फ़िरदौस ख़ान
नोटबंदी के फ़ैसले के बाद अब सरकार ने बेनामी संपत्तियों और सोने पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का मन बनाया है, जो यह अनायास नहीं है. सरकार को पता है कि देश में काला धन नग़दी के रूप में कम, संपत्तियों और आभूषणों के रूप में ज़्यादा है. इसीलिए सरकार ने पिछले दिनों इन पर भी सख़्ती करने का फ़ैसला किया है. बेनामी संपत्तियों के ख़िलाफ़ तो कार्रवाई शुरू भी हो चुकी है. अब बारी सोना रखने वालों की है. ऐसी ख़बर है कि सरकार घरों में सोना रखने की सीमा तय कर सकती है. इस फ़ैसले से जुड़ी ख़बरें पहली बार शुक्रवार को सुनने को मिली थीं, हांकि रात तक वित्त मंत्रालय के आला अफ़सरों के हवाले से इस ख़बर को ग़लत भी साबित कर दिया गया था, मगर अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. इसलिए यह सिरे से ख़ारिज नहीं किया जा सकता कि सरकार सोने के ख़िल्दाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं करेगी. ऐसे में मानना चाहिए कि सरकार इस बाबत कभी भी ऐलान कर सकती है. एक तरह से देखा जाए, तो देश में नोटबंदी के फ़ैसले ए बाद रातों रात जिस तरह से सोने की बिक्री हुई है, वह यह साबित करती है कि देश में सोने के रूप में कालेधन का बड़ा भंडार है, जिसे बाहर लाना ज़रूरी है. नोटबंदी के जितना भी काला धन बाहर आया है, उससे भी ज़्यादा लोगों के घरों में है. अगर इसे करंसी में देखें, तो मुश्किल से दो-तीन फ़ीसद करंसी काले धन में शुमार होती है. हक़ीक़त में काला धन जायदाद के तौर पर रहता है. काला धन बेशक़ीमती हीरे-जवाहारात, सोना-चांदी, ज़मीन जायदाद, गगन चुंबी इमारतों, आलीशान कोठियों और बड़े-बड़े कारख़ानों में बदल जाता है, इनमें खप जाता है. सियासत में भी काले धन का ख़ूब इस्तेमाल होता है. यहां ये काला धन चंदे का रूप धर कर सामने आता है.

क़ाबिले-ग़ौर है कि पिछले आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद लोगों ने अपने कालेधन को करेंसी से सोने में बदलने का काम शुरू कर दिया था. ख़बरें आ रही थीं कि लोगों ने कालेधन को खपाने के लिए 70 हज़ार रुपये तोला तक सोना ख़रीदा है. सोने और चांदी की बढ़ती मांग की वजह से इन धातुओं की क़ीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई. बड़े पैमाने पर सोने की ख़रीद की ख़बरों के बाद इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ लिया था कि सरकार व्यक्तिगत स्तर पर सोना रखने की सीमा तय करने वाली है. ख़बर है कि फ़िलवक़्त घर में सोना रखने की सीमा तय करने के बारे में सरकार का कोई इरादा नहीं है. अगर सरकार वाक़ई कालेधन को लेकर संजीदा है,  तो उसे सोने की जमाख़ोरी पर पाबंदी लगानी चाहिए. लोग एक सीमा के बाद अपने कालेधन को सोने-चांदी के तौर पर ही जमा करते हैं. महंगाई के इस दौर में महिलाएं भी सोने-चांदी के ज़ेवरात की जगह नक़ली ज़ेवरात को ही पसंद करती हैं. लूटपाट की घटनाओं की वजह से भी सोने के ज़ेवरात पहनने का चलन कम हुआ है. शादी-ब्याह, तीज-त्यौहार जैसे ख़ास मौक़ों पर ही महिलाएं सोने के ज़ेवरात पहनाती हैं. अमूमन कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए ही सोना ख़रीदा जाता है. छापा पड़ने पर करोड़ों का सोना पकड़े जाने की ख़बरें आए-दिन सामने आती रहती हैं.

नोटबंदी से पहले सरकार ने बेनाम जायदाद को लेकर सख़्त रवैया अपनाया था. पिछले दिनों गोवा में प्रधानमंत्री ने कहा था कि अब सरकार ऐसी संपत्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने जा रही है, जो किसी और व्यक्ति के नाम पर ख़रीदी गई है, क्योंकि बेनामी देश की संपत्ति है. बेनामी संपत्ति उस जायदाद को कहते हैं, जिसका ख़रीददार संपत्ति के लिए के लिए भुगतान तो ख़ुद करता है, लेकिन संपत्ति किसी और के नाम पर ख़रीदता है. ऐसी जायदाद बेनामी कहलाती है.  ये बेनामी जायदाद चल, अचल या वित्तीय दस्तावेज़ों के तौर पर हो सकती है. अमूमन लोग कालेधन को बेनामी जायदाद में लगाते हैं. क़ाबिले-ग़ौर है कि बीते अगस्त माह में संसद में बेनामी सौदा निषेध क़ानून को पारित किया गया था. यह इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) क़ानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेन-देन क़ानून 1988 कर दिया गया है. यह क़ानून बीते एक नवंबर से लागू हो गया है. इस क़ानून की वजह से सरकार बेनामी जायदाद को ज़ब्त कर सकती है. इसके तहत बेनामी लेन-देन करने वाले को कम से कम एक साल क़ैद की सज़ा हो सकती है. इस मामले में दोषी व्यक्ति को ज़्यादा से ज़्यादा सात साल की क़ैद और जायदाद की बाज़ार क़ीमत का 25 फ़ीसद तक जुर्माना देने का प्रावधान है. बेनामी जायदाद के मामले में जानबूझकर ग़लत जानकारी देने पर कम से कम छह महीने की क़ैद की सज़ा भी हो सकती है. इस मामले में ज़्यादा से ज़्यादा पांच साल की क़ैद और जायदाद की बाज़ार क़ीमत का 10 फ़ीसद तक का जुर्माना भी हो सकता है.

देखा जाए, तो भारत सोना ख़रीदने वाले देशों में दसवें स्थान पर है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूसीजी) की तरफ़ से जारी एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा सोने के भंडार वाले देशों में अमेरिका दुनिया में पहले स्थान पर है. अमेरिका के पास आठ हज़ार 133.5 टन सोना है, जबकि भारत के पास 1.6 टन सोना है. इस फ़ेहरिस्त में जर्मनी दूसरे, इटली तीसरे, फ़्रांस चौथे, रूस पांचवें, चीन छठे, स्विट्ज़रलैंड सातवें, जापान आठवें और नीदरलैंड नौवें स्थान पर है. इस लिहाज़ से देखा जाए, तो भारत में सोने का भंडार इस बात को साबित करता है कि यहां कालेधन के रूप में सोना बड़ी मात्रा में हो सकता है. लिहाज़ा अगर सरकार इस दिशा में क़दम उठाती है, तो वह एक साहसिक क़दम होगा, जिसका जनता निश्चित तौर पर स्वागत करेगी.

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