सरफ़राज़ ख़
स्वस्थ होने का मतलब सिर्फ रोगमुक्त होना ही नहीं बल्कि शारीरिक, मानसिक, दिमागी, सामाजिक, आधयात्मिक, एनवायर्नमेंटल और आर्थिक रूप से दुरुस्त और संपन्न होना है.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल का कहना है स्वस्थ जीवन के लिए बच्चों को हर तरह के मौके मुहैया कराने की जरूरत है, जिनमें आर्थिक और आधयात्मिक स्वास्थ्य का समायोजन भी जरूरी है. एक अधययन का हवाला देते हुए डॉ. अग्रवाल का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह देखा जा चुका है कि अच्छी सेहत के लिए सात से नौ घंटे की नींद बेहद जरूरी है. जो बच्चे आजकल नए साल के स्वागत की पार्टियां अटेंड कर रहें हैं उनके लिए यह सुझाव है कि वे अपनी नींद के साथ समझौता बिल्कुल न करें. उन्हें आठ का एक फ़ार्मूला हमेशा याद रखना चाहिए, जिसमें यह कहा जाता है कि 8 घंटे अपने लिए रखें (सफाई और नींद के लिए), 8 घंटे पढ़ाई के लिए और 8 घंटे पारिवारिक व सामाजिक जीवन के लिए निर्धारित करें. बच्चों का मोटापा वर्तमान समाज के लिए नई महामारी है, इसे स्कूली स्तर पर बच्चों को जागरूक करके नियंत्रित किया जा सकता है. बच्चे नए साल के स्वागत की पार्टियों में फास्ट फूड से दूर रहें क्योंकि यह सेहत के लिए अच्छा नहीं है. प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें. मैदा और चीज मिलाकर बने खाद्य पदार्थ जिन्हें जंक फूड भी कहा जाता है शक्कर के साथ या बिना शक्कर के भी हानिकारक हैं. शिक्षकों, माता-पिता और डॉक्टरों को समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए.