फ़िरदौस ख़ान
काल परिवर्तन के साथ जहां जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बदलाव आया है, वहीं हमारे भोजन का स्वरूप भी काफी बदला है। एक ऐसा समय था जब भोजन को स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाता था। शरीर के लिए सभी आवश्यक तत्वों की पूर्ति पौष्टिक भोजन द्वारा की जाती थी, लेकिन आज के भौतिकवादी व आधुनिक युग में भोजन को महज जायके की दृष्टि से देखा जाने लगा है। यही वजह है कि आज डिब्बाबंद फलों व आहारों का प्रचलन दिनोदिन तेजी से बढ़ रहा है। ये डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ रंग-बिरंगे होने के साथ-साथ स्वादिष्ट तो होते ही हैं, लेकिन हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक हैं।
डिब्बाबंद आहारों व पेय पदार्थों को तरोताजा रखने व खराब होने से बचाने के लिए इनमें विभिन्न प्रकार के रसायनों को मिलाया जाता है। इन रसायनों में बेंजोइक एसिड, सोडियम बेंजोइक एसिड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्शियम साइट्रेट, सल्फर डाई ऑक्साइड और ऐरोथ्रोसीन आदि शामिल हैं। अधिकतर डिब्बाबंद फलों के रस, जैम, जैली, अचार व कंफैक्शनरी आदि में बेंजोइक एसिड मिलाया जाता है। फलों के मुरब्बों को डिब्बों में बंद करने से पहले इसकी चाश्नी में सोडियम बेंजोइक नामक रसायन मिलाया जाता है। ऐसा करने से मुरब्बा लंबे समय तक तरोताजा बना रहता है। घरों व छोटे-बड़े सभी होटलों में पुलाव, टिक्की, समौसा व सब्जी आदि में हरी मटर का प्रयोग किया जाता है। मटर का मौसम न होने पर बाजार में बिकने वाली डिब्बाबंद मटर से इस आवश्यकता की पूर्ति की जाती है। इस मटर को हरा रखने के लिए इसमें मैग्नीशियम क्लोराइड का इस्तेमाल किया जाता है। फलों के कॉकटेल तैयार करने में एरोथ्रोसीन नामक रसायन प्रयुक्त किया जाता है।

बेंजोइक एसिड अत्यधिक हानिकारक रसायन है। इसका हल्का-सा स्पर्श भी त्वचा को झुलसाने में सक्षम है। सोडियम बेंजोइक इतना जहरीला रसायन है कि अगर इसकी दो ग्राम मात्रा भी कुत्ते या बंदर को दे दी जाए तो वह तुरंत मर जाएगा। यही विषैला रसायन डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की बदौलत हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है। स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। मैग्नीशियम क्लोराइड तथा कैल्शियम साइट्रेट से आंतों में घाव हो जाते हैं। इनके कारण मसूड़ों में सूजन भी आ सकती है। ये रसायन इतने हानिकारक हैं कि इनसे किडनी तक क्षतिग्रस्त हो जाती है। सल्फर डाई ऑक्साइड से उदर विकार उत्पन्न होते हैं। एरोथ्रोसीन नामक रसायन भोजन की नली से लेकर समूचे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।

डिब्बाबंद रसों के सेवन से ई. कोलाई, सालमुनेला, सुजेला, क्लेकसुला, जैसे ग्राम निगेटिव सेप्टिसिमिया वर्ग के जीवाणुओं एवं विषाणुओं का संक्रमण हो जाता है, जिससे हैजा, बेहोशी, निमोनिया, बहुत तेज बुखार, मस्तिष्क ज्वर, दृष्टि दोष, स्नायु संबंधी विकृतियां, हृदयघात और यहां तक कि मौत तक हो सकती है। सभी डिब्बाबंद पेय और 20 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर रखे जाने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन गर्मियों में तापमान 40 से 45 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच जाता है। इसके कारण इनमें विभिन्न रोगाणुओं को तेजी से पनपने का मौका मिल जाता है। शीतल पेय कार्बनीकृत होते हैं, जिनमें अमूमन कार्बन डाई ऑक्साइड के अलावा शक्कर, साइट्रिक अम्ल कलरिंग व प्लेवरिंग होते हैं, जबकि पेय की बोतलों में रिसाव हो जाए और फल व रस के डिब्बों को क्षति पहुंच जाए तो उनमें ऑक्सीजन का प्रवेश हो जाता है। इससे उनमें मौजूद जीवाणुओं व विषाणुओं की वृध्दि तेज हो जाती है।

कोला पेय के अत्यधिक सेवन से शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर होकर चटकने लगती हैं। इसके सेवन से खान-पान की आदत पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है और भूख कम लगती है। कोला पेय पदार्थों में मौजूद कैफीन और फास्फेट आदि रसायन बहुत हानिकारक हैं। इनसे रक्तचाप, तनाव, अनिंद्रा व पेट से संबंधित रोग हो जाते हैं।

पश्चिमी सभ्यता से ग्रस्त आधुनिक महिलाएं मेहमानों को प्रभावित करने के उद्देश्य से डिब्बाबंद फलों के रसों का ही इस्तेमाल करती हैं। ऐसे मामले भी प्रकाश में आए हैं कि विदेशों में लंबे समय तक जो डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ बिक नहीं पाते, ऐसे सामान गरीब देशों को उपहार स्वरूप या कम कीमत में बेच दिए जाते हैं। लोग 'इम्पोरटिड' सामान के नाम पर इन्हें खरीदते हैं, लेकिन उनको इसके विषैले प्रभाव का पता नहीं होता।

बाजार में 'फ्रैश फूड' और 'फ्रैश फ्रूट' के नाम पर रयासनयुक्त डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ बेचकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। लोग अगर ताजे फल व ताजे फलों के रस का इस्तेमाल करें तो इससे स्वास्थ्य को ज्यादा लाभ होगा। मौसमी फल सस्ते तो होते ही हैं, साथ ही इनसे शरीर को आवश्यक पौष्टिक तत्व भी मिल जाते हैं। आजकल देखने में आ रहा है कि स्कूल के बच्चों से लेकर बड़े तक भूख लगने पर फास्ट फूड को तरजीह देते हैं। कभी-कभार ऐसा करने में हर्ज नहीं, लेकिन इनके अत्यधिक सेवन से शरीर में जरूरी पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे व्यक्ति जल्द ही बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसलिए जहरीले रसायनयुक्त भोजन से परहेज करना ही बेहतर है।


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार रहत...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार र...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं