सरफ़राज़ ख़ान 
डायबीटीज़ के मरीज़ों में इरेक्टाइल  डि स्फंक्शन (शरीर के प्राइवेट पार्ट का सही ढंग से काम न करना) की सबसे बड़ी वजह अवसाद है. इंडिया और अमेरिका में इस संबंध में हुई एक स्टडी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि अवसाद और इरेक्टाइलि डिस्फंक्शन एक-दूसरे से संबंधित हैं. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन अवसाद बढ़ा देता है और अवसाद होने पर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षण और गंभीर हो जाते हैं.  
स्टडी से यह बात सामने आई है कि जिन मरीज़ों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की शिकायत होती है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी होती है. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की शिकायत करने वालों में लंबे समय से अनियंत्रित डायबीटीज़ और धूम्रपान का इतिहास मिला था. इतना ही नहीं, स्टडी में यह भी पाया गया कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन पीड़ित लोगों में डायबीटीज़ के साथ-साथ आंखों की समस्याएं, न्युरोपैथी और पेरिफेरल वस्कुलर डिज़ीज़ भी हो जाती हैं. भारत दुनिया का डायबीटीज़ कैपिटल बन गया है और यहां इसके मरीज़ों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है. ऐसे में फ़ैमिली डॉक्टर को डायबीटीज़ के मरीज़ों में डिप्रेशन के लक्षणों पर ग़ौर ज़रूर करना चाहिए. ऐसे मामलों में डायबीटीज़ को नियंत्रित कर अवसाद और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन दोनों के असर को कम किया जा सकता है.


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