सरफ़राज़ ख़ान
नई दिल्ली. 
लगन के साथ जीवन शैली संबंधी बदलाव करने से उच्च आशंकित हृदय संबंधी  बीमारी के खतरे में कमी आती है।


हार्ट केयर फाउंडेशन   ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल  मुताबिक़ यूरो एक्शन स्टडी की जांच में जो लांसेट में प्रकाशित हुई है में दिखाया गया है कि जीवन शैली संबंधी काउंसिलिंग से खुराक, शारीरिक गतिविधि और धूम्रपान पर असर होता है। इसमें 3,000 से अधिक लोगों को षामिल किया गया जिन्हें कोरोनरी हार्ट डिजीज़ थी और 2,300 ऐसे लोगों को षमिल किया गया जो उच्च आशंकित थे। इनमें से आधे लोगों को नर्स टीम, डायटीषियन, फिजियोथेरेपिस्ट और डॉक्टरों द्वारा सलाह दी गई। व्यक्ति के साथ-साथ परिवार को भी काउंसिलिंग दी गई।

जांच में दो समूह के मरीज रखे गए। एक वे जिन्हें पहले से ही कोरोनरी हार्ट डिजीज़ थी और दूसरे वे जिन्हें इसका बहुत ज्यादा खतरा था, जिसकी वजह से उनमें अगले दस सालों में हृदय बीमारी होने की आशंका काफी थी। जो लोग सलाह ले रहे थे उनमें से 55 प्रतिशत लोगों ने अपने सैचुरेटिड फैट लेने की क्रिया में कमी की बनिस्बत उन 40 प्रतिशत के जो सलाह नहीं ले रहे थे।

72 फीसदी काउंसिल समूह में फल और सब्जियों के सेवन में बढ़ोतरी देखी गई और इनमें से 17 फीसदी ने मछली के तेल का सेवन भी किया जो हृदय के लिए फायदेमंद होता है बनिस्बत 35 फीसदी और 8 फीसदी वाले अन्य समूह के।  ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शारीरिक गतिविधि में समान परिणाम देखे गए, लेकिन यह साबित कर पाना मुश्किल हुआ कि धूम्रपान छोड़ने से लोगों में कितना असर दिखा।

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