फ़िरदौस ख़ान
आंध्र प्रदेश के अहम हिस्से तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले चार दशकों से आंदोलन चल रहा है, लेकिन अभी तक सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. इस मुद्दे पर जहां केंद्र की यूपीए सरकार पर तेलंगाना इलाक़े के अपने नेताओं का दबाव है, वहीं अन्य सियासी दलों के नेता भी सरकार पर जल्द फ़ैसला लेकर आंदोलन ख़त्म करने के लिए दबाव बना रहे हैं. कांग्रेस के लिए एक दिक्क़त यह है कि प्रदेश में उसकी सरकार है और रायलसीमा के नेता अलग राज्य की मांग का विरोध कर रहे हैं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तेलंगाना मुद्दे पर जल्द फ़ैसला लेने की अपील की है. उनका कहना है कि टालमटोल से स्थिति सिर्फ़ बिगड़ेगी. आंध्र प्रदेश में सभी सियासी दलों और समाज के विभिन्न वर्गों ने श्रीकृष्ण समिति को अपनी राय दी थी. इसलिए इस मुद्दे पर आगे सियासी दलों के साथ परामर्श करने की ज़रूरत नहीं है. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने कार्यकर्ताओं सहित गांधी जयंती पर राजघाट पर धरना दिया. इस संबंध में बातचीत की सरकारी पेशकश को भी उन्होंने सिरे से ख़ारिज कर दिया.

ग़ौरतलब है कि तेलंगाना का अर्थ है तेलुगुओं की भूमि. तेलंगाना मूल रूप से हैदराबाद के निज़ाम की रियासत का हिस्सा था. 1948 में भारत ने निज़ाम की रियासत ख़त्म करके हैदराबाद राज्य की नींव रखी. आंध्र प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य था, जिसका गठन भाषाई आधार पर किया गया था. उस वक़्त कामरेड वासुपुन्यया ने अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर मुहिम शुरू कर दी. कामरेड वासुपुन्यया का सपना भूमिहीन किसानों को ज़मींदार बनाना था, मगर कुछ साल बाद इस आंदोलन की कमान नक्सलियों के हाथों में आ गई. इसी बीच 1956 में तेलंगाना के एक बड़े हिस्से को आंध्र प्रदेश में शामिल कर लिया गया, जबकि कुछ हिस्से कर्नाटक और महाराष्ट्र में मिला दिए गए. इसके कुछ साल बाद 1969 में तेलंगाना आंदोलन फिर शुरू हुआ. इस बार इसका मक़सद इलाक़े का विकास था और इसमें बड़ी तादाद में छात्रों को शामिल किया गया था. उस्मानिया विश्वविद्यालय इस आंदोलन का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. इस आंदोलन को पुलिस फ़ायरिंग और लाठीचार्ज में मारे गए सैकड़ों छात्रों की क़ुर्बानी ने ऐतिहासिक बना दिया. हालांकि इस आंदोलन को लेकर सियासी दलों ने ख़ूब रोटियां सेंकीं. तेलंगाना प्रजा राज्यम पार्टी के नेता एम चेन्ना रेड्डी ने जय तेलंगाना का नारा देकर सबका ध्यान अपनी तऱफ खींचा, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करके उसके सुर में सुर मिला लिया. इससे खुश होकर इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया, मगर एम चेन्ना रेड्डी के पार्टी समेत कांग्रेस में शामिल होने से तेलंगाना आंदोलन को बहुत नुक़सान हुआ. कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत 1971 में तेलंगाना क्षेत्र के नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर तेलंगाना आंदोलन को मज़बूत नहीं होने दिया. नब्बे के दशक में तेलुगूदेशम पार्टी का हिस्सा रहे तेलंगाना समर्थक के चंद्रशेखर राव 1999 के चुनाव के बाद मंत्री पद चाहते थे, लेकिन उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया गया. अपनी अनदेखी से आहत चंद्रशेखर राव ने 2001 में अलग तेलंगाना राज्य की मांग करते हुए तेलुगूदेशम पार्टी को अलविदा कह दिया. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन किया. इसके बाद 2004 में वाई एस राजशेखर रेड्डी ने अलग तेलंगाना राज्य के गठन को समर्थन देते हुए चंद्रशेखर राव से गठबंधन कर लिया, मगर इस बार भी वही हुआ, जो अब तक होता आ रहा था. वाई एस राजशेखर रेड्डी ने भी अलग तेलंगाना राज्य के गठन को तरजीह नहीं दी. इससे नाराज़ होकर तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया. इस पर चंद्रशेखर राव ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया और अपना आंदोलन जारी रखा. ग़ौरतलब है कि 1,14,800 वर्ग किलोमीटर में फैले तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के 23 ज़िलों में से 10 ज़िले यानी ग्रेटर हैदराबाद, रंगा रेड्डी, मेडक, नालगोंडा, महबूबनगर, वारंगल, करीमनगर, निज़ामाबाद, अदीलाबाद और खम्मम आते हैं. आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा सीटें और 17 लोकसभा सीटें भी इस क्षेत्र में आती हैं. क़रीब 3.5 करोड़ आबादी वाले तेलंगाना की भाषा तेलुगु और दक्कनी उर्दू है. तेलंगाना के अलग राज्य बनने की स्थिति में इसके बीचोबीच स्थित ग्रेटर हैदराबाद को राजधानी बनाए जाने की उम्मीद है.

ग़ौरतलब है कि 2009 में सोनिया गांधी के जन्मदिन यानी 9 दिसंबर को तेलंगाना के कांग्रेसी सांसदों ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के साथ ही तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग कर डाली, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया. इस पर तेलंगाना के कांग्रेसियों ने मिठाइयां बांटकर ख़ुशियां मनाईं. लगा कि यह आंदोलन अब ख़त्म हो गया है. शायद उस वक़्त सोनिया गांधी ने इसे गंभीरता से न लिया हो, मगर अब यह मुद्दा पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. शायद सोनिया गांधी ने इसे भी उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसग़ढ की तरह आसान मसला समझा, लेकिन वह यह भूल गईं कि आंध्र और रायलसीमा के प्रभावशाली रेड्डी इतनी आसानी से प्रदेश का बंटवारा नहीं होने देंगे. ख़ास बात यह है कि यहां से मिलने वाले राजस्व, भू-माफ़ियाओं पर रेड्डियों के वर्चस्व और तमाम सुविधाओं के मद्देनज़र कोई भी इसे छो़ड़ना नहीं चाहता. चंडीगढ़ की तर्ज़ पर हैदराबाद को दोनों राज्यों की राजधानी बनाए जाने की मांग को भी सिरे से ख़ारिज किया जा चुका है. जब कांग्रेस को मुद्दे की गंभीरता का एहसास हुआ तो उसने इसे लटकाए रखने में ही अपनी भलाई समझी. आंध्र प्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य की मांग पर विचार के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल जस्टिस श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति ने बीते साल दिसंबर में ही अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी थी. केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट का वह भाग तो सार्वजनिक कर दिया था, जिसमें समिति ने सरकार के सामने छह उपाय रखे थे और उनके संभावित प्रभाव के बारे में अपनी राय भी दे दी थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट के एक हिस्से को यह कहकर गुप्त रखा था कि इसमें क़ानून व्यवस्था के बारे में संवेदनशील जानकारी है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई थी कि सबसे अच्छा रास्ता यही है कि आंध्र प्रदेश को एक रखा जाए और दूसरा सबसे अच्छा रास्ता यह होगा कि तेलंगाना को अलग राज्य बनाया जाए. मगर जो गुप्त रिपोर्ट सामने आई है, उसमें समिति ने तेलंगाना राज्य के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाया है. रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को उस्मानिया, काकिया एवं अन्य विश्वविद्यालयों में तेलंगाना आंदोलन को कुचलने के लिए ताक़त का इस्तेमाल किए जाने की सलाह दी गई. तेलंगाना के पूर्व सांसद नारायण रेड्डी ने गुप्त रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दाख़िल कर दी. उस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक करे, क्योंकि उसमें गुप्त रखने लायक़ कुछ नहीं है. साथ ही उन्होंने अपने फ़ैसले में ही रिपोर्ट के कुछ उन हिस्सों को प्रकाशित कर दिया, जो केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को दिए थे. इनके सार्वजनिक होने पर ही प्रदेश में हंगामा हुआ. बताया जाता है कि इस रिपोर्ट पर 20 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए. सत्तारूढ़ कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति, भारतीय जनता पार्टी और तेलुगूदेशम सहित सभी सियासीदलों के तेलंगाना क्षेत्र के नेताओं ने रिपोर्ट की आलोचना करते हुए समिति पर पूंजीपतियों के हाथों बिक जाने के आरोप तक लगाए.

तेलंगाना की मांग को लेकर समर्थक अपनी जान देने पर तुले हुए हैं. हाल में कोहेडा गांव में 18 वर्षीय छात्रा भवानी ने आत्मदाह कर लिया. पिछले साल फ़रवरी में हैदराबाद के नोबेल कॉलेज के छात्र एस यदैया ने द को आग लगा ली थी, जिससे उसकी मौत हो गई. इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. इसके कारण जहां जनजीवन प्रभावित हो रहा है, वहीं सरकारी सेवाओं पर भी खासा असर पड़ रहा है. इसके अलावा सरकार को अरबों रुपये का नुक़सान भी हो रहा है. स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो चुकी है कि कांग्रेस और सोनिया गांधी के लिए इस मसले को हल करना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है. हालांकि इसे सुलझाने की ज़िम्मेदारी सरकार के संकट मोचक कहे जाने वाले प्रणब मुखर्जी को सौंपी गई है. फ़िलहाल इस मुद्दे का समाधान होता नज़र नहीं आ रहा है.


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार रहत...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार र...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं