नई दिल्ली. लोकसभा में शुक्रवार को शून्यकाल के दौरान कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने लोकपाल विधेयक और अन्ना हजारे के अनशन पर वक्तव्य दिया. पेश है पूरा वक्तव्य-
पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से मैं बहुत व्यथित हूं. इनसे ऐसा लगता है कि एक कानून बन जाने से पूरे समाज से भ्रष्टाचार मिट जाएगा. मुझे इस पर संदेह है। एक प्रभावकारी लोकपाल कानूनी तौर पर भ्रष्टाचार से लड़ने का एक माध्यम है, लेकिन सिर्फ लोकपाल भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं है. हम एक लोकपाल नियामक की चर्चा करते हैं, लेकिन हमारी चर्चा लोकपाल की जवाबदेही और उसके भ्रष्ट होने की स्थिति पर आकर थम जाती है. हम केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की तरह संसद के प्रति जवाबदेह संवैधानिक लोकपाल के गठन पर चर्चा क्यों नहीं कर सकते? मुझे लगता है कि इस पर गंभीरता से विचार करने का समय आ गया है.
आजादी और देश की प्रगति के लिए कई व्यक्तियों ने देशवासियों को प्रेरित और आंदोलित किया. व्यक्तिगत भावना चाहे कितने भी अच्छे उद्देश्य के लिए हो, उससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर नहीं होनी चाहिए. यह प्रक्रिया लंबी और कठिन है लेकिन उसका लंबा होना इस कानून के संपूर्ण और निष्पक्ष होने के लिए जरूरी है. प्रक्रिया का पारदर्शी होना जरूरी है, जिससे विचारों को कानूनी रूप दिया जा सके.
निर्वाचित सरकार ही संसद की सर्वोच्चता का संरक्षण करती है. उसकी नीतियों में दखलंदाजी संसदीय संप्रभुता को नष्ट करेगी. यह लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक होगा. आज प्रस्तावित कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ है. कल को ऐसी लड़ाई किसी ऐसे लक्ष्य के प्रति भी हो सकती है, जिसमें सबकी सहमति न हो. वह लड़ाई हमारे विविधतापूर्ण समाज और लोकतंत्र पर हमला हो सकता है.
हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि हमारा लोकतंत्र है. यह हमारे देश की आत्मा है. हम सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार व्यापक है. गरीब व्यक्ति पर इसका सबसे ज्यादा बोझ पड़ता है. इससे हर भारतीय छुटकारा चाहता है. गरीबी मिटाने के लिए भ्रष्टाचार से लड़ना जरूरी है. हमारे देश की तरक्की और प्रगति के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। कई प्रभावकारी कानूनों की जरूरत है. ऐसे कानून जो कुछ जरूरी मामलों को लोकपाल के साथ ही सुलझाए-
- चुनाव और राजनीतिक दलों का सरकार द्वारा वित्तीय संचालन
- सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता
- भूमि एवं खनन जैसे मामलों का सही नियम जिसके अभाव में भ्रष्टाचार पनपता है
- न्यूनतम समर्थन मूल्य, राशन कार्ड और वृद्धावस्था पेंशन जैसे सार्वजनिक वितरण सेवाओं में समस्या निवारण की प्रक्रिया के लिए व्यापक तंत्र बनाना
- कर चोरी से छुटकारे के लिए कर प्रणाली में निरंतर सुधार
पिछले कुछ वर्षो से मैंने देश के कोने-कोने का
दौरा किया है. मैं देश के सैकड़ों लोगों से मिला. इनमें गरीब या अमीर, वृद्ध या नौजवान, सशक्त या निशक्त सभी शामिल हैं. उनका व्यवस्था से मोहभंग हो चुका है. हमारी व्यवस्था से उपजे गुस्से को अन्नाजी ने आवाज दी है. मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं. हमारे सामने सवाल यह है कि क्या हम जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार के खिलाफ सीधी जंग
के लिए तैयार है? यह सवाल केवल इस गतिरोध के थमने का नहीं है. यह एक बड़ी लड़ाई है. इसका उपाय सरल नहीं है. भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए निरंतर प्रतिबद्धता और संबद्धता की जरूरत है. कानून और संस्थान पर्याप्त नहीं है. भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रतिनिधित्व - कारी, समग्र और सहज लोकतंत्र की जरूरत है.
मुझे लगता है कि हमें और हमारे राजनीतिक दलों में और ज्यादा लोकतंत्र होना चाहिए. मैं युवाओं के सशक्तिकरण को मानता हूं. मैं मानता हूं कि बंद राजनीतिक व्यवस्था के सभी दरवाजे खोल देने चाहिए, ताकि राजनीतिक और इस सदन में नई ऊर्जा आ सके. मैं मानता हूं कि लोकतंत्र को गांव-गांव तक पहुंचाना है.
मुझे लगता है कि हमें और हमारे राजनीतिक दलों में और ज्यादा लोकतंत्र होना चाहिए. मैं युवाओं के सशक्तिकरण को मानता हूं. मैं मानता हूं कि बंद राजनीतिक व्यवस्था के सभी दरवाजे खोल देने चाहिए, ताकि राजनीतिक और इस सदन में नई ऊर्जा आ सके. मैं मानता हूं कि लोकतंत्र को गांव-गांव तक पहुंचाना है.