हंसमुख स्वभाव और अपने बिंदास अंदाज़ के लिए अपने मित्रों में लोकप्रिय बने विजय कथूरिया केवल दस साल की उम्र से ही रंगमंचों से जुड़े हुए हैं. दूरदर्शन सीरियल्स के अलावा वे रंगमंच के एक प्रतिभावान कलाकार के रूप में उभरे हैं. प्रस्तुत हैं हरियाणा की मिट्टी में खेलकूद कर रंगमंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके इस खुशमिजाज़ कलाकार से की गई बातचीत के कुछ अंश :
कैवल्य : आपने अपना पहला नाटक कब किया?
विजय : जब मैं केवल दस साल का था, तब मैंने कश्मीरी हिन्दुओं की समस्या पर एक नाटक किया था, जो मेरा सबसे पहला नाटक था. इसके बाद मैंने बीस से अधिक नाटक किए.
कैवल्य : आपकी शैक्षिक और पारिवारिक प्रष्ठभूमि कैसी रही?
विजय : हरियाणा में बहादुरगढ़ के पास के एक कस्बे में 10 जून 1982 को पैदा हुआ. वहीँ एक छोटे से सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया. पिताजी का गारमेंट्स का व्यवसाय है. तीन भाई और दो बहनें हैं. बस, इतना कुछ.
कैवल्य : आपके अब तक कितने सीरियल्स आ चुके हैं?
विजय : यूं तो कई सीरियल्स में काम किया है, मगर प्रमुख रूप से 'इंडियाज़ मोस्ट वांटेड' और 'कशिश' में अभिनय किया है. ये दूरदर्शन से प्रसारित हो चुके हैं.
कैवल्य : किसी फिल्म में भी काम किया है आपने?
विजय : जी हां, हरियाणा की एक फिल्म 'सरपंच' में भी अभिनय किया है. इस फिल्म की सीडीज़ बाज़ार में खूब चली थीं.
कैवल्य : आपके अन्य शौक क्या हैं?
विजय : खाली वक़्त में किताबें पढ़ना और हिंदी या इंग्लिश की चुनिन्दा मूवीज देखना.
कैवल्य : आपके पसंदीदा अभिनेता और अभिनेत्री कौन से हैं?
विजय : शाहरुख खान मुझे सबसे अच्छे अभिनेता लगते हैं. उनके अभिनय में जो जोश और एनर्जी दिखाई देती है, वह किसी और में नहीं लगती मुझे. हां, ऋतिक रोशन भी अच्छे लगते हैं. अभिनेत्रियों माधुरी दीक्षित का कोई मुकाबला नहीं है हॉलीवुड में.
कैवल्य : कोई ऐसा संस्मरण, जो आप कभी भुला नहीं पाए हों?
विजय : जी हां, एक शूटिंग के दौरान बड़ा मज़ा आया. मैं एक ऐसे गुंडे का रोल कर रहा था, जिसे किसी सेठ को उठाकर अपनी कार में डालना था. सेठ भी ज़ाहिर है, एक्टर ही था. वहीँ एक बुज़ुर्ग महिला, जो इस बात से अनभिज्ञ थीं कि यह शूटिंग चल रही है, जोर-जोर से ''बचाओ, बचाओ !!" चिल्लाने लगीं. उनको साइड में ले जाकर समझाया गया, तब वे क़ाबू में आ पाई. वरना एकबारगी हम सभी घबरा गए थे.
कैवल्य : आपकी भावी योजनाएं क्या हैं?
विजय : अभी तो दिल्ली रहकर ही कुछ और अनुभव हासिल करना चाहता हूं. इसके बाद मुंबई जाकर हॉलीवुड से जुड़ने की इच्छा है. कुछ ऑफर्स आ भी रहे हैं. एक शॉर्ट फिल्म पर काम चल भी रहा है. आगे ईश्वर मालिक है.
कैवल्य : ज़िन्दगी के प्रति आपका नज़रिया क्या है?
विजय : ज़िन्दगी को ऐसे जियो, जैसे कल क़यामत का दिन हो.


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