नई दिल्ली. देश में कैंसर और एचआईवी के इलाज के काम आने वाली कई जीवन रक्षक दवाओं सहित कुल 74 दवाओं पर सीमा शुल्क छूट ख़त्म कर दी गई है. बताया जा रहा है ऐसा इसलिए किया गया है जिससे घरेलू उत्पादकों को प्रोत्साहन मिल सके. लेकिन, इस फ़ैसले से इन दवाओं के दाम बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है. मेक इन इंडिया अभियान मरीज़ों की मुसीबत बन सकता है.
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने पिछले सप्ताह 74 दवाओं पर से मूल सीमा शुल्क की छूट वापस लिए जाने की अधिसूचना जारी की. कहा जा रहा है कि यह कदम मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के मकसद से उठाया गया है. जिन दवाओं पर अब सीमा शुल्क लगाया जाएगा, उनके कैंसर में कीमोथेरेपी और लेजर तकनीक, दिल की धड़कन से जुड़ी समस्याओं, गुर्दे की पथरी, मधुमेह, संक्रमण दूर करने और हड्डी रोग में काम आने वाले दवाएं शामिल हैं.
इसके अलावा बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण, ल्यूकेमिया, एचआईवी या हेपेटाइटिस बी, एलर्जी, गठिया, अल्सर वाले कोलाइटिस की कुछ दवाओं पर भी इसका असर पड़ेगा. खून को पतला करने, ग्लूकोमा, रसायन या कीटनाशकों की विषाक्तता से होने वाले रोग, प्राकृतिक शारीरिक विकास हार्मोन की कमी से बच्चों और वयस्कों को होने वाली समस्याओं से जुड़ी दवाएं भी इस दायरे में आएंगी.
जानकार बताते हैं कि जीवन रक्षक समेत कुछ दवाओं पर से सीमा शुल्क छूट हटाने से भले ही मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिले लेकिन मरीजों के लिए यह मुसीबत बन सकता है. एनडीटीवी के मुताबिक, देश के ड्रग कंट्रोलर डॉ जीएन सिंह इस समस्या से वाकिफ हैं. वे स्वास्थ्य मंत्रालय से इस बारे में लगातार बात कर रहे हैं. कोशिशें हैं इन 74 जरूरी दवाओं के दाम न बढ़ाए जाएं.