स्टार न्यूज़ एजेंसी
सभी डॊक्टरों को चाहिए कि वे वीनस थ्रोबोएम्बालिज्म जिसमें डीप वेन थ्रोम्बोसिस व पल्मोनरी एम्बोलिज्म शामिल है, का डायग्नाज और उपचार करें.
यह कहना है हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का. वह कहते हैं कि ऐसी स्थिति खतरनाक होती है, जब रक्त में थक्का बनता है और वीनस सर्कुलेटरी सिस्टम के एक बिंदु से होकर वह फेफड़ों तक में सफर करता है.
पल्मोनरी एम्बोलिज्म तब होता है, जब एक तरह का थक्का जो आमतौर पर पैर की नसों में बनता है, वह फेफड़ों या इनकी शाखाओं में से किसी पल्मोनरी आर्टरी को ऒब्स्ट्रक्ट करता है. इसकी वजह से एक्यूट राइट हार्ट फेल्योर या अचानक मौत भी हो सकती है.
डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या तब होती है, जब मुसाफिर लम्बी दूरी पर हवाई जहाज से सफर कर रहा होता है और अब लंग एम्बोलिज्म को इकनॊमी क्लास सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. इसकी वजह लम्बे समय तक बहुत कम मूवमेंट होता है, उदाहरण के तौर पर हवाई जहाज के यात्री घंटों तक अपनी सीटों में बैठे रहते हैं और वे इधर से उधर टस से मस तक नहीं हो सकते.
ऐसी स्थिति की शुरुआती दौर में उपचार करने से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है और इसमें आने वाली जटिलताओं जैसे कि पल्मोनरी एम्बोलिज्म या फिर डीप वेन थ्रोम्बोसिस जैसे समस्याओं से बचाव संभव है. हीथ्रो में हर महीने कम से कम एक हवाई यात्री डीप वेन थ्रोम्बोसिस की वजह से अपनी जिन्दगी गंवाता है.
सावधानियां बरतें
1. कम से कम एक घंटा एक टहलें.
2. जब सीट पर बैठें तो अपने टखनों और बदन को हिलाते डुलाते रहें, ताकि ब्लड सर्कुलेशन जारी रहे.
3. बार-बार पीने को लें.
4. ऐसी चीज पहने जिससे टांगों की नसों में रक्त का सर्कुलेशन जारी रखने में मदद मिले.
5. चलने से कुछ समय पहले एस्प्रिन की एक टेबलेट लेने से ब्लड लम्बे समय तक निष्क्रिय रहने पर भी पतला रहता है. ज्यादातर शिकार होने वाले लोग इसको नहीं अपना पाते.
6. थ्रोम्बोसिस का गंभीर खतरे वालों को लो मोलेक्युल वेट हीपैरिन (एलएमडब्ल्यूएच) का इंजेक्शन दिया जाना चाहिए, जो एक तरह का प्रोफीलैक्सिस है जो पहले से ही हास्पिटल में दाखिल ऐसे मरीजों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
7. मुसाफिरों को चाहिए कि शराब और कैफीन के सेवन से बिल्कुल परहेज करें.