डॉ. फ़िरदौस ख़ान  

हमारे प्यारे हिन्दुस्तान की सौंधी मिट्टी में आज भी मुहब्बत की महक बरक़रार है. इसलिए यहां के बाशिन्दे वक़्त-दर-वक़्त इंसानियत, प्रेम और भाईचारे की मिसाल पेश करते रहते हैं. कितने ही मामले ऐसे हैं, जब यहां के हिन्दू और सिख भाइयों ने मुसलमानों को मस्जिदों और क़ब्रिस्तानों के लिए ज़मीनें दी है.   

हाल ही में पंजाब का ही वाक़िया देखें. पंजाब के मलेरकोटला ज़िले की तहसील अहमदगढ़ के गांव उमरपुरा में 9 दिसम्बर 2025 के मुबारक दिन पहली बार नई मस्जिद में नमाज़ अदा की गई. पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने पहली नमाज़ पढ़ाई. यह गांव की पहली मस्जिद है. इससे पहले गांव में कोई मस्जिद नहीं थी.
ख़ुशनुमा बात यह है कि गुज़श्ता जनवरी 2025 में गांव के पूर्व सरपंच सुखजिन्दर सिंह नोनी और उनके भाई अवनिन्दर सिंह ने अपनी 5.5 बिस्वा ज़मीन मस्जिद के लिए वक़्फ़ की थी, ताकि गांव के मुसलमान भाई अपने ही गांव में नमाज़ अदा कर सकें. गांव के मुसलमानों को नमाज़ के लिए दूर-दराज़ के इलाक़ों में जाना पड़ता था. मस्जिद की तामीर में गांव के सिख परिवारों ने भी हर मुमकिन मदद की.
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'शिवम उर्फ़ अहीर धाम क़ब्रिस्तान
गुज़श्ता दिसम्बर माह में बिहार के बक्सर ज़िले के चौसा प्रखंड के रामपुर पंचायत के गांव डेवी डिहरा के जनार्दन सिंह ने अपने बेटे शिवम कुमार की मौत के बाद मुसलमानों के क़ब्रिस्तान के लिए एक बीघा ज़मीन वक़्फ़ कर दी. 
गुज़श्ता 18 नवम्बर 2025 को देहरादून में हुए एक सड़क हादसे में शिवम कुमार की मौत हो गई थी. शिवम एक नेक युवक था और वह ज़रूरतमंदों की मदद करता था. इसलिए उसके परिवार ने अपने बेटे की याद में क़ब्रिस्तान को ज़मीन देने का फ़ैसला किया, ताकि शिवम की स्मृति आने वाली पीढ़ियों के बीच इंसानियत की मिसाल बनकर ज़िन्दा रहे. इस क़ब्रिस्तान का नाम 'शिवम उर्फ़ अहीर धाम क़ब्रिस्तान’ रखा गया है. यहां शिवम की स्मृति में पौधारोपण भी किया गया.
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गुज़श्ता 28 नवम्बर 2025 को जम्मू में जम्मू डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पत्रकार अरफ़ाज़ डिंग का घर ढहा दिया, तो उनके हिन्दू पड़ौसी कुलदीप शर्मा ने उन्हें अपनी ज़मीन का एक हिस्सा देने की पेशकश की, ताकि वह अपना घर बना सकें. ये भी आपसी भाईचारे की एक शानदार मिसाल है.
गुज़श्ता मई 2022 में उत्तराखंड के रुद्रपुर में दो हिन्दू बहनों सरोज और अनीता ने ईदगाह के लिए ज़मीन वक़्फ़ की थी. काशीपुर इलाक़े में ईदगाह कमेटी के प्रमुख हसीन ख़ान ने कहा था- “जब हमारा देश साम्प्रदायिक तनाव झेल रहा है, तब ऐसे माहौल में इन बहनों का ज़मीन वक़्फ़ करना महान काम है.”
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गुज़श्ता जून 2019 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या के गोसाईगंज इलाक़े के गांव बेलवारी खान के हिन्दू भाइयों ने मुसलमानों को क़ब्रिस्तान के लिए ज़मीन वक़्फ़ की थी. भूमि दानकर्ता रीपदांद महाराज ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से गोसाईगंज नगर व आसपास के मुसलमान इस ज़मीन को क़ब्रिस्तान के रूप में इस्तेमाल करते आए हैं. इसलिए हम लोगों ने अपने पूर्वजों के दिए गये वचन को निभाते हुए खतौनी में चले आ रहे अपने मालिकाना हक़ को ख़त्म करते हुए मुस्लिम क़ब्रिस्तान कमेटी के पक्ष में पंजीकृत दान पत्र लिख दिया है. 
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गुज़श्ता मई 2016 में बिहार के सिवान ज़िले की बिसवार पंचायत के गांव खडखडिया में एक हिन्दू भाई चन्द्र कुमार तिवारी ने अपनी निजी ज़मीन का कुछ हिस्सा मुसलमानों के क़ब्रिस्तान के लिए वक़्फ़ कर इंसानियत की मिसाल क़ायम की. उन्होंने अपनी पैतृक ज़मीन खाता संख्या 85 तौजी संख्या 6310 रक़बा 4 कट्ठा 11 धुर में से उत्तर पश्चिम के कोने पर 4 कट्ठा भूमि मुस्लिम क़ब्रिस्तान के लिए दी.  
सब भाई-बहनों को दिल से सलाम. मुहब्बत का ये जज़्बा यूं ही क़ायम रहे, आमीन


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

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