डॉ. शीतल कपूर
    15 मार्च को हमने विश् उपभोक्ता अधिकार दिवस-2011 मनाया। 115 देशों में 220 उपभोक्ता संगठनों का प्रतिनिधित् करने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल संगठन इस वर्ष उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा का प्रस्ताव पेश किया है और जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में इसे एक एजेंडा के रूप में रखा। सीआई ने अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं से वित्तीय उपभोक्ता की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ठोस क्रिया-विधि अपनाने का आह्वान करता है और सभी के लिए वित्तीय सेवाओं में सुरक्षित निष्पक्ष और प्रतियोगी बाजार तक पुहंच की मांग करता है। निष्पक्ष वित्तीय सेवाओं के लिए उपभोक्ता स्थायी, निष्पक्ष और प्रतियोगी वित्तीय बाजारों में उपभोक्ताओं की पहुंच को बढ़ाने का एक वैश्विक अभियान है।
            प्रथम विश् उपभोक्ता अधिकार दिवस 1983 में मनाया गया था। उपभोक्ता की संतुष्टि एवं सुरक्षा की आवश्यकता को महसूस किया गया। उपभोक्ता आज धन, उत्पादन और सेवा का मूल् चाहता है, जो उसकी उचित अपेक्षाओं को पूरा करे, उपयोग में सुरक्षित और उत्पादन सूचना पूर्ण पारदर्शी हो। इन अपेक्षाओं को 'उपभोक्ता अधिकार' के रूप में परिभाषित किया गया है।
            भारतीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने सुझाव दिया कि उपभोक्ताओं को चाहिए कि अपने वित्तीय निवेशों की सुरक्षा के मामले में निरंतर सतर्क रहें और ऋण जाल में फंसने से बचाव के लिए विवेकपूर्ण ढंग से खर्च करें। नई तकनीक जैसे इंटरनेट, डेबिट कार्ड, एटीएम ने जहां एक ओर  जहां उपभोक्ताओं के जीवन को आसान बनाया है, वहीं दूसरी और ये सुरक्षा के लिए एक चुनौती है। उपभोक्ता के रूप में चाहिए कि हम अनाज को भूसे से अलग करें।
            भारतीय वित्तीय बाजार ने कई गुणा वृद्धि की है और अनेक सेवाएं जैसे, निवेश सेवा सहोपकारी फंड, कार, घर और वैयक्तिक ऋण, क्रेडिट कार्ड, निष्पक्ष बाजार, मोबाइल बैंकिंग, बीमा आदि उपलब् है तथा उपभोक्ताओं के पास अपनी पसंद चुनने के लिए अनेक विकल् हैं। लेकिन बड़े दुःख की बात है कि उपभोक्ता वित् कंपनियों के जाल में फंस जाते हैं और अपने कठिन परिश्रम से अर्जित धन को गंवा देते हैं।
उपभोक्ताओं का शोषण
            इसके अलावा उपभोक्ताओं को निवेश किए गए धन का मूल् नहीं मिलता, वहां वित्तीय जोखिम की संभावनाएं हैं या उनसे अतिरिक् कीमत ली सकती है या परोक्ष कीमतों के जरिए उनका शोषण हो सकता है। बीमा नीति के खिलाफ अनेक आरोप हैं कि वह व्यवस्थित करने में अकारण लंबा समय लेती है या अतिरिक् बिलिंग दुगुना विकलन, पेशकश से असमर्थन जैसे मामले सामने आए। चेक की अन्यायपूर्ण अस्वीकृति, बैंक में जमा चैकों का खो जाना, फर्जी हस्ताक्षर के चेक आदि जैसे केस सामान् हैं। ऐसे भी उदाहरण है कि कंपनियां आकर्षक कीमत की वापसी जैसी लाभप्रद योजनाओं का विज्ञापन देती हैं या अल् समय में धन दुगुना करने का प्रस्ताव करती हैं, परंतु जब पैसा जमा हो जाता है, तो दुकान बंद कर लुप् हो जाती हैं। उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड कंपनियों के मामले में भी अनगिनत समस्याओं को झेल रहे हैं। सामान् समस्या यह है कि कंपनी किसी भी तरह का शुल् लेने की बात को सुनिश्चित करने के बावजूद वार्षिक शुल् की मांग करती है। अनेकों लिखित शिकायत के बाद भी समस्याएं जस की तस हैं और कंपनी ब्याज जोड़ रही है। उपभोक्ता इससे इंकार करता है, इस धनराशि को वापस लेता है, और कार्ड पर अंकित देय बकाया राशि चुकाता है और अंत में उपभोक्ता परेशान होकर कार्ड कंपनी के हवाले कर देता है। एक वर्ष के पश्चात कंपनी स्टेटमेंट्स और एजेंटों को उपभोक्ताओं के पास कल्पित बकाया धनराशि एकत्र करने के लिए भेजती है, जबकि वास्तव में धनराशि तथाकथित वार्षिक शुल् हैं, जो कई गुणा बढ़ गये हैं। उपभोक्ताओं को क्रेडिट दर निर्धारण कंपनी की सूची में गबनकार के रूप में दर्ज कर लिया जाता है। इस जैसी अनेक समस्याएं हैं, जहां उपभोक्ताओं को दण्डित किया जाता है और उनके अधिकारियों की अवज्ञा होती है।
रोकथाम, इलाज से उत्तम है     जब कोई उपभोक्ता बीमा कराता है, तो इसे चाहिए कि एजेंटों को टेलीफोन या डाक के द्वारा अपने निर्णय को प्रभावित करने की अनुमति दें। उपभोक्ताओं को चाहिए कि संपूर्ण विवरण एजेंट से इकट्ठा कर लें, स्वतंत्रतापूर्वक इसका मूल्यांकन करें और तभी इसको खरीदने का निर्णय लें। उन्हें चाहिए कि हस्ताक्षर करने से पहले नीति से संबंधित दस्तावेजों को सावधानी पूर्वक पढ़ लें और किसी भी तरह की जानकारी रखे बिना फार्म भरने के लिए एजेंट पर पूर्णतया विश्वास करें।
            बीमा नियामकीय विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के अनुसार, सभी बीमा कंपनियां सामान् रूप से पालिसी की रशीद बनने के पश्चात 15 दिनों का स्वतंत्रतापूर्वक विचार करने का समय देती हैं, पालिसी धारक पॉलिसी कंपनी को वापस कर सकता है। इसलिए अगर आपने गलत बीमा पॉलिसी करा ली है तो यह आपका अधिकार है कि इसे बीमा कंपनी को वापस कर दें और किसी नई पॉलिसी के लिए कहें। बीमा कंपनी के द्वारा जारी सभी रशीदों को सुरक्षित रखें और नियमित रूप से किस्तों का भुगतान करें और समय पर अपनी पॉलिसी को सुपुर्द कर दें। पति/पत्नी या नामांकित को पॉलिसी के बारे में अच्छी तरह अवगत रहने की आवश्यकता है। उन्हें दावा करने की प्रक्रिया की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। पॉलिसी लेने से पहले सभी शंकाओं एवं लाभों को लिखित रूप में स्पष् कर लेना चाहिए।
            क्रेडिट कार्ड बहुत से लाभों की पेशकश करता है, परंतु जब इसे अविवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल किया जाय तो परेशानी पैदा कर सकता है। विलंब से भुगतान के लिए बैंक अब क्रेडिट कार्ड उपभोक्ता पर 49 प्रतिशत तक का वार्षिक ब्याज लगा सकते हैं। इसलिए, सुझाव के तौर पर, क्रेडिट कार्ड के जरिए सभी भुगतान समय पर या समय के भीतर कर देना चाहिए। उपभोक्ता को चाहिए कि अंत में किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए सभी शर्तों एवं अनुबंधों को लिखित रूप में देने के लिए प्रेशर करें। क्रेडिट कार्ड पर दर्ज भुगतान के नियमों, ब्याज शुल् एवं अन् शुल् आदि के प्रत्येक पहलुओं को स्पष् रूप से समझ लें। उपभोक्ता को चाहिए कि वे अति महत्वपूर्ण शर्तों एवं अनुबंधों एवं क्रेडिट कार्ड के लिए भरे गये आवेदन पत्र की प्रतिलिपि अपने पास अवश् रखें। उपभोक्ता को चाहिए कि कॉल सेंटर के नम्बर, बैंक के मुख् कार्यालय का पता और फोन नंबर का रिकॉर्ड एवं सूचना अपने पास रखें ताकि यथाशीघ्र सूचित कर सकें। क्रेडिट कार्ड अपने कार्यालय के ड्रावर या किसी सार्वजनिक स्थान पर रखें। इंटरनेट के द्वारा लेनदेन के समय क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। इस तरह सुशिक्षित एवं सशक् उपभोक्ता हमारे देश की सम्पत्ति हैं।  


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