विनोद शंकर बैरवा
भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हाल ही में कज़ाकिस्तान की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा की। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति श्री नूर सुल्तान नजबाएव और प्रधानमंत्री के मेस्सिमो के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में व्यापक संभावनाओं के लिए आपसी सहयोग का मजबूत आधार तैयार किया गया। इसी का परिणाम रहा कि दोनों देशों के बीच विविध क्षेत्रों से संबंधित सात समझौतों पर हस्ताक्षर हुए और कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग के साथ आगे बढ़ने का निर्णय हुआ। कज़ाकिस्तान से मिले इस भरपूर सहयोग से जहां भारत को मध्य एशिया में अपनी स्थिति और मजबूत करने में मदद मिली तो वहीं कज़ाकिस्तान के साथ मधुर रिश्तों को और प्रगाढ़ करने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।एक तरह से देखा जाए तो प्रधानमंत्री डॉ. सिंह की यह यात्रा, जनवरी 2009 में कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति श्री नूर सुल्तान नजरबाएव की भारत यात्रा का दूसरा पड़ाव है। इस यात्रा के दौरान कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत के साथ रिश्तों के एक नये अध्याय की शुरूआत की थी, जिसे डॉ. सिंह ने कज़ाकिस्तान यात्रा के दौरान परिणामोन्मुख बनाया। कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत की राजनीतिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक क्षमता में वृद्धि के साथ शांति, स्थिरता और लोगों की सूझबूझ बढ़ाने में योगदान देने जैसे वैश्विक मामलों में बढ़ती भूमिका की प्रशंसा कर यह जता दिया कि विश्व स्तर पर भारत के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। कुछ इसी तरह के विचार रखते हुए डॉ. सिंह ने ओएससीई में कज़ाकिस्तान के नेतृत्व में क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, राजनीति एवं आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में अर्जित महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए कज़ाकिस्तान की प्रशंसा की। यही वो सोच है, जो दोनों देशों के दिल और दिमाग से दोस्ती के सफर को और सुगमता प्रदान करती हैं।
मित्रता के रिश्तों को गहरा करने की पहल करते हुए इस यात्रा के दौरान कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत को 2100 टन यूरेनियम की आपूर्ति करने की घोषणा की और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर भी किए। उल्लेखनीय है कि भारत-कज़ाकिस्तान में 2009 से ही असैन्य परमाणु करार है, जिसके तहत भारत को यूरेनियम की आपूर्ति की जाती है। कज़ाकिस्तान ने भारतीय परमाणु रिएक्टरों के लिए आवश्यकतानुसार यूरेनियम की आपूर्ति करते रहने की घोषणा करके भारत की ऊर्जा संबंधी जरूरतों को काफी हद तक पूरा करने का भरोसा जता दिया है। ऐसी घोषणा स्नेहपूर्ण संबंधों के माध्यम से ही संभव है। डॉ. मनमोहन सिंह की इस यात्रा की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि का अगर जिक्र किया जाए तो वह होगी, ओएनजीसी द्वारा कैस्पियन सागर में सतपायेव तेल परियोजना में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करना।
इस यात्रा से दोनों देशों में विशाल संभावनाओं के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी आपसी सहयोग के ठोस परिणाम देखने को मिले हैं। इन क्षेत्रों में सामरिक साझेदारी, नागरिक मामले, खाद्य सुरक्षा, तेल, गैस, तेल संयंत्र, पेट्रोकैमिकल्स, हाइड्रो कार्बन परिवहन, विज्ञान आधारित उद्योग, अनुसंधान, स्वास्थ्य, औषधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नैनो, बॉयो एवं नवीन प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक, शिक्षा, पर्यटन, परिवहन, सुरक्षा, ढांचागत विकास आदि शामिल हैं। दोनों देशों ने इन क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने तथा जिन क्षेत्रों में आवश्यक हो उनमें सहयोग को और अधिक बढ़ाने पर बल दिया। 30 करोड़ रुपए सालाना के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने पर भी बल दिया गया, जिससे दोनों देशों में आर्थिक प्रगति और रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्ष 2011-14 की अवधि के बीच सामरिक साझेदारी बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्य योजना और सूचना सुरक्षा के ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी दोनों देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण कहे जा सकते हैं।
भारत-कज़ाकिस्तान ने अपने द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा संयुक्त राष्ट्र, क्षेत्रीय संगठनों सहित अन्य अन्तर्राष्ट्रीय मंचों में आपसी सहयोग के साथ अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की। दोनों ही देशों ने आतंकवाद का मुकाबला, मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक और चरमपंथ से मुकाबला करने के लिए अपनी एजेंसियों के स्तर पर बातचीत को और आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। अफगानिस्तान के मामले में दोनों देशों ने विशेष रुचि दिखाई दोनों ही देश अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और उसके राष्ट्रीय सुरक्षा बलों की क्षमता को बढ़ाने के लिए नये सिरे से प्रयास करने पर सहमत हुए। विश्व स्तर पर भारत के लिए कज़ाकिस्तान की भूमिका इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग का खुले रूप में समर्थन किया है। भारत ने भी 2017-18 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए कज़ाकिस्तान की उम्मीद्वारी का समर्थन किया। दोनों देशों का इस तरह खुले रूप से एक-दूसरे के लिए समर्थन करना एक सच्ची और अच्छी दोस्ती का ही परिणाम है।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा से दुनिया में स्थिरता और सुरक्षा के साथ-साथ विश्व समुदाय के सदस्यों के बीच आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और उन्हें विस्तार देने में मदद मिलेगी। इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को और विस्तार देने में अपेक्षित माहौल बनाने में भी आसानी होगी। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत और कज़ाकिस्तान दोनों ही देश संयुक्त राष्ट्र संगठन के महत्व को जानते हैं और यही वजह है कि ये दोनों देश इस तरह के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के संगठनों की वैश्विक भूमिका बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।