सूफ़ियाना बसंत पंचमी...
-
*फ़िरदौस ख़ान*
सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह
में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...
ठंडी हवाएं ! फुटपाथों पर भूख, गरीबी, के कम्बल भी काम ना आये !!
पुलिसवालों को दौड़ाया !
पहले भाग निकलने वाला, शायद नंबर वन पर आया !!
जालसाजी !
बिना जाल फैंके ही मछली, फंसने हेतु हो गयी राज़ी !!
अलाव की आस !
मरने से पहले दे देगा, नगर-निगम को है विश्वास !!
अन्याय !
सरकारी सर्विस में भी ग़र, हो ना कहीं अन्य से आय !!
मंसूबे !
जो भी आये बचाने उसको, अपने साथ खींचकर डूबे !!
महापाप !
पापकर्म करके भी कोई, करे नहीं जब पश्चाताप !!
दहशतगर्दी !
दहशत भी तो कांप रही थी, उसकी ऐसी हालत कर दी !!
लापरवाही !
जो अवैध फड लगवाये हैं, उनसे ग़र ना करें उगाही !!
सूचना !
यही सूचना है कि "इसको, आगे से मत पूछना !!"
-अतुल मिश्र