जलवायु-सम्मलेन !
लंच-डिनर में किया सभी ने, जल के साथ वायु का सेवन !!
बयान से पलटा कसाब !
खोजें, किनका रहा दवाब ??
लोकसभा स्थगित !
जनता का क्या है, वो तो हर,घटना में माने अपना हित !!
आलोचक ही मित्र है !
चित्रकार की कमी बताये, ऐसा चित्र विचित्र है !!
महंगाई से राहत नहीं !
सबको राहत मिले, ऐसी चाहत नहीं !!
और अधिकार दें !
अपने भी सब तुमको देकर, खुद को गोली मार दें ??
कोहरे की चादर !
आज सुबह से ढूंढ रही हूं, मिले नहीं बच्चों के फादर !!
लूटमार !
थाने का हिस्सा दें पूरा, उससे यूं ना करें उधार !!
अपहरण !
चल, गुज़ारिश कर, पुलिस के छू चरण !!
चालान !
या तो मन की बात मान ले, या नोटों की भाषा मान !!
-अतुल मिश्र
सूफ़ियाना बसंत पंचमी...
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*फ़िरदौस ख़ान*
सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह
में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...