चांदनी
नई दिल्ली. सभी महिलाओं को दिल की बीमारी का खतरा होता है. 65 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को 325 एमजी की एस्प्रिन लेने से पहले अगर वे इसे पहले नहीं लेती रही हैं तो उन्हें चाहिए कि वे अपने डॉक्टर से संपर्क करें. कम उम्र की महिलाओं को इस खतरे से बचने के लिए रोजाना कम से कम 60 से लेकर 90 मिनट तक मध्यम किस्म का व्यायाम करना चाहिए. उदाहरण के तौर पर तेज गति से चलना और इसे हफ्ते के सातों दिन अपनाना चाहिए.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ महिलाओं का दिल अलग तरह का होता है जब उनको हार्ट अटैक होता है तो वे ज्यादा ध्यान नहीं देतीं और फिर उनको कहीं ज्यादा गंभीर अटैक होता है. महिलाओं को दिल की बीमारी और हार्ट अटैक पुरुषों की तरह होते हैं. 65 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में मौत का मुख्य कारण दिल की बीमारी ही होती है. शहरी महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा स्तन कैंसर की तुलना में चार से छह गुना ज़्यादा होता है. दिल की बीमारी से 65 से अधिक उम्र के बाद होने वाली मौतों की तादाद सभी तरह के कैंसर से होने वाली मौतों से भी ज्यादा हैं.
तथ्य और दिशा-निर्देश:
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल की बीमारियां करीब सात से लेकर 8 साल बाद होती हैं, लेकिन 65 की उम्र के बाद यह खतरा लगभग दोनों में समान होता है.
पुरुषों की तुलना में महिलाएं हार्ट अटैक के बाद कम बच पाती हैं.
जीवन शैली सम्बंधी बदलाव के जरिए ब्लड प्रेशर के साथ ही वज़न पर काबू पाया जा सकता है. इसमें शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाकर, सीमित मात्रा में शराब, नमक में कमी और ताजे फल व सब्जियों का सेवन करके साथ ही कम वसा वाले डेयरी का उत्पाद लेकर संभव हैं.
महिलाएं धूम्रपान को काउंसिलिंग, निकोटीन रीप्लेसमेंट या अन्य तरह के स्मोकिंग सेसेशन थेरेपी के जरिए छोड़ने के तरीके अपना सकती हैं.
जो महिलाएं अपना वज़न घटाना चाहती हैं या स्थिर रखना चाहती हैं, उन्हें चाहिए कि वे रोजाना कम से कम 60-90 मिनट तक मध्यम किस्म का व्यायाम करे जैसे कि तेज गति से चलना और इसे हफ्ते के सातों दिन अपनाएं.
सभी महिलाओं को चाहिए कि वे सैचुरेटिड फैट में कमी करें जिससे 7 फीसदी कैलोरी को कम किया जा सके.
स्वस्थ महिलाओं को ऑयली फिष कम से कम हफ्ते में दो दिन लेनी चाहिए, ताकि ओमेगा 3 फैटी एसिड की भरपाई हो सके. जो महिलाएं दिल की बीमारी से ग्रसित हों और उनका उच्च ट्राइग्लाइसराइड स्तर अधिक हो तो उन्हें ईपीए (इकोसैपेटेनॉइक एसिड) और डीएचए (डोकोहैक्जेनॉइक एसिड) की 850-1000 एमजी की सप्लीमेंट कैप्सूल लेनी चाहिए, जिससे यह 2-4 ग्राम बढ़ जाता है.
महिलाओं में हृदय सम्बंधी बीमारी से बचाव के लिए हार्मोन रीप्लेसमेंट थेरेपी और सेलेक्टिव एस्ट्रोजेन रीसेप्टर मॉडयूलेटर्स न अपनाने की सलाह दी जाती है.
दिल की बीमारी से बचाव के लिए प्राथमिक या द्वितीयक रूप में एंटीऑक्सीडेंट सप्लीमेंट (जैसे विटामिन ई, सी और बीटा-कैरोटीन) नहीं लेने चाहिए.
दिल की बीमारी से बचाव के लिए फोलिक एसिड का इस्तेमाल न करें.
अगर कुछ और समस्या न हो तो 65 या इससे अधिक उम्र की महिलाओं में नियमित तौर पर एस्प्रिन की डोज फायदा कर सकती है.
उच्च आशंकित महिलाओं को रोज़ाना बजाय 162 एमजी की जगह 325 एमजी की एस्प्रिन लेनी चाहिए.
हृदय बीमारी की शिकार और बहुत ज़्यादा जोखिम वाली महिलाएं बैड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल में कमी करके इसे 70 एमजी/डीएल तक लाएं.
महिलाओं को दिल की बीमारी से बचाव के लिए महत्वपूर्ण 10 बिंदु :
जीवन शैली में बदलाव लाने पर ज़ोर दें.
दिल की बीमारी में हार्मोन रीप्लेसमेंट थेरेपी मददगार नहीं होती.
सभी महिलाएं पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड लें.
सैचुरेटिड फैट लेने में सभी महिलाओं को कमी करनी चाहिए.
सभी औरतें व्यायाम ज़रूर करें.
निकोटीन रीप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता हैं.
एंटीऑक्सीडेंट से दिल की बीमारी का बचाव नहीं होता.
फोलिक एसिड से भी दिल की बीमारी का बचाव नहीं होता है.
65 साल से अधिक उम्र वाली सभी महिलाओं को रोजाना एस्प्रिन लेने के बारे में विचार करना चाहिए.
उच्च आशंकित महिलाओं को कोलेस्ट्रॉल उपचार पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत होती है.