आंदोलन, प्रदर्शन, शोभा यात्राओं में भी गंडासी, जेली, कुल्हाड़ी लहराए जाते हैं सरेआम
-प्रदीप हरित
कैथल (हरियाणा). आपसी झगड़े, आंदोलन, प्रदर्शन, धार्मिक शोभा यात्रा आदि में अकसर गंडासी, खंजर, बरछे आदि कृषि औजार लहराते हुए देखे जा सकते हंै। हत्या, गंभीर चोट मारने के असंक्चय ऐसे मामले रोज सामने आते हैं जिनमें इस तरह के कृषि यंत्रों अथवा औजारों से वारदात को अंजाम दिया गया हो। कहने को तो ये कृषि में प्रयोग होने वाले औजार हैं लेकिन आजकल इनका प्रयोग खेती में कम और आपराधिक गतिविधियों में ज्यादा किया जा रहा है। इस प्रकार के खतरनाक औजार खरीदने के लिए न तो भागदौड़ की जरूरत है और ना ही किसी डॉक्यूमेंट की और न ही किसी लाईसैंस की। हर शहर में इस तरह के हथियारों की बिक्री सरेआम होती है। लोहे के भाव में गंडासी, चाकू, खंजर, दरांत, भाला, जेली सब कुछ खरीदा जा सकता है। हालांकि तेजधार हथियारों को घर में रखने के लिए कानून में लाईसेंस लेने का प्रावधान है लेकिन ये नियम वर्षों बाद भी लागू नहीं हुए। यदि ये कथित औजार किसी वारदात के प्रयेाग किए जाते हैं तो आरोपी पर आम्क्वर्स एक्ट जैसी धारा भी नहीं लगती। कानून केजानकार कहते हैं कि आमतौर पर देशी कट्टा व कोई भी देशी हथियार पर आर्म एक्ट के तहत कार्रवाई होती है लेकिन इन कृषि यंत्रों जैसे दिखने वाले हथियारों पर आम्क्वर्स एक्ट भी नहीं लगता। आम्क्वर्स एक्ट में औजारों के साइज और बनावट तय तय किए गए हंै जो हथियारों की श्रेणी में नहीं आते लेकिन आजकल जो औजार वारदातों में प्रयोग हो रहे हैं वे दिखते तो कृषि यंत्रों जैसे हंै लेकिन असल में हथियारों से भी खतरनाक हैं। इसके अलावा धरने-प्रदर्शन उग्र होने पर गंडासी, दरांत व फरसे जैसे देसी हथियार लहराना आम बात हो चुकी है। हरियाणा में हुए पिछले तीन बड़े आंदोलनों में भी इसी तरह के हथियारों का भी खुले तौर पर इस्तेमाल हुआ था। इस विषय पर उपायुक्त प्रियंका सोनी का पक्ष था कि यह गंभीर मामला है। इस बारे में एक्शन लिया जाएगा। मामला संज्ञान में आने के बाद जिला उपायुक्त ने कार्यवाही करने की बात भी कही।
कुछ घटनाएं, जिनमें कृषि औज़ारोंं से हत्याएं हुईं
कैथल में नवंबर 2017 में गांव सिरसल में चाकू से पिता व पुत्र की हत्या की गई। जुलाई 2018 में कैथल की बालाजी कॉलोनी में चाकू से ही पिता-पुत्र की हत्या को अंजाम दिया। वर्ष 2018 में ही बाबा लदाना मेले से लौट रहे युवक के सिर में चाकू व सुए मारकर हत्या कर दी। इसी साल 31 मई को नरड़ गांव के सुनील की सिर व पेट में सुए मारकर हत्या की गई, उससे 10 दिन पहले कोर्ट में एक गवाह पर सुए से हमला किया गया। इसी प्रकार 12 अप्रैल को यहां चंदाना गेट पर युवक पर गंडासी व सुए से हमला कर हत्या का प्रयास किया गया। कुछ दिन पहले गांव पाई में युवक संसार चंद की गंडासी जैसे तेजधार हथियार से हत्या की गई थी।
-प्रदीप हरित
कैथल (हरियाणा). आपसी झगड़े, आंदोलन, प्रदर्शन, धार्मिक शोभा यात्रा आदि में अकसर गंडासी, खंजर, बरछे आदि कृषि औजार लहराते हुए देखे जा सकते हंै। हत्या, गंभीर चोट मारने के असंक्चय ऐसे मामले रोज सामने आते हैं जिनमें इस तरह के कृषि यंत्रों अथवा औजारों से वारदात को अंजाम दिया गया हो। कहने को तो ये कृषि में प्रयोग होने वाले औजार हैं लेकिन आजकल इनका प्रयोग खेती में कम और आपराधिक गतिविधियों में ज्यादा किया जा रहा है। इस प्रकार के खतरनाक औजार खरीदने के लिए न तो भागदौड़ की जरूरत है और ना ही किसी डॉक्यूमेंट की और न ही किसी लाईसैंस की। हर शहर में इस तरह के हथियारों की बिक्री सरेआम होती है। लोहे के भाव में गंडासी, चाकू, खंजर, दरांत, भाला, जेली सब कुछ खरीदा जा सकता है। हालांकि तेजधार हथियारों को घर में रखने के लिए कानून में लाईसेंस लेने का प्रावधान है लेकिन ये नियम वर्षों बाद भी लागू नहीं हुए। यदि ये कथित औजार किसी वारदात के प्रयेाग किए जाते हैं तो आरोपी पर आम्क्वर्स एक्ट जैसी धारा भी नहीं लगती। कानून केजानकार कहते हैं कि आमतौर पर देशी कट्टा व कोई भी देशी हथियार पर आर्म एक्ट के तहत कार्रवाई होती है लेकिन इन कृषि यंत्रों जैसे दिखने वाले हथियारों पर आम्क्वर्स एक्ट भी नहीं लगता। आम्क्वर्स एक्ट में औजारों के साइज और बनावट तय तय किए गए हंै जो हथियारों की श्रेणी में नहीं आते लेकिन आजकल जो औजार वारदातों में प्रयोग हो रहे हैं वे दिखते तो कृषि यंत्रों जैसे हंै लेकिन असल में हथियारों से भी खतरनाक हैं। इसके अलावा धरने-प्रदर्शन उग्र होने पर गंडासी, दरांत व फरसे जैसे देसी हथियार लहराना आम बात हो चुकी है। हरियाणा में हुए पिछले तीन बड़े आंदोलनों में भी इसी तरह के हथियारों का भी खुले तौर पर इस्तेमाल हुआ था। इस विषय पर उपायुक्त प्रियंका सोनी का पक्ष था कि यह गंभीर मामला है। इस बारे में एक्शन लिया जाएगा। मामला संज्ञान में आने के बाद जिला उपायुक्त ने कार्यवाही करने की बात भी कही।
कुछ घटनाएं, जिनमें कृषि औज़ारोंं से हत्याएं हुईं
कैथल में नवंबर 2017 में गांव सिरसल में चाकू से पिता व पुत्र की हत्या की गई। जुलाई 2018 में कैथल की बालाजी कॉलोनी में चाकू से ही पिता-पुत्र की हत्या को अंजाम दिया। वर्ष 2018 में ही बाबा लदाना मेले से लौट रहे युवक के सिर में चाकू व सुए मारकर हत्या कर दी। इसी साल 31 मई को नरड़ गांव के सुनील की सिर व पेट में सुए मारकर हत्या की गई, उससे 10 दिन पहले कोर्ट में एक गवाह पर सुए से हमला किया गया। इसी प्रकार 12 अप्रैल को यहां चंदाना गेट पर युवक पर गंडासी व सुए से हमला कर हत्या का प्रयास किया गया। कुछ दिन पहले गांव पाई में युवक संसार चंद की गंडासी जैसे तेजधार हथियार से हत्या की गई थी।