उत्कृष्ट ...