सरफ़राज़ ख़ान
नई दिल्ली. मानसून के दौरान ह्यूमिडिटी अपने चरम पर होती है, घरेलू मक्खी और मच्छरों आदि के होने से बीमारी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हर एक को चाहिए कि वे फलों और सब्जियों को इस्तेमाल करने से पहले साफ पानी से अच्छी तरह से धो लें और अगर संभव हो तो उनमें पोटेशियम परमैगनेट मिलाएं। अक्सर पत्तियों वाली सब्जियां और गोभी में कीड़े पाये जाते हैं, जिनसे विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ फडवर्मं एस्कैरिस पैरासाईटस मिट्टी में बहुत ज्यादा पाया जाता है। इसके लिए मिट्टी की विशेष सफाई की जरूरत होती है जो कि मानसून के मौसम में संभव नहीं होती। श्रीलंका में किये गए एक षोध में दिखाया गया है कि अगर सफाई की सही सुविधाओं यानी खाने से पहले हाथ धुलना और उबले हुए पानी को पीने से एस्कैरिकस संक्रमण के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चे को डीवार्मिंग टेबलेट दी जाए, अगर आपके बच्चे को डीवार्मिंग टेबलेट नहीं दी गई है तो उसे साल में तीन से चार बार तक इसे दें।

जन उपचार के तौर पर सभी स्कूली बच्चों को अधिकतर देशों में सिर्फ एक डोज़ मीबेन्डाजोल या एल्बेन्डाजोल हर तीसरे या चौथे महीने में दिये जाने की वकालत की गई है। इससे बच्चों का उपचार तो होता ही है साथ ही पूरे समुदाय में कृमि की वजह से होने वाले संक्रमण में भी कमी आती है। स्कूल पर आधारित डीवार्मिंग को जांजीबार में सिंगल डोज मीबेन्डाजोल साल में तीन बार दी गई, इससे ए. ल्यूम्ब्रिक्वाइड्स संक्रमण में 97 फीसदी की कमी दर्ज की गई बनिस्बत उन बच्चों के जिन्होंने मीबेन्डाजोल नहीं ली।

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