माजिद मुश्‍ताक पंडित
भारत में प्रत्‍येक 10 व्‍यक्तियों में से एक गुर्दे की बीमारी से ग्रस्‍त है। दुर्भाग्‍य से आधे से अधिक मरीज अपनी बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं जब उनका गुर्दा 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्‍त हो चुका होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान द्वारा किए गए अध्‍ययन के अनुसार गुर्दे के लगभग 1.50 लाख नए मरीज़ हर वर्ष बढ़ जाते हैं जिनमें से बहुत थोड़े लोगों को किसी प्रकार का इलाज उपलब्‍ध हो पाता है।

इस समस्‍या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। हर वर्ष गुर्दे की पुरानी बीमारी से ग्रस्‍त लाखों मरीज इलाज के बिना रह जाते हैं अथवा बीमारी का शुरू में पता न लग पाने या गुर्दे के प्रतिरोपण के लिए धन की कमी के कारण या मेल खाते हुए गुर्दे के उपलब्‍ध न हो पाने के कारण प्रतिरोपण नहीं हो पाता। भारत में हर साल लगभग पांच लाख गुर्दे का प्रत्‍यारोपण किए जाने की आवश्‍यकता होती है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्‍यम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्‍त कर पाते हैं।

इस वर्ष 13 मार्च को सारे विश्‍व में विश्‍व गुर्दा दिवस मनाया जाएगा। गुर्दे के महत्‍व और गुर्दे की बीमारी तथा उससे जुड़ी अन्‍य बीमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सन् 2006 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व गुर्दा दिवस के लिए विशेष नारा तय किया जाता है। इस वर्ष का नारा है ''बढ़ती उम्र तथा गुर्दे की पुरानी बीमारी''।

मानसिक तनाव और मधुमेह के बाद गुर्दे की पुरानी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बीमारी है। पहली दोनों बीमारियां भी गुर्दो पर असर डालती हैं और अक्‍सर गुर्दे की पुरानी बीमारी का रूप ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार गुर्दे की पुरानी बीमारी के लगभग 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे होते हैं या फिर उच्‍च रक्‍त चाप के मरीज रहे होते हैं या फिर वे इन दोनों बीमारियों से ग्रस्‍त रहे होते हैं। गुर्दे की बीमारी का यदि शुरू में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी अन्‍य जटिलताओं से बचा जा सकता हैपरिणामस्‍वरूप मूत्र तथा हृदयवाहिनी से संबंधित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और विकलांगताओं के बढ़ते हुए बोझ को काफी कम किया जा सकता है।

गुर्दे की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता इसलिए इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीज़ों की बड़ी संख्‍या का सामना करना होगा।

विश्‍व गुर्दा दिवस गुर्दे की पुरानी बीमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता की याद दिलाता है ताकि शरीर के इस महत्‍वपूर्ण अंग के स्‍वास्‍थ्‍य का महत्‍व समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्‍वस्‍थ रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्‍तक्षेप और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्‍चय ही मदद मिलेगी।

विश्‍व गुर्दा दिवस मनाए जाने का उदे्दश्‍य हर व्‍यक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्‍च रक्‍तचाप गुर्दे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा हैं अत: मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप के सभी मरीज़ों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्‍या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्‍सा बिरादरी की महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

गुर्दे की लंबी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्‍थानीय और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्‍यम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को गुर्दे की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्‍न कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है।

      गुर्दा खराब होने जैसी आपातकाल स्थिति में गुर्दा का प्रतिरोपण ही सबसे बेहतर विकल्‍प है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्‍साहित किये जाने की आवश्‍यकता है। भारत सरकार ने मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें गुर्दा दान तथा मृत व्‍यक्तियों के गुर्दे दान को प्रोत्‍साहित करने के अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने गुर्दे की लंबी बीमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्‍पतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्‍ध है।

भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिनी की बीमारियों तथा स्‍ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे खराब होने से बचाव संभव हो सका है।

जनता के बीच स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी और विशेषकर गुर्दे की लंबी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में यह आज के समय की आवश्‍यकता है कि हम सभी स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्‍यकता है। इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्‍वपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्‍प लें।   माजिद मुश्‍ताक पंडित-

भारत में प्रत्‍येक 10 व्‍यक्तियों में से एक गुर्दे की बीमारी से ग्रस्‍त है। दुर्भाग्‍य से आधे से अधिक मरीज अपनी बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं जब उनका गुर्दा 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्‍त हो चुका होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान द्वारा किए गए अध्‍ययन के अनुसार गुर्दे के लगभग 1.50 लाख नए मरीज़ हर वर्ष बढ़ जाते हैं जिनमें से बहुत थोड़े लोगों को किसी प्रकार का इलाज उपलब्‍ध हो पाता है।

इस समस्‍या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। हर वर्ष गुर्दे की पुरानी बीमारी से ग्रस्‍त लाखों मरीज इलाज के बिना रह जाते हैं अथवा बीमारी का शुरू में पता न लग पाने या गुर्दे के प्रतिरोपण के लिए धन की कमी के कारण या मेल खाते हुए गुर्दे के उपलब्‍ध न हो पाने के कारण प्रतिरोपण नहीं हो पाता। भारत में हर साल लगभग पांच लाख गुर्दे का प्रत्‍यारोपण किए जाने की आवश्‍यकता होती है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्‍यम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्‍त कर पाते हैं।

इस वर्ष 13 मार्च को सारे विश्‍व में विश्‍व गुर्दा दिवस मनाया जाएगा। गुर्दे के महत्‍व और गुर्दे की बीमारी तथा उससे जुड़ी अन्‍य बीमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सन् 2006 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व गुर्दा दिवस के लिए विशेष नारा तय किया जाता है। इस वर्ष का नारा है ''बढ़ती उम्र तथा गुर्दे की पुरानी बीमारी''।

मानसिक तनाव और मधुमेह के बाद गुर्दे की पुरानी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बीमारी है। पहली दोनों बीमारियां भी गुर्दो पर असर डालती हैं और अक्‍सर गुर्दे की पुरानी बीमारी का रूप ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार गुर्दे की पुरानी बीमारी के लगभग 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे होते हैं या फिर उच्‍च रक्‍त चाप के मरीज रहे होते हैं या फिर वे इन दोनों बीमारियों से ग्रस्‍त रहे होते हैं। गुर्दे की बीमारी का यदि शुरू में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी अन्‍य जटिलताओं से बचा जा सकता हैपरिणामस्‍वरूप मूत्र तथा हृदयवाहिनी से संबंधित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और विकलांगताओं के बढ़ते हुए बोझ को काफी कम किया जा सकता है।

गुर्दे की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता इसलिए इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीज़ों की बड़ी संख्‍या का सामना करना होगा।

विश्‍व गुर्दा दिवस गुर्दे की पुरानी बीमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता की याद दिलाता है ताकि शरीर के इस महत्‍वपूर्ण अंग के स्‍वास्‍थ्‍य का महत्‍व समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्‍वस्‍थ रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्‍तक्षेप और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्‍चय ही मदद मिलेगी।

विश्‍व गुर्दा दिवस मनाए जाने का उदे्दश्‍य हर व्‍यक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्‍च रक्‍तचाप गुर्दे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा हैं अत: मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप के सभी मरीज़ों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्‍या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्‍सा बिरादरी की महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

गुर्दे की लंबी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्‍थानीय और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्‍यम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को गुर्दे की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्‍न कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है।

      गुर्दा खराब होने जैसी आपातकाल स्थिति में गुर्दा का प्रतिरोपण ही सबसे बेहतर विकल्‍प है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्‍साहित किये जाने की आवश्‍यकता है। भारत सरकार ने मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें गुर्दा दान तथा मृत व्‍यक्तियों के गुर्दे दान को प्रोत्‍साहित करने के अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने गुर्दे की लंबी बीमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्‍पतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्‍ध है।

भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिनी की बीमारियों तथा स्‍ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे खराब होने से बचाव संभव हो सका है।

जनता के बीच स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी और विशेषकर गुर्दे की लंबी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में यह आज के समय की आवश्‍यकता है कि हम सभी स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्‍यकता है। इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्‍वपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्‍प लें।   माजिद मुश्‍ताक पंडित-

भारत में प्रत्‍येक 10 व्‍यक्तियों में से एक गुर्दे की बीमारी से ग्रस्‍त है। दुर्भाग्‍य से आधे से अधिक मरीज अपनी बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं जब उनका गुर्दा 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्‍त हो चुका होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान द्वारा किए गए अध्‍ययन के अनुसार गुर्दे के लगभग 1.50 लाख नए मरीज़ हर वर्ष बढ़ जाते हैं जिनमें से बहुत थोड़े लोगों को किसी प्रकार का इलाज उपलब्‍ध हो पाता है।

इस समस्‍या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। हर वर्ष गुर्दे की पुरानी बीमारी से ग्रस्‍त लाखों मरीज इलाज के बिना रह जाते हैं अथवा बीमारी का शुरू में पता न लग पाने या गुर्दे के प्रतिरोपण के लिए धन की कमी के कारण या मेल खाते हुए गुर्दे के उपलब्‍ध न हो पाने के कारण प्रतिरोपण नहीं हो पाता। भारत में हर साल लगभग पांच लाख गुर्दे का प्रत्‍यारोपण किए जाने की आवश्‍यकता होती है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्‍यम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्‍त कर पाते हैं।

इस वर्ष 13 मार्च को सारे विश्‍व में विश्‍व गुर्दा दिवस मनाया जाएगा। गुर्दे के महत्‍व और गुर्दे की बीमारी तथा उससे जुड़ी अन्‍य बीमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सन् 2006 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व गुर्दा दिवस के लिए विशेष नारा तय किया जाता है। इस वर्ष का नारा है ''बढ़ती उम्र तथा गुर्दे की पुरानी बीमारी''।

मानसिक तनाव और मधुमेह के बाद गुर्दे की पुरानी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बीमारी है। पहली दोनों बीमारियां भी गुर्दो पर असर डालती हैं और अक्‍सर गुर्दे की पुरानी बीमारी का रूप ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार गुर्दे की पुरानी बीमारी के लगभग 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे होते हैं या फिर उच्‍च रक्‍त चाप के मरीज रहे होते हैं या फिर वे इन दोनों बीमारियों से ग्रस्‍त रहे होते हैं। गुर्दे की बीमारी का यदि शुरू में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी अन्‍य जटिलताओं से बचा जा सकता हैपरिणामस्‍वरूप मूत्र तथा हृदयवाहिनी से संबंधित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और विकलांगताओं के बढ़ते हुए बोझ को काफी कम किया जा सकता है।

गुर्दे की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता इसलिए इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीज़ों की बड़ी संख्‍या का सामना करना होगा।

विश्‍व गुर्दा दिवस गुर्दे की पुरानी बीमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता की याद दिलाता है ताकि शरीर के इस महत्‍वपूर्ण अंग के स्‍वास्‍थ्‍य का महत्‍व समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्‍वस्‍थ रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्‍तक्षेप और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्‍चय ही मदद मिलेगी।

विश्‍व गुर्दा दिवस मनाए जाने का उदे्दश्‍य हर व्‍यक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्‍च रक्‍तचाप गुर्दे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा हैं अत: मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप के सभी मरीज़ों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्‍या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्‍सा बिरादरी की महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

गुर्दे की लंबी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्‍थानीय और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्‍यम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को गुर्दे की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्‍न कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है।

      गुर्दा खराब होने जैसी आपातकाल स्थिति में गुर्दा का प्रतिरोपण ही सबसे बेहतर विकल्‍प है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्‍साहित किये जाने की आवश्‍यकता है। भारत सरकार ने मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें गुर्दा दान तथा मृत व्‍यक्तियों के गुर्दे दान को प्रोत्‍साहित करने के अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने गुर्दे की लंबी बीमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्‍पतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्‍ध है।

भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिनी की बीमारियों तथा स्‍ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे खराब होने से बचाव संभव हो सका है।

जनता के बीच स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी और विशेषकर गुर्दे की लंबी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में यह आज के समय की आवश्‍यकता है कि हम सभी स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्‍यकता है। इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्‍वपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्‍प लें।   माजिद मुश्‍ताक पंडित-

भारत में प्रत्‍येक 10 व्‍यक्तियों में से एक गुर्दे की बीमारी से ग्रस्‍त है। दुर्भाग्‍य से आधे से अधिक मरीज अपनी बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं जब उनका गुर्दा 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्‍त हो चुका होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान द्वारा किए गए अध्‍ययन के अनुसार गुर्दे के लगभग 1.50 लाख नए मरीज़ हर वर्ष बढ़ जाते हैं जिनमें से बहुत थोड़े लोगों को किसी प्रकार का इलाज उपलब्‍ध हो पाता है।

इस समस्‍या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। हर वर्ष गुर्दे की पुरानी बीमारी से ग्रस्‍त लाखों मरीज इलाज के बिना रह जाते हैं अथवा बीमारी का शुरू में पता न लग पाने या गुर्दे के प्रतिरोपण के लिए धन की कमी के कारण या मेल खाते हुए गुर्दे के उपलब्‍ध न हो पाने के कारण प्रतिरोपण नहीं हो पाता। भारत में हर साल लगभग पांच लाख गुर्दे का प्रत्‍यारोपण किए जाने की आवश्‍यकता होती है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्‍यम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्‍त कर पाते हैं।

इस वर्ष 13 मार्च को सारे विश्‍व में विश्‍व गुर्दा दिवस मनाया जाएगा। गुर्दे के महत्‍व और गुर्दे की बीमारी तथा उससे जुड़ी अन्‍य बीमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सन् 2006 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व गुर्दा दिवस के लिए विशेष नारा तय किया जाता है। इस वर्ष का नारा है ''बढ़ती उम्र तथा गुर्दे की पुरानी बीमारी''।

मानसिक तनाव और मधुमेह के बाद गुर्दे की पुरानी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बीमारी है। पहली दोनों बीमारियां भी गुर्दो पर असर डालती हैं और अक्‍सर गुर्दे की पुरानी बीमारी का रूप ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार गुर्दे की पुरानी बीमारी के लगभग 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे होते हैं या फिर उच्‍च रक्‍त चाप के मरीज रहे होते हैं या फिर वे इन दोनों बीमारियों से ग्रस्‍त रहे होते हैं। गुर्दे की बीमारी का यदि शुरू में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी अन्‍य जटिलताओं से बचा जा सकता हैपरिणामस्‍वरूप मूत्र तथा हृदयवाहिनी से संबंधित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और विकलांगताओं के बढ़ते हुए बोझ को काफी कम किया जा सकता है।

गुर्दे की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता इसलिए इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीज़ों की बड़ी संख्‍या का सामना करना होगा।

विश्‍व गुर्दा दिवस गुर्दे की पुरानी बीमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता की याद दिलाता है ताकि शरीर के इस महत्‍वपूर्ण अंग के स्‍वास्‍थ्‍य का महत्‍व समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्‍वस्‍थ रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्‍तक्षेप और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्‍चय ही मदद मिलेगी।

विश्‍व गुर्दा दिवस मनाए जाने का उदे्दश्‍य हर व्‍यक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्‍च रक्‍तचाप गुर्दे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा हैं अत: मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप के सभी मरीज़ों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्‍या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्‍सा बिरादरी की महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

गुर्दे की लंबी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्‍थानीय और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्‍यम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को गुर्दे की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्‍न कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है।

गुर्दा खराब होने जैसी आपातकाल स्थिति में गुर्दा का प्रतिरोपण ही सबसे बेहतर विकल्‍प है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्‍साहित किये जाने की आवश्‍यकता है। भारत सरकार ने मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें गुर्दा दान तथा मृत व्‍यक्तियों के गुर्दे दान को प्रोत्‍साहित करने के अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने गुर्दे की लंबी बीमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्‍पतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्‍ध है।

भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिनी की बीमारियों तथा स्‍ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे खराब होने से बचाव संभव हो सका है।
जनता के बीच स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी और विशेषकर गुर्दे की लंबी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में यह आज के समय की आवश्‍यकता है कि हम सभी स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्‍यकता है। इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्‍वपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्‍प लें।   माजिद मुश्‍ताक पंडित-

भारत में प्रत्‍येक 10 व्‍यक्तियों में से एक गुर्दे की बीमारी से ग्रस्‍त है। दुर्भाग्‍य से आधे से अधिक मरीज अपनी बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं जब उनका गुर्दा 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्‍त हो चुका होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान द्वारा किए गए अध्‍ययन के अनुसार गुर्दे के लगभग 1.50 लाख नए मरीज़ हर वर्ष बढ़ जाते हैं जिनमें से बहुत थोड़े लोगों को किसी प्रकार का इलाज उपलब्‍ध हो पाता है।

इस समस्‍या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। हर वर्ष गुर्दे की पुरानी बीमारी से ग्रस्‍त लाखों मरीज इलाज के बिना रह जाते हैं अथवा बीमारी का शुरू में पता न लग पाने या गुर्दे के प्रतिरोपण के लिए धन की कमी के कारण या मेल खाते हुए गुर्दे के उपलब्‍ध न हो पाने के कारण प्रतिरोपण नहीं हो पाता। भारत में हर साल लगभग पांच लाख गुर्दे का प्रत्‍यारोपण किए जाने की आवश्‍यकता होती है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्‍यम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्‍त कर पाते हैं।

इस वर्ष 13 मार्च को सारे विश्‍व में विश्‍व गुर्दा दिवस मनाया जाएगा। गुर्दे के महत्‍व और गुर्दे की बीमारी तथा उससे जुड़ी अन्‍य बीमारियों के खतरे को कम करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सन् 2006 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व गुर्दा दिवस के लिए विशेष नारा तय किया जाता है। इस वर्ष का नारा है ''बढ़ती उम्र तथा गुर्दे की पुरानी बीमारी''।

मानसिक तनाव और मधुमेह के बाद गुर्दे की पुरानी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बीमारी है। पहली दोनों बीमारियां भी गुर्दो पर असर डालती हैं और अक्‍सर गुर्दे की पुरानी बीमारी का रूप ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार गुर्दे की पुरानी बीमारी के लगभग 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे होते हैं या फिर उच्‍च रक्‍त चाप के मरीज रहे होते हैं या फिर वे इन दोनों बीमारियों से ग्रस्‍त रहे होते हैं। गुर्दे की बीमारी का यदि शुरू में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी अन्‍य जटिलताओं से बचा जा सकता हैपरिणामस्‍वरूप मूत्र तथा हृदयवाहिनी से संबंधित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और विकलांगताओं के बढ़ते हुए बोझ को काफी कम किया जा सकता है।

गुर्दे की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता इसलिए इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीज़ों की बड़ी संख्‍या का सामना करना होगा।

विश्‍व गुर्दा दिवस गुर्दे की पुरानी बीमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता की याद दिलाता है ताकि शरीर के इस महत्‍वपूर्ण अंग के स्‍वास्‍थ्‍य का महत्‍व समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्‍वस्‍थ रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्‍तक्षेप और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्‍चय ही मदद मिलेगी।

विश्‍व गुर्दा दिवस मनाए जाने का उदे्दश्‍य हर व्‍यक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्‍च रक्‍तचाप गुर्दे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा हैं अत: मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप के सभी मरीज़ों को गुर्दे की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्‍या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्‍सा बिरादरी की महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

गुर्दे की लंबी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्‍थानीय और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्‍यम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को गुर्दे की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्‍न कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है।

      गुर्दा खराब होने जैसी आपातकाल स्थिति में गुर्दा का प्रतिरोपण ही सबसे बेहतर विकल्‍प है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्‍साहित किये जाने की आवश्‍यकता है। भारत सरकार ने मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें गुर्दा दान तथा मृत व्‍यक्तियों के गुर्दे दान को प्रोत्‍साहित करने के अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने गुर्दे की लंबी बीमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्‍पतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्‍ध है।

भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिनी की बीमारियों तथा स्‍ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे खराब होने से बचाव संभव हो सका है।

जनता के बीच स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी और विशेषकर गुर्दे की लंबी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

गुर्दे की लंबी बीमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में यह आज के समय की आवश्‍यकता है कि हम सभी स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाएं। साथ ही, बीमारी के खतरे से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्‍यकता है। इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इस महत्‍वपूर्ण अंग के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और एक-दूसरे को जागरूक करने का संकल्‍प लें।   


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • डॉ. फ़िरदौस ख़ान - डॉ. फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं