स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. विटामिन डी की कमी की वजह से हृदय संबंधी बीमारियों जैसे हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। फ्रमिंघम हार्ट स्टडी में पांच साल तक किये गए शोध में जिसमें 1,739 लोगों को शामिल किया गया जिनकी औसत आय 59 साल थी और ये मैसाष्ट शहर में रहते थे। इसमें पाया गया कि जिनमें विटामिन डी की मात्रा सबसे कम थी, उनमें हृदय संबंधी बीमारी का खतरा 62 फीसदी अधिक हुआ बनिस्त उनके जिनमें विटामिन डी का स्तर उनसे अधिक था।
नई दिल्ली. विटामिन डी की कमी की वजह से हृदय संबंधी बीमारियों जैसे हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। फ्रमिंघम हार्ट स्टडी में पांच साल तक किये गए शोध में जिसमें 1,739 लोगों को शामिल किया गया जिनकी औसत आय 59 साल थी और ये मैसाष्ट शहर में रहते थे। इसमें पाया गया कि जिनमें विटामिन डी की मात्रा सबसे कम थी, उनमें हृदय संबंधी बीमारी का खतरा 62 फीसदी अधिक हुआ बनिस्त उनके जिनमें विटामिन डी का स्तर उनसे अधिक था।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और ई मेडिन्यूज के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने बताया कि सर्कुलेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हफ्ते में एक घंटे तक सूर्य की रौशनी में रहने से त्वचा के जरिए शरीर में प्रति लीटर रक्त के हिसाब से विटामिन डी लगभग 30 नैनोग्राम की भरपाई हुई, जो उपरोक्त समस्या से बचने के लिए पर्याप्त है। भोजन के स्रोतों में विटामिन डी दूध (फोरटीफाईड) से और तैलीय मछलियां जैसे सैलमॉन शामिल हैं। हाल के यू एस इन्स्टीटयूट ऑफ मेडिसिन के सुझावों के अनुसार रोजाना युवाओं को 200 इंटरनेषनल यूनिट्स (आईयू), प्रौढ़ों को 400 आईयू और बूढ़े लोगों को 600 आईयू विटामिन डी लेनी चाहिए।
लेकिन इस मात्रा को भोजन और सूर्य की रौशनी से हासिल करना आसान नहीं है। एक गिलास दूध में सिर्फ 100 आईयू विटामिन डी होती है। सुझाव के अनुसार यह 1,000-2,000 आईयू होना चाहिए। विटामिन डी की कमी से हृदय संबंधी का खतरा खासकर उन लोगों में अधिक होता है जो उच्च रक्तचाप के शिकार होते हैं। जिन लोगों का रक्तचाप अधिक होता है और विटामिन डी की कमी भी पायी जाती है, उनमें हृदय सम्बंधी खतरा दोगुना ज्यादा होता है।