फ़िरदौस ख़ान
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में समाज के सभी तबक़ों का ख़्याल रखा है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों का ज़िक्र करते हुए कहा है कि धार्मिक बहुलता भारत के विविध इतिहास को दर्शाता है. इतिहास को बदला नहीं जा सकता. भारत में रहने वाले सभी लोग और भारत में पैदा हुए सभी बच्चे समान रूप से मानवाधिकारों के हक़दार हैं, जिसमें कि अपने धर्म का पालन करने का अधिकार भी शामिल है. बहुलतावाद और विविधता भारत की प्रकृति के मूल में हैं और हमारे संविधान की प्रस्तावना में निहित हैं. भारत के इतिहास और लोकतांत्रिक परम्पराओं को समझते हुए कांग्रेस का मानना है कि तनाशाही या बहुसंख्यकवाद के लिए देश में कोई जगह नहीं है. भाषीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत के किसी अन्य नागरिक की तरह ही मानव और नागरिक अधिकार प्राप्त हैं. कांग्रेस भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
कांग्रेस भारत के संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 25, 28, 29 और 30 के तहत अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरक़रार रखेगी.
कांग्रेस भारत के संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 29 और 30 के तहत भाषा की दृष्टि से अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरक़रार रखेगी.
कांग्रेस अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों और युवाओं को शिक्षा, रोज़गार, व्यवसाय, सेवाओं, खेल, कला और अन्य क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगी और सहायता देगी.
कांग्रेस विदेश में अध्ययन के लिए मौलाना आज़ाद छात्रवृत्ति को फिर से लागू करेगी और छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाएगी.
अल्पसंख्यक अपने मानवीय और नागरिक अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें इसके लिए उनका आर्थिक सशक्तिकरण आवश्यक है. कांग्रेस आसान ऋण प्रदान करने की नीति बनाएगी.
कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सरकारी नौकरी, लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के उचित अवसर मिलें.
कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक नागरिक की तरह अल्पसंख्यकों को भी पोशाक, खान-पान, भाषा और व्यक्तिगत क़ानूनों की स्वतंत्रता हो.
कांग्रेस व्यक्तिगत क़ानूनों में सुधार को बढ़ावा देगी. यह सुधार संबंधित समुदायों की भागीदारी और सहमति से किए जाएंगे.
कांग्रेस संविधान की आठवीं अनुसूची में अधिक भाषाओं को शामिल करने की लम्बे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने का वादा करती है.
इसी तरह कांग्रेस ने वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं, दिव्यांगों और LGBTQIA+ तबक़े के लिए भी कई वादे किए हैं. वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए पेंशन में केंद्र सरकार का योगदान महज़ 200-500 रुपये प्रति माह है. कांग्रेस पेंशन की इस राशि को बढ़ाकर न्यूनतम 1,000 रुपये प्रति माह करेगी.
कांग्रेस वरिष्ठ नागरिकों को आसानी से क़ानूनी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए क़दम उठाएगी, विशेष रूप से उपेक्षा, दुर्व्यवहार, परित्याग, बेदख़ली और वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में.
कांग्रेस ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007’ की समीक्षा करेगी, साथ ही इसकी कमियों को दूर करते हुए और इसे प्रभावी ढंग से लागू करेगी.
कांग्रेस वरिष्ठ नागरिकों के लिए सार्वजनिक परिवहन (रेल और सड़क) में यात्रा छूट दोबारा लागू करेगी.
कांग्रेस ‘विकलांगता’ ‘क्षति’ या ‘यौन रुझान’ के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का विस्तार करेगी.
कांग्रेस ब्रेल लिपि और सांकेतिक भाषा को भाषा के रूप में मान्यता देगी.
कांग्रेस विशेष आवश्यकता वाले और दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष शिक्षा हेतु राष्ट्रीय अनुसंधान और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगी.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई अधिनियम के तर्ज़ पर कांग्रेस देशभर में स्थानीय सरकारी निकायों में दिव्यांग व्यक्तियों को अनिवार्य प्रतिनिधित्व देगी.
कांग्रेस दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 को सख़्ती से लागू करेगी.
कांग्रेस पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से देश भर में दिव्यांग जनों के लिए सहायता एवं देखभाल केंद्र स्थापित करने के लिए एक योजना लागू करेगी.
कांग्रेस विस्तृत परामर्श के बाद ऐसा क़ानून लाएगी जो LGBTQIA+ समुदाय के नागरिक भागीदारी (‘सिविल यूनियन’) को क़ानूनी रूप से मान्यता देगा.