भाजपा !
देखो, कहीं, किसी कोने में, अखबारों में नाम छपा ??
कांग्रेस !
एक्सप्रेस है, लोगे रेस ??
विपक्ष ने मांगी सफाई !
कहा पक्ष ने,"आप कहीं भी, इसको कर सकते हैं, भाई !!"
दो स्तरीय वार्ता !
जनता को क्या बतलायेंगे, कि उसमें क्या सार था ??
वायुयान !
बिना किसी टक्कर के अब तो, भरता ही वो नहीं उड़ान !!
अभियान !
महंगाई में नहीं ज़रुरत, अन्दर सब पहनें बनियान !!
टकराव !
इसके बाद इसी मुद्दे पर, पैदा करवाएं सदभाव !!
झटके !
है तबादला-प्रेमी सी. एम., जाने कहां उठाकर पटके ??
आरक्षण !
है चुनाव से पहले, सबको देने का प्रण !!
धरना !
धरना देने के विरोध में, काम वही अबकी से करना !!
आशंका !
लंका का बीमा करवाकर, रावण ना फुंकवा दे लंका !!
-अतुल मिश्र
सूफ़ियाना बसंत पंचमी...
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*फ़िरदौस ख़ान*
सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह
में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...