फ़िरदौस ख़ान
अरुणा शानबाग के बहाने देश में इच्छा मृत्यु के मुद्दे को लेकर बहस शुरू हो गई है, मगर क्या कभी सरकार ने यह सोचा है कि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कोताही के कारण कितने लोग नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं. ये लोग किससे इच्छा मृत्यु की फरियाद करें. अगर सरकार इन लोगों को जीने का हक़ मुहैया नहीं करा सकती तो बेहतर है कि लाल क़िले में फांसी के लिए तख्त ही लगा दिए जाएं, जहां झूलकर ये लोग अपनी बदहाल ज़िंदगी से निजात तो पा सकें. देश में हर रोज़ क़रीब साढ़े तीन सौ लोग आत्महत्या करते हैं और दिनोंदिन यह तादाद बढ़ रही है. हर साल लाखों लोग भूख और बीमारी की वजह से मर जाते हैं. देश में हर रोज आठ करोड़ 20 लाख लोग भूखे पेट सोते हैं. 46 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो फसल काटे जाने के बाद खेत में बचे अनाज और बाज़ार में पड़ी गली-सड़ी सब्जियां बटोर कर किसी तरह उससे अपनी भूख मिटाने की कोशिश करते हैं. महानगरों में भी भूख से बेहाल लोगों को कू़डेदानों में से रोटी या ब्रैड के टुकड़ों को उठाते हुए देखा जा सकता है. रोज़गार की कमी और ग़रीबी की मार के चलते कितने ही परिवार चावल के मुट्ठी भर दानों को उबाल कर पीने को मजबूर हैं. देश में एक तरफ़ अमीरों के वे बच्चे हैं, जिन्हें दूध में भी बोर्नविटा की ज़रूरत होती है, तो दूसरी तरफ़ वे बच्चे हैं, जिन्हें पेट भर चावल का पानी भी नसीब नहीं हो पाता और वे भूख से तड़पते हुए दम तोड़ देते हैं. इतना ही नहीं, हर साल गोदामों में लाखों टन अनाज सड़ रहा होता है और उसी दौरान भूख से लोग मर रहे होते हैं. ऐसी हालत के लिए क्या व्यवस्था सीधे तौर पर क़ुसूरवार नहीं है?

देश में आज़ादी के बाद से अब तक ग़रीबों की भलाई के लिए योजनाएं तो अनेक बनाई गईं, लेकिन लालफ़ीताशाही के चलते वे महज़ काग़ज़ों तक ही सिमट कर रह गईं. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने तो इसे स्वीकार करते हुए यहां तक कहा था कि सरकार की ओर से चला एक रुपया जनता तक पहुंचते-पहुंचते 15 पैसे ही रह जाता है, यानी देश का प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार को क़ुबूल कर रहा है, लेकिन उसके बावजूद भ्रष्टाचार के ख़ात्मे के लिए कोई सख्त क़दम नहीं उठाया जाता. इसके लिए क्या सरकार सीधे तौर पर ज़िम्मेदार नहीं है? अव्यवस्था के कारण देश के अन्नदाता किसान ख़ुदकुशी कर रहे हैं. एक तऱफ सरकार खाद्य सुरक्षा की बात करती है और दूसरी तरफ़ किसानों को बदहाली में मरने के लिए छोड़ दिया जाता है. बेरोज़गारी से परेशान युवा आत्महत्या कर रहे हैं. इन सबके अलावा लचर क़ानून व्यवस्था भी आम आदमी की मौत की वजह बन रही है. हर साल कितनी ही लड़कियां और महिलाएं बलात्कार का शिकार होने पर अपनी जान दे देती हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि पहले तो पुलिस आरोपी को पकड़ेगी नहीं. अगर पकड़ भी लिया तो मामला अदालत में बरसों लटका रहेगा और इस दौरान उसे ही बार-बार अदालत में आपत्तिजनक सवालों से दो-चार होना पड़ेगा. रुचिका गिरहोत्रा के मामले को ही लीजिए. यह मामला क़रीब दो दशक से अदालत में चल रहा है. दिसंबर 2009 में अदालत ने आरोपी हरियाणा पुलिस के पूर्व महानिदेशक एवं लॉन टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभू प्रताप सिंह राठौर को महज़ छह माह क़ैद और एक हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई. केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने राठौर को मिली सज़ा पर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए कहा था कि बतौर गृहमंत्री मैं कोई फ़ैसला तो नहीं दे सकता, लेकिन जिस तरह इस मामले में आरोप निर्धारित हुए और आरोपी को सज़ा सुनाई गई, उससे मैं बहुत नाख़ुश हूं. पंचकुला में 14 वर्षीय रुचिका के साथ 12 अगस्त, 1990 को राठौर ने छेड़छाड़ की थी. मामले की शिकायत करने पर रुचिका और उसके परिवारीजनों को प्रताड़ित किया गया और आख़िर तंग आकर उसने 28 दिसंबर, 1993 को आत्महत्या कर ली.

भारत एक ऐसा देश है, जहां पर क़ानून का फायदा मज़लूमों के बजाय ज़ालिम ही ज्यादा उठाते हैं. अरुणा शानबाग के साथ भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ. उसके साथ बलात्कार कर उसकी ज़िंदगी तबाह करने वाला वहशी महज़ सात साल की क़ैद काटकर आज़ाद हो गया, लेकिन पिछले 37 सालों से ज़िंदा लाश बनी अरुणा को मांगे से मौत भी नहीं मिल पा रही है. 27 नवंबर, 1973 को मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल की नर्स अरुणा शानबाग के साथ इसी अस्पताल के स़फाईकर्मी सोहनलाल ने बलात्कार किया था. बलात्कार से पहले उसने अरुणा के गले को लोहे की ज़ंजीर से कस दिया था. इसकी वजह से उसके दिमाग़ तक ख़ून पहुंचाने वाली नसें फट गईं और वह एक ज़िंदा लाश बनकर रह गई. हादसे के कुछ दिनों बाद पुलिस ने सोहनलाल को गिरफ्तार कर लिया. हैरत की बात तो यह है कि पुलिस ने सोहनलाल पर अरुणा को जान से मारने की कोशिश करने और कान की बाली लूटने का मामला दर्ज किया. उस पर यौन शोषण से संबंधित कोई धारा नहीं लगाई गई. आख़िर अदालत ने उसे महज़ सात साल क़ैद की सज़ा सुनाई. उसने सज़ा काटी और कुछ वक्त बाद दिल्ली के एक अस्पताल में नौकरी कर ली. बाद में एड्‌स से उसकी मौत हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा शानबाग को इच्छा मृत्यु की इजाज़त देने संबंधी याचिका को ख़ारिज कर दिया, मगर अदालत ने यह भी कहा कि कुछ परिस्थितियों में पैसिव यूथनेशिया की अनुमति दी जा सकती है. साथ ही अदालत ने पैसिव यूथनेशिया के लिए दिशा-निर्देश भी तय करते हुए कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट की मंज़ूरी ज़रूरी है. लेखिका पिंकी विरानी ने दिसंबर 2009 में अरुणा की तरफ़ से अदालत में याचिका दाख़िल करके कहा था कि पिछले 37 सालों से वह मुंबई के अस्पताल में लगभग मृत अवस्था में पड़ी है. इसलिए उसे दया मृत्यु की इजाज़त दी जाए. इस बारे में सरकार का कहना है कि अभी तक भारतीय संविधान में इच्छा मृत्यु देने का कोई प्रावधान नहीं है. अस्पताल ने इच्छा मृत्यु देने का सख्त विरोध किया है. जिस देश में पैसे न होने पर अस्पताल प्रशासन गंभीर मरीज़ों को बाहर निकाल फेंकता है, उसी देश में एक अस्पताल एक ज़िंदा लाश को संभाल कर रखना चाहता है. क्या यह अस्पताल उन गंभीर मरीज़ों के प्रति इतनी ही मानवता दिखाएगा, जिन्हें इलाज की बेहद ज़रूरत है और उनके पास पैसे नहीं है. हालांकि केंद्रीय क़ानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सही क़रार देते कहा है कि क़ानून के बिना सिर्फ़ न्यायिक आदेश पर इस तरह के फ़ैसले लागू नहीं किए जा सकते. यहां बात सिर्फ़ अरुणा को इच्छा मृत्यु देने की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की हो रही है, जिसके कारण एक जीती-जागती लड़की इस हालत में पहुंची. क्यों इस देश में तमाम क़ानून होने के बावजूद वहशी दरिंदों को खुला छोड़ दिया जाता है.


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार रहत...
  • Hazrat Ali Alaihissalam - Hazrat Ali Alaihissalam said that silence is the best reply to a fool. Hazrat Ali Alaihissalam said that Not every friend is a true friend. Hazrat Ali...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • आज पहली दिसम्बर है... - *डॉ. फ़िरदौस ख़ान* आज पहली दिसम्बर है... दिसम्बर का महीना हमें बहुत पसंद है... क्योंकि इसी माह में क्रिसमस आता है... जिसका हमें सालभर बेसब्री से इंतज़ार र...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं