सरफ़राज़ ख़ान   
एक स्टडी में यह पता लगा है कि तलने ये पहले आलू को पानी में भिगोना काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. इससे तलने के दौरान इसमें बनने वाले उन हानिकारक तत्वों (कार्सिनोजेन ऐक्रिलामाइड) का असर लगभग ख़त्म हो जाता है, जो कैंसर के लिए ज़िम्मेदार हैं.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक़ ऐक्रिलामाइड तब बनता है, जब ज़्यादा स्टार्च वाले खाद्य पदार्थ को अधिक तापमान पर पकाया जाता है. उदाहरण के तौर 120 डिगी तापमान पर तलना, सेंकना, गर्म करना या भुनना. कच्चे या उबले आलू में इस केमिकल की मात्रा नहीं होती. उबालने और माइक्रोवेव में गर्म करने के दौरान ऐक्रिलामाइड काफ़ी कम मात्रा में बनता है, क्योंकि इसमें हाई टेंपरेचर का इस्तेमाल नहीं होता. अधिक तापमान पर जितनी ज़्यादा देर यह पकाया जाता है, उतना ज़्यादा ऐक्रिलामाइड बनने की आशंका रहती है. 
आलू चिप्स और फ्रेंच फ्राई में रोटी और अनाज की तुलना में ऐक्रिलामाइड काफ़ी ज़्यादा होता है. ऐक्रिलामाइड सेहत के लिए काफ़ी ख़तरनाक होता है और जानवरों में इसकी वजह से कैंसर के मामले भी देखे गए हैं.  


जर्नल ऑफ़ द साइंस ऑफ फूड एंड एग़्रीकल्चर में छपी एक स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तलने से पहले आलू को पानी में डुबो दिया जाए, तो ऐक्रिलामाइड काफ़ी कम मात्रा में बनता है. स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने तीन तीन अलग तरीक़े अपनाए. उन्होंने कुछ कच्चे फ्रेंच फ्राई को धोया, कुछ को 30 मिनट तक भिगोया और कुछ को दो घंटे तक. ऐसे में फ्राई करने के बाद इनमें ऐक्रिलामाइड की मात्रा क्रमश : 23, 38 और 48 फ़ीसद कम पाई गई, लेकिन ये फ्रेंच फ्राई हल्के रंग का होने तक ही पकाए गए थे. यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि गाढ़े भूरे रंग का होने तक तलने पर भी इनमें इतना ही ऐक्रिलामाइड बनेगा या इससे ज़्यादा. 
 
खाने की चीज़ों को एक ही बर्तन में बार-बार फ्राई करना या सेंकना ज़्यादा नुक़सानदेय होता है. यहां तक हल्का धुला बर्तन भी ख़तरनाक हो सकता है, क्योंकि इसमें कार्सिनोजेनिक तत्व जमा रह जाते हैं. ज़्यादातर रेस्टोरेंट में तेल को कई दिन और यहां तक कि कई हफ़्ते तक बार-बार चीज़ें तलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यहां तक कि कई लोग बचे हुए तेल निकालकर बर्तन साफ़ कर देते हैं और दोबारा साफ़ बर्तन में वही तेल डालकर चीज़ें तलते हैं, यह तरीक़ा भी उतना ही ख़तरनाक है.  

आयुर्वेद के परंपरागत सूत्र भी खाने की चीज़ों को ज़्यादा तलने की मनाही करते हैं और कम तापमान पर चीज़ें पकाने की सलाह देते हैं.  
हालांकि कभी-कभी ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल करना ज़्यादा गंभीर बात नहीं है. खाद्य सामग्रियों के अलावा सिगरेट पीना भी ऐक्रिलामाइड का एक स्रोत है.

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