भारत सरकार के उर्वरक विभाग ने पिछले एक वर्ष के दौरान अनेक पहल शुरू की हैं। इन पहलों का उद्देश्‍य देश में उर्वरकों के उत्‍पादन को बढ़ावा देने और उन्‍हें समय पर किसानों को उपलब्‍ध कराने के लिए काम करना है।

नई यूरिया नीति-2015 – सीसीईए के निर्णय के आधार पर उर्वरक विभाग ने 25 मई, 2015 को नई यूरिया नीति-2015 (एनयूपी-2015) अधिसूचित की है, जिसका उद्देश्‍य देश में यूरिया का उत्पादन अधिकतम करने, यूरिया के उत्पादन में ऊर्जा की दक्षता को बढ़ावा देना और सरकार पर सब्सिडी का भार न्यायसंगत करना है। यह उम्‍मीद है कि तीन वर्ष की अवधि के दौरान घरेलू यूरिया क्षेत्र ऊर्जा दक्षता के मामले में वैश्विक रूप से प्रतिस्‍पर्धात्‍मक हो जाएगा। वास्‍तविक ऊर्जा खपत और वर्तमान मानदंडों के आधार पर यूनिटों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है और अगले तीन वित्‍तीय वर्षों के लिए संशोधित ऊर्जा खपत मानदंड निर्धारित किये गये हैं। इसके अलावा वर्ष 2018-19 के लिए ऊर्जा मानदंडों का भी लक्ष्‍य रखा गया है। इससे यूरिया इकाइयों को बेहतर प्रौद्योगिकी का चयन करने और ऊर्जा की खपत घटाने के विभिन्‍न प्रयास करने में मदद मिलेगी। उपरोक्‍त प्रयासों के कारण उच्‍च ऊर्जा दक्षता से सब्सिडी बिल कम करने में मदद मिलेगी। यह उम्‍मीद है कि सरकार का सब्सिडी भार दो तरीकों से कम हो जाएगा-निर्दिष्‍ट ऊर्जा खपत मानदंडों में कटौती और अधिक घरेलू उत्‍पादन के कारण आयात में कमी आना। उम्‍मीद है कि नई यूरिया नीति से अगले तीन वर्षों के दौरान 1.7 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्‍त वार्षिक उत्‍पादन प्राप्‍त होगा।

यूरिया पर नीम की कोटिंग- उर्वरक विभाग की 25 मई 2015 की अधिसूचना के द्वारा यूरिया के सभी देसी उत्‍पादकों के लिए यह आवश्‍यक बना दिया गया है कि वे अपने रियायती यूरिया का शतप्रतिशत उत्‍पादन नीम कोटिंग यूरिया के रूप में करें, क्‍योंकि एनसीयू को औद्योगिक उद्देश्‍यों के लिए प्रयुक्‍त नहीं किया जा सकता। इसलिए रियायती यूरिया का गैर-कानूनी उपयोग संभव नहीं होगा। सरकार का गैर-कृषि उद्देश्‍यों के लिए यूरिया के गैर-कानूनी दिक्‍परिवर्तन पर रोक लगाने का उद्देश्‍य सब्सिडी में हेराफेरी को रोकना है।

नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012- सरकार ने यूरिया क्षेत्र में नये निवेश को प्रोत्‍साहित करने तथा यूरिया क्षेत्र में भारत को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए 02 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति-2012 अधिसूचित की थी। इसके बाद एनआईपी-2012 में विभाग ने 07 अक्‍टूबर, 2014 को संशोधन अधिसूचित किया, जिसमें यह प्रावधान शामिल किया गया कि ‘केवल वे इकाइयां जिनका उत्‍पादन इस संशोधन के अधिसूचित होने के दिनांक से 5 वर्षों के भीतर शुरू हो जाता है, वे इस नीति के अंतर्गत आएंगी। सब्सिडी उत्‍पादन शुरू होने की तिथि से 8 वर्षों की अवधि के लिए वर्तमान रूप में केवल घरेलू बिक्री पर ही दी जाएगी। इसके बाद इकाइयां उस समय प्रचलित यूरिया नीति द्वारा नियंत्रित होंगी।’
      कथित नीति के अनुसार एनआईपी-2012 के तहत परियोजना प्रस्‍ताव की गंभीरता और विश्‍वसनीयता सुनिश्चित करने और परियोजनाओं के समय पर निष्‍पादन के लिए सभी परियोजना प्रस्‍ताव से प्रत्‍येक परियोजना के लिए 300 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी (बीजी) जमा करवाना जरूरी होगा। एलएसटीके/ईपीसीए ठेकेदारों को अंतिम रूप देने के बाद 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जारी कर दी जाएगी और अग्रिम राशि ठेकेदार के खाते में जारी कर दी जाएगी। 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी के आदेश दिए गए उपकरणों को पूरा करने और उनकी कार्य स्‍थल या परियोजना चरण के मध्‍यबिंदु पर आपूर्ति करने पर जारी कर दी जाएगी तथा 100 करोड़ रुपये की बकाया बैंक गारंटी परियोजना के पूरी होने पर वापस की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बैंक गांरटी जमा करने से छूट है।

नेफ्था से फीड स्‍टॉक के रूप में यूरिया का उत्‍पादन जारी – अधिसूचना दिनांक 17 जून 2015 के द्वारा सीसीईए के निर्णय के आधार पर उर्वरक विभाग ने तीन नेफ्था आधारित यूरिया इकाइयों – मद्रास फर्टिलाइजर लिमिटेड-मनाली, मैंगलोर फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल्‍स लिमिटेड-मैंगलोर और सदर्न पेट्रोकैमिकल्‍स इंडस्‍ट्रीज कारपोरेशन-तूतीकोरिन को उत्‍पादन जारी रखने की अनुमति दी गई है। इन संयंत्रों में उत्‍पादन पाइप लाइन या अन्‍य किसी माध्‍यम से गैस की आपूर्ति सुनिश्चित होने तक जारी रहेगा।

नामरूप (असम) में 8.6 एलएमटीटीए  यूरिया संयंत्र की स्‍थापना – केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मई, 2015 को आयोजित अपनी बैठक में निजी भागीदारी (परियोजना में 52 इक्विटी के लिए सार्वजनिक/निजी क्षेत्र से बोलियां आमंत्रित करके) के आधार पर बीबीएफसीएल के वर्तमान परिसर के साथ नामरूप में 8.646 एलएमटीपीए की न्‍यूनतम क्षमता का न्‍यू ब्राउन फील्‍ड अमोनिया-यूरिया कॉम्‍पलेक्‍स स्‍थापित करने की मंजूरी दी थी। प्रस्‍तावित संयुक्‍त उपक्रम के लिए 52 इक्विटी भागीदार का चयन करने के लिए ट्रांजेक्‍शन एडवाइजर (टीए) की 13-10-2015 को नियुक्ति हुई है।

तलचर, रामागुंडम, सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी इकाइयों का पुनरूद्धार करना- सीसीईए ने अगस्‍त, 2011 में एफसीआईएल और एचएफसीएल की सभी इकाइयों का मनोनयन और बोली प्रणाली द्वारा पुनरूद्धार करने की मंजूरी दे दी है। सीसीईए/मंत्रिमंडल के नवीनतम निर्णयों के अनुसार एफसीआईएल की तलचर और रामागुंडम इकाइयों का पुनरूद्धार मनोनयन तरीके से और एफसीआईएल की गोरखपुर तथा सिंदरी इकाइयों तथा एचएफसीएल की बरौनी इकाई का बोली के तरीके से पुनरूद्धार किया जाएगा।

क-तलचर यूनिट का पुनरुद्धार
    तलचर यूनिट का पुनरूद्धार मैसर्स राष्‍ट्रीय कैमिकल एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ), मैसर्स कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और मैसर्स गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) के कंसोर्टियम द्वारा निम्‍नानुसार किया जाएगा-

  • तलचर इकाई के पुनरूद्धार के लिए पूर्व परियोजना गतिविधियां कोल फर्टिलाइजस संयंत्र की स्‍थापना के लिए प्रगति पर हैं।
  • कंसोर्टियम भागीदारों के मध्‍य समझौते ज्ञापन पर 05 नवम्‍बर, 2013 को और संयुक्‍त उपक्रम अनुबंध पर 27 अक्‍टूबर, 2015 को हस्‍ताक्षर हुए हैं।
  • संयुक्‍त उपक्रम कंपनी अर्थात राष्‍ट्रीय कोल गैस फर्टिलाइजर्स लिमिटेड की स्‍थापना की गई है। कोल गैसीकरण प्रौद्योगिकी के चयन का मामला प्रगति पर है।
  • 21 नवम्‍बर, 2015 तक एफसीआईएल की परिसंपत्तियों की कीमत लगाने और पीईएफआर की समीक्षा के लिए सीआईएल द्वारा एसबीआईसीएपी की नियुक्ति की गई है। इस परियोजना के मार्च 2019 तक पूरा होने की संभावना है।
  • इस परियोजना की 31 मार्च, 2019 तक पूरे होने की संभावना है।

ख- रामागुंडम इकाई का पुनरूद्धार
     रामागुंडम इकाई का पुनरूद्धार मैसर्स इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) और मैसर्स नेशनल फर्टिलाइजर्स (एनएफएल) के कंसोर्टियम द्वारा किया जाएगा। रामागुंडम इकाई के पुनरूद्धार की स्थिति इस प्रकार है –

  • संयुक्‍त उपक्रम समझौते पर 14 जनवरी, 2015 को हस्‍ताक्षर हुए।
  • संयुक्‍त उपक्रम कंपनी रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल्‍स लिमिटेड (आरएफसीएल) 17 फरवरी, 2015 को स्‍थापना हुई।
  • विस्‍तृत व्‍यवहार्यता रिपोर्ट (डीएफआर) को 22-06-2015 को अंतिम रूप दिया गया।
  • पूर्व परियोजना गतिविधियां स्‍थल पर शुरू हो चुकी हैं।
  • टैक्‍नोलॉजी लाइसेंसर की 24-09-2015 को नियुक्ति हो गई है।
  • यह परियोजना 30-09-2018 तक पूरी होने की संभावना है।

ग- गोरखपुर और सिंदरी इकाइयां
     गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों का पुनरूद्धार बोली आमंत्रण तरीके से किया जाएगा। गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों के पुनरूद्धार की स्थिति इस प्रकार है –

  • मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की अध्‍यक्षता में एक अधिकारी युक्‍त समिति, नीति आयोग का 27 अप्रैल, 2015 को गोरखपुर के लिए और 17-06-2015 को सिंदरी की पुनरूद्धार प्रक्रिया की समीक्षा के लिए गठन किया गया।
  • गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों के लिए योग्‍यता के लिए अनुरोध (आरएफओ) और अभिरूचि की अभिव्‍यक्ति (ईओआई) क्रमश: 26-08-2015 और 17.09.2015 को प्रकाशित की गई।
  • पूर्व-बोली सम्‍मेलन भी क्रमश: 08-09-2015 और 10-10-2015 को आयोजित किये गए।
  • इस परियोजना के लिए आवश्‍यक भूमि की जरूरत का निर्धारण करने के लिए गोरखपुर और सिंदरी के लिए भूमि का सर्वेक्षण किया गया।
  • गोरखपुर और सिंदरी की उपयोग के योग्‍य और अनुपयोग वर्तमान परिसंपत्तियों की कीमत आंकी गई। बेहतर प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए निवेशकों की बैठके भी आयोजित की गईं।

घ-बरौनी इकाई
एचएफसीएल की इकाई का सीसीईए द्वारा 2011 में दिए गए अनुमोदन के अनुसार बोली प्रणाली द्वारा पुनरूद्धार किया जाना है। एचएफसीएल बीआईएफआर के समक्ष है। मंत्रिमंडल ने अपनी 31 मार्च, 2015 को आयोजित बैठक में बरौनी यूनिट को एचएफसीएल से अलग करके बोली प्रणाली द्वारा पुनरूद्धार करने की मंजूरी दी। बरौनी इकाई की पुनरूद्धार स्थिति इस प्रकार है –

  • अधिकार प्राप्‍त समिति का 27 अप्रैल, 2015 को गठन किया गया।
  • इस समिति ने 31-07-2015 को आयोजित अपनी पहली बैठक में एचएफसीएल को बीआईएफआर के अधिकार क्षेत्र से अलग करने के लिए नया प्रस्‍ताव मंत्रिमंडल को भेजने के लिए डीओएफ के प्रस्‍ताव को अपनी मंजूरी दी। इस प्रस्‍ताव में इस यूनिट का बोली प्रणाली के माध्‍यम से एचएफसीएल द्वारा स्‍वयं पुनरूद्धार करने का प्रस्‍ताव भी शामिल है।
  • मंत्रिमंडल नोट को अंतर मंत्रालय परामर्श के लिए 10.09.2015 को परिपत्रित किया गया।
  • उर्वरकों की जरूरत, उपलब्‍धता और बिक्री
  • पिछले वर्षों की तुलना में देश में 2015-16 के दौरान (अप्रैल 2015 से अक्‍टूबर 2015 तक की अवधि के दौरान) यूरिया का सर्वाधिक 141.66 एलएमटी उत्‍पादन हुआ।
  • वर्ष के पिछले महीने की तुलना में अक्‍टूबर, 2015 में यूरिया का सर्वाधिक 21.58 एलएमटी उत्‍पादन हुआ।
  • पिछले तीन वर्षों की तुलना में अप्रैल 2015 से अक्‍टूबर 2015 तक की अवधि के लिए उर्वरकों की ढुलाई के लिए सबसे अधिक 10894 रेलवे रेक्‍स का विकास हुआ। 


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