गांधीवाद और गांधीगिरि के लिए मुन्नाभाई ने जो किया, वही आधुनिकीकरण ने खादी को एक जनाधार देकर किया है। खादी पर कुछ चुनींदा राजनीतिज्ञों के विशेषाधिकार से ज्यादा नहीं सोचा जाता था। लेकिन आजकल मॉडलों को खादी परिधानों को पहनें रैम्प पर इठलाकर उतरते-चढ़ते देखना मुश्किल नहीं है। खादी वस्त्रों में आधुनिक डिजाईन और फैशन को पेश करने के लिए, खादी और ग्राम उद्योग आयोग (केवीआईसी), ने राष्ट्रीय डिजाईन संस्थान (एनआईडी), अहमदाबाद और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी),नई दिल्ली के साथ संपर्क स्थापित किये हैं। केवीआईसी और प्रमुख खादी उत्पादन संस्थानों की सलाह के साथ एनआईडी विशेषज्ञों द्वारा बड़ी संख्या में डिजाईन तैयार किये जाते हैं। खादी ग्रामोद्योग भवन, नई दिल्ली के वस्त्र निर्माताओं और दर्जियों को शामिल करते हुए एनआईएफटी द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी चलाया जाता है। नवीन खादी डिजाईनों और परिधानों को प्रस्तुत करने के लिए फैशन शो नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं। और, वास्तव में, यह भावी खरीदारों के दिमाग में बदलाव लाते हैं।
चरखा, खादी और गांधीजी
खादी और चरखे को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। जैसा कि हम जानते हैं, चरखे पर सूत को कातकर खादी बुनने की शुरुआत हुई। असहयोग आन्दोलन के दौरान, स्वतंत्रता प्राप्त करने में चरखा एक हथियार बन गया था। गांधीजी ने कहा, ”मेरे स्वप्न में, मेरे शयन में, और भोजन के वक्त भी, मैं चरखा कातने के बारे में सोचता हूं। चरखा कातना मेरी तलवार है। मेरे लिए यह भारत की आजादी का प्रतीक है।” प्रारंभ से ही खादी और चरखे को प्रोत्साहन देने के लिए केवीआईसी निरंतर रूप से कार्य कर रहा है। चरखे और अन्य उपकरणों को आधुनिक बनाने के लिए आयोग ने अनेक कदम उठाये हैं। पारम्परिक चरखे से ई-चरखे तक की लंबे मार्ग में इसे विभिन्न बाधाओं को पार करना पड़ा है। ई-चरखे का निर्माण बंगलौर के एक अभियंता श्री हरमथ द्वारा किया गया है। ई-चरखें को भारत की महामहिम श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा 19 नवंबर, 2007 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसकी सतह में एक बिना तार और मरम्मत न की जाने वाली एसिड बैटरी लगी है जो एक इनवर्टर की तरह से कार्य करती है। इस प्रणाली में, चरखे को चलाये जाने से बैटरी चार्ज हो जाती है और इसके संचित और आपूर्ति से एक छोटी सीसा आधारित गृह लाईट को जलाया जा सकता है। बैटरी एक छोटे ट्रांजिस्टर को चलाने के लिए भी विद्युत प्रदान करती है। ई-चरखे पर करीब दो घंटे कातने से इससे करीब छ: से सात घंटे तक साधारण रोशनी ली जा सकती है और रेडियो को चलाया जा सकता है।
आधुनिकीकरण योजनाएं
चरखे से ई-चरखे के परिवर्तन के अलावा, केवीआईसी द्वारा अनेक आधुनिकीकरण योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। खादी उद्योग और शिल्पकारों की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए नामक एक योजना 11वीं योजना में कार्यान्वित होने के लिए प्रस्तावित है। इस योजना के अंतर्गत, चरखों और करघों के बदलाव, वस्त्रों को सिलेसिलाये वस्त्रों में बदलाव और खादी उद्योग को और अधिक प्रतियोगी और लाभप्रद बनाने के लिए 200 संस्थानों को 90 करोड़ रूपए की सहायता के तौर पर प्रदान किये जाने हैं। खादी उत्पादों के नवीकरण, कम्प्यूटरीकरण, विपणन बुनियादी ढांचे, उत्पादों की गुणवत्ता सुधार, बेहतर संवेष्टन आदि को सहायता प्रदान करने के लिए एक अन्य प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया जा चुका है।
उत्पाद विविधता
वैश्विकरण के इस युग में, किसी भी उद्योग को जीवित रखने का मूलमंत्र विविधता लाना ही है। खादी इससे पूर्व सिर्फ वस्त्र के रूप में ही विक्रय किया जाता था। उपभोक्ता मांग के अनुसार विभिन्न संस्थानों को तैयार वस्त्रों के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है, जिसके लिए उन्हें उत्पाद विकास, डिजाईन हस्तक्षेप और पैकेजिंग(पीआरओडीआईपी) नामक योजना के अंतर्गत पेशेवर डिजाईनरों से सहायता उपलब्ध कराई जाती है। यह योजना बाजार उपलब्धता बढ़ाने, वर्तमान भंडार को बाजार में स्वीकार्य उपयुक्त उत्पादों में बदलने, और बेहतर सिलाई, संवेष्टन, डिजाईन आदि के द्वारा उत्पाद की बाजार उपयोगिता में सुधार के उद्देश्य के साथ उत्पाद की विविधता के लिए बनायी गयी है। उपयोग के लिए तैयार खादी उत्पादों के कारण बिक्री मात्रा और उपयोगिता में वृध्दि हो चुकी है। बदलती बाजार दृश्यविधान को देखते हुए, वर्तमान तकीनीकी को आधुनिक बनाने और इसमें नवीन परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य के साथ केवीआईसी राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी आदि के माधयम से विभिन्न अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रही है। केवीआईसी ने केवीआई उत्पादों के तीन ब्रांडों को पेश किया है। ये खादी ब्रांड, सर्वोदय ब्रांड और देसी आहार प्रकार हैं। खादी ब्रांड के अंतर्गत उत्पादों को विशेषतौर पर निर्यात के लिए तैयार किया जाता है। औषधीय उत्पाद जैसे मेंहदी, शैम्पू, नीम साबुन, चेहरे पर कांति लाने वाले उत्पाद, स्नान तेल, गुलाब जल आदि और उच्च फैशन डिजाईन के तैयार वस्त्रों को इस ब्रांड के अतर्गत बनाया जाता है। साबुन, शहद, अचार, अगरबत्ती, आदि सर्वोदय ब्रांड के अंतर्गत आते हैं। प्राकृतिक खाद्यान वस्तुएं जैसे दाल, अनाज और मसालें, गुड़, दलिया आदि और पारंपरिक और मानवजातीय प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का विपणन देसी अहार ब्रांड के अंतर्गत किया जाता है।
निर्यात
भारतीय निर्यातक संगठन संघ (एफआईईओ) की तरह छत्र निर्यात प्रोत्साहन परिषद की तर्ज पर सहायता को बढ़ाने के लिए केवीआईसी निर्यात प्रोत्साहन परिषद का दर्जा प्राप्त कर चुकी है। इसके मुख्य उद्देश्य केवीआई उत्पादों उच्च स्तरीय समानों और सेवाओं की आपूर्ति के रूप में विदेश में पहचान बढ़ाना, निर्यातकों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानकों और विर्निदेशों के अनुपालन को प्रोत्साहित और देखरेख करना, व्यापार सूचनाओं को एकत्र#प्रसार करना, खरीदार#विक्रेता बैठक का आयोजन आदि हैं। केवीआई सामानों के निर्यात की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार 2006-07 के 53.73 करोड़ की तुलना में निर्यात 2007-08 के दौरान 80 करोड़ रूपए से भी ज्यादा रहा है। । 11 वीं योजना के अंत तक केवीआईसी-ईपीसी के अंतर्गत निर्यात लक्ष्य 1000 करोड़ रूपए प्राप्त करने का रखा गया है। विदेशी बाजारों में उत्कृष्ट केवीआई सामानों की प्रस्तुति के लिए केवीआईसी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भी भाग लेता है।
खादी में समूह प्रस्ताव
प्राथमिक तौर पर एक से#समान उत्पादों/सेवाओं अथवा एक ही प्रकार की निर्माण गतिविधियों में संलग्न अथवा सेवाओं, एक ही पहचान के साथ स्थित, और एक समान उपयोगी, निकटस्थ क्षेत्र में उत्पादन करने वाले उद्यमों को एकत्र किया जाना ही समूह है। लघु स्तरीय उघोग मंत्रालय जो अब सूक्ष्म, लघु और मधयम उद्यम मंत्रालय है, ने समूह विकास पर खास जोर देते हुए 1998 में यूपीटीईसीएच नाम के एक प्रौद्योगिकी संवंर्ध्दन और प्रबंधन कार्यक्रम योजना का शुभारम्भ किया था। बाद में, अगस्त, 2003 में इस योजना को लघु उद्योग समूह विकास कार्यक्रम (एसआईसीडीपी) का फिर से नया नाम दिया गया और इसमें उद्यमों की प्रौद्योगिकी संवंर्ध्दन के अलावा सम्मिलित समूह विपणन विकास, निर्यातों, दक्षता विकास, आम सुविधा केन्द्रों के गठन आदि महत्वपूर्ण तरीकों को स्वीकार करते हुए इसे और अधिक व्यापक आधार दिया गया।
उपलब्ध संसाधनों के माधयम से दीर्घावधि प्रसार के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक सुविधायें प्रदान करते हुए समूह कार्यक्रम को और अधिक व्यापक बनाने के लिए, एसआईसीडीपी दिशानिर्देशों में मार्च, 2006 में व्यापक तौर पर संशोधन किया गया था।
सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन कार्यक्रम के अनुसार, एसआईसीडीपी को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसे सूक्ष्म और लघु उद्योग- समूह विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) का फिर से नाम दिया गया। खादी के समूह विकास कार्यक्रम के लिए पारंपरिक उद्योगों के पुर्नउत्पादन के लिए कोष नामक योजना (एसएफयूआरटीआई) को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। केवीआईसी देश के विभिन्न भागों में 22 समूहों की शुरूआत कर चुकी है। कुछ और भी शीघ्र ही परिचालित की रही हैं।
कार्यस्थल योजना
सरकार ने केवीआईसी के माधयम से विशेष रूप से गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी से संबधित खादी बुनकरों और कताईकारों के विकास को सुनिश्चित करने के प्रयास के तहत कार्यस्थलों के निर्माण हेतु उनको वित्तीय सहायता प्रदान किये जाने की एक नई केन्द्रीय क्षेत्र योजना स्कीम ” खादी दस्तकारों के लिए कार्यस्थल योजना ” को 27 मई, 2008 से कार्यान्वित किये जाने की प्रारंभिक आधार पर स्वीकृति दे दी।
इस योजना को 11वीं योजना (2008-09 से 2011-12)के दौरान लागू किया जाएगा। इसके अंतर्गत भारत सरकार के बजटीय स्रोतों से केवीआईसी को 95 करोड़ रूपए के अनुदान के तौर पर वित्तीय सहायता के साथ कुल 127 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत से 38,000 हजार कार्यस्थलों का निर्माण किये जाने का प्रस्ताव है।
कार्यस्थलों की लागत को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान अतिरिक्त कोषों से ज्यादा लागत को पूरा करने में खादी संस्थान अपना सहयोग कर सकते हैं पर इससे लाभान्वित लोगों से किसी तरह का आर्थिक सहयोग नहीं लिया जाएगा। व्यक्तिगत कार्यस्थल के मामले में, खादी संस्थान राज्य स्तर पर दस्तकार कल्याण न्यास के लाभान्वितों के दस्तकार कल्याण कोष की जमा धनराशि को जारी कर सकते हैं। सरकार द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता, संस्थानों की दी जाएगी (जिससे योजना से लाभान्वित लोग जुड़े हैं), जो कार्यस्थलों के निर्माण के लिए उत्तरदायी होगा (चाहे प्रत्यक्ष अथवा निरीक्षण के अतंर्गत)और केवीआईसी गतिविधियों का निरीक्षण करेगा।
गांधीजी ने कहा था, '' मेरी दृष्टि में, खादी का तब तक कोई महत्व नहीं होगा जब तक यह लाखों के लिए रोजगार उपयोगी नहीं बनती।'' गांधीजी के स्वप्न को धयान में रखते हुए, केवीआईसी ने विभिन्न कार्यक्रमों के माधयम से हमारे लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया है।