स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने आज नई दिल्ली में भारत ग्रामीण व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और लगभग दो-तिहाई आबादी अभी भी जीवनयापन के लिए कृषि पर ही निर्भर है। उन्होंने कहा कि यदि हमें समावेशित तथा समान वृध्दि सुनिश्चित करना है तो ग्रामीण क्षेत्रों को उन आर्थिक प्रक्रियाओं से जोड़ना होगा जो हमारे देश में तेजी के साथ बदलाव ला रही हैं। इस सम्मेलन का आयोजन वाणिज्य विभाग के सहयोग से फिक्की द्वारा किया गया है।
उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग नियमित तौर पर निर्यात संवर्धन परिषद को सहायता देता है और इसने अपना ध्यान ग्रामीण क्षेत्र जैसे हथकरघा वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद्, शेल्लाक ईपीसी, कारपेट ईपीसी, हस्तशिल्प, खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग और स्वरोजगार में लगे महिला समिति (सेवा) के लिए निर्यात संवर्धन परिषद इत्यादि की सहायता करना है। वाणिज्य विभाग का उद्देश्य ग्रामीण विकास मंत्रालय, जनजातीय मामले मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय इत्यादि के साथ गठबंधन करना है ताकि आने वाले वर्षों में निरंतर बाज़ार संवर्धन तथा बाज़ार पहुंच के ज़रिए ग्रामीण उद्यमों के लिए निर्यात अवसर उपलब्ध हो सकें।
ग्रामीण व्यापार को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य विभाग द्वारा जो कदम उठाये जा रहे हैं उनके बारे में जानकारी देते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि विदेश व्यापार नीति, 2010-2014 के तहत वैश्विक व्यापार तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विशेष ध्यान केंद्रित करने की पहलों के तहत, ग्रामीण रोजगार सघन क्षेत्रों जैसे कृषि एवं ग्रामीण उद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प, चमड़ा तथा जूते और पूर्वोत्तार राज्यों से निर्यात, खेल के सामान तथा खिलौनों इत्यादि की पहचान की गई है।
इस अवसर पर शर्मा ने विभिन्न क्षेत्रों जैसे बताया कि मिट्टी के बर्तन, चमड़ा एवं फैशन का सामान, लकडीं तथा इस्पात का फर्नीचर, हथकरघा, ऊन के उत्पाद, घर की सजावट का सामान, रेशे, कोयर एवं जूट आधारित उत्पादों जैसे सामान ले जाने का बैग, हाथ में लटकाने वाले बैग, सजावटी सामान, फैशन तथा हाथ से बनाये गये गहने, धातु के उत्पाद, चित्रकलाएं, लकड़ी से बने शिल्प, एल्यूमिनियम, पीतल, पत्थर, चांदी, सीसा, लौह, कागज, टेराकोटा, मनके और पारंपरकि हस्तशिल्प इत्यादि पर लगी प्रदर्शनी को भी देखा।