शामली कस्बे के भूरा कंडेला गांव के राजबाहे की पटरी के समीप स्थित प्रसिद्ध चांदनी महल को परियों का आस्‍ताना (डेरा) कहा जाता है. क्षेत्रवासियों का कहना है कि रात को यहां परियां आती हैं और हर जुमेरात (वीरवार) और पीर (सोमवार) को यहां परियों व नेक रूहों की रूहानी मजलिसें (सभाएं) भी होती हैं. जुमेरात को लोग यहां आकर अगरबत्तियां जलाते हैं, तबर्रुक बांटते हैं और मन्नतें मांगते हैं. मेहरबान अली कैरानवी के मुताबिक उनकी मुरादें भी यहां आकर पूरी हुई हैं.
उन्हें इस बात का मलाल है कि इस महल के रखरखाव के लिए प्रशासन ने कुछ नहीं किया है. सदियों पुरानी यह इमारत अब खंडहर हो गई है.


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सत्तार अहमद ख़ान

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