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नई दिल्ली. श्रम और रोजगार राज्य मंत्री हरीश रावत ने कहा है कि भारत के महापंजीयक द्वारा कराई गई जनगणना ही कामकाजी बच्चों की संख्या संबंधी सूचना का एकमात्र स्रोत है। जनगणना 2001 के अनुसार देश में कामकाजी बच्चों की संख्या 1.26 करोड़ है।

आज राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सरकार, बाल श्रम के सभी स्वरूपों के उन्मूलन के लिए प्रतिबध्द है। सरकर ने कामकाजी बच्चों को कार्य से हटाने और पुनर्वासित करने के लिए जोखिमकारी व्यवसायों/प्रक्रियाओं में कार्यरत बच्चों से प्रारम्भ करके और बाद में अन्य व्यवसायों में कार्यरत बच्चों को कवर करते हुए एक क्रमिक तथा आनुक्रमिक दृष्टिकोण अंगीकार किया है। जोखिमकारी सूची में शामिल किए गए व्यवसायों और प्रक्रियाओं की संख्या की समय-समय पर समीक्षा की जाती है तथा वर्तमान में 16 व्यवसायों और 65 प्रक्रियाओं को कवर करने के लिए इनका विस्तार किया गया है । इस दिशा में, सरकार देश के 271 जिलों में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) स्कीम क्रियान्वित कर रही है। इस स्कीम के अंतर्गत, कार्य से हटाए गए बच्चों को विशेष स्कूलों में दाखिला दिलाया जाता है जहां उन्हें ब्रिजिंग शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति, पोषाहार और स्वास्थ्य देख-रेख सुविधाएं आदि उपलब्ध करवाई जाती हैं।


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