ज़मीर बेचने वालों ने इंतेहा कर दी
बुझे चराग़ को भी आफ़ताब लिखने लगे
वो जिसने ऐन से इज़्ज़त कभी नहीं लिक्खा
उसे भी सरफिरे इज़्ज़त मआब लिखने लगे
ये इंतक़ाम लिया अपनी बदनसीबी से
हम अपने नाम से पहले नवाब लिखने लगे
ताल्लुक़ात का कुछ तो भरम रखा होता
ज़रा सा दूर चले और हिसाब लिखने लगे
हसीब सोज़
