फ़िरदौस ख़ान
टाइगर के नाम से मशहूर देश के महान क्रिकेटर मंसूर अली ख़ान पटौदी का जन्म 5 जनवरी, 1941 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था. वह पटौदी रियासत के आख़िरी नवाब थे. उनके पिता इफ़्तिख़ार अली खां पटौदी भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे. इसलिए यह कहना ग़लत न होगा कि क्रिकेट का शौक़ उन्हें विरासत में मिला, लेकिन 11 साल के मंसूर अली ने क्रिकेट खेलना शुरू भी नहीं किया था कि उनके सिर से पिता का साया उठ गया. जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलना शुरू किया तो 1961 में कार हादसे में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई. हालांकि इसके बाद भी उन्होंने पूरे जोश से क्रिकेट खेलना जारी रखा और अपने नेतृत्व कौशल का लोहा मनवाया.

मंसूर अली को कप्तानी मिलने का वाक़या भी बेहद दिलचस्प है. जब मंसूर अली को कप्तानी सौंपी गई, तब टीम वेस्टइंडीज दौरे पर गई थी. टीम के कप्तान नारी कांट्रेक्टर ज़ख्मी हो गए तो 21 साल के मंसूर अली को कप्तानी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. तब वह सबसे कम उम्र के कप्तान थे. उनका यह रिकॉर्ड 2004 तक क़ायम रहा. साल 2004 में जिम्बाब्वे के तातैंडा तायबू ने यह रिकॉर्ड अपने नाम किया था. पटौदी ने 13 दिसंबर, 1961 को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दिल्ली में 13 रन बनाए. 10 जनवरी, 1962 को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट का अपना पहला शतक लगाया. उन्होंने चेन्नई में 113 रन बनाए. 23 मार्च, 1962 को बारबडोस टेस्ट में भारत के लिए पहली बार कप्तानी की. 12-13 फरवरी, 1964 को करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी 203 नाबाद इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नई दिल्ली टेस्ट में खेली. फ़रवरी-मार्च, 1968 को ड्यूनेडिन टेस्ट में न्यूजीलैंड को हराकर पहली बार विदेश में 3-1 से सीरीज़ जीती. 23 जनवरी, 1975 को उन्होंने वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ करियर के अंतिम टेस्ट (मुंबई) की दोनों पारियों में 9-9 रन बनाए. ग़ौरतलब है कि वह देश के पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने विदेश में भारत को जीत दिलाई. भारत ने उनकी अगुवाई में नौ टेस्ट मैच जीते. इससे पहले भारत विदेशों में हुए 33 में से कोई टेस्ट मैच नहीं जीत पाया था. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने 1993 से 1996 तक आईसीसी मैच अंपायर की भूमिका निभाई. वह दो टेस्ट और दस वन डे मैचों में अंपायर रहे. उन्हें 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की संचालन परिषद में शामिल किया गया था, लेकिन दो साल बाद 2010 में उन्होंने यह पद छोड़ दिया. उन्होंने आनंद बाज़ार पत्रिका समूह की खेल पत्रिका स्पोर्ट्स वर्ल्ड का एक दशक से भी ज़्यादा वक़्त तक संपादन किया. 2007 से बीसीसीआई के सलाहकार एवं आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य पटौदी टीवी कॉमेंट्रेटर भी रहे. 2007 से इंग्लैंड-भारत के बीच पटौदी ट्रॉफी के लिए टेस्ट सीरीज खेली जाती है. पिछले दिनों आयोजित सीरीज में उनकी मौजूदगी में इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस को यह ट्रॉफी दी गई थी. इंग्लैंड ने सीरीज 4-0 से जीती थी. 1968 में पटौदी को विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर का ख़िताब मिला. उन्हें 1996 में अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री से नवाज़ा गया.

उन्होंने फ़िल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की. उनके पुत्र सैफ़ अली ख़ान और एक बेटी सोहा अली ख़ान भी फिल्म जगत में नाम कमा रहे हैं. उन्होंने सियासत में भी क़िस्मत आज़माई, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. उन्होंने विधानसभा का पहला चुनाव 1971 में हरियाणा के पटौदी स्टेट से ल़डा, लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना प़डा. इसके बाद उन्होंने 1991 में भोपाल से लोकसभा का चुनाव ल़डा, लेकिन इस बार भी उन्हें जीत नहीं मिल पाई. तरक्क़ी पसंद मंसूर अली ख़ान पटौदी ने 2008 में अपनी बेटी सबा अली ख़ान को अपनी जागीर की मस्जिद, मज़ार, यतीमख़ाने और वक़्फ़ की जायदाद का नायब मुतवल्ली बनाया. उनकी रियासत में पिछली ढाई सदी से महिलाओं का ही वर्चस्व रहा है. उन्होंने भी अपनी बेटी को यह ज़िम्मेदारी सौंपकर इसे जारी रखा. बीते 22 सितंबर को उनका निधन हो गया. अगले दिन हरियाणा के गुड़गांव ज़िले के गांव पटौदी में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया.

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