कल्पना पालकीवाला
ऐसे कई बांस प्रजाति होते हैं जिन्हें बगीचों में लगाया जाता है। बांस दो तरह से लगाया जाता है - संधिताक्षी और एकलाक्षी। जो बांस संधिताक्षी विधि से लगाए जाते हैं वे धीरे-धीरे बढ़ते हैं, क्योंकि इस तरह की विधि से लगाए जाने वाले पौधों की जड़ें धीरे-धीरे फैलती हैं। एकलाक्षी विधि से लगाए जाने वाले बांस बहुत तेजी से बढ़ते हैं इसलिए उनकी विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। ये बांस मुख्यत: अपनी जड़ों से और कुछ मामलों में अपनी मूल गांठों के जरिए बढ़ते हैं। वे जमीन के अंदर तेजी से फैलते हैं और उनकी नई-नई कोंपलें फूटकर बाहर निकल आती हैं। एकलाक्षी बांसों की प्रजातियों में बहुत विविधता है। कुछ तो एक साल में ही बहुत बढ़ जाती हैं तो कुछ लंबे समय तक एक ही जगह फैलती रहती हैं। यदि बांस में कभी-कभार फूल भी आ जाते हैं, लेकिन अलग-अलग किस्मों के बांस में फूल आने की बारंबारता भी अलग-अलग होती है। एक बार जब फूल आ जाते हैं तो पौधा मुरझाना शुरू हो जाता है और फिर मर जाता है। फूलों में जो बीज होते हैं उन्हें उस प्रजाति को दोबारा जिंदा करने के काम में लाया जा सकता है। लेकिन फूल आने की वजह से प्रजाति के बदल जाने की संभावना रहती है। इस तरह नई प्रजाति विकसित हो जाती है। ऐसे कई प्रजातियां हैं जिनका कई दशकों पहले कोई वजूद नहीं था। उन्हें फूलों ने विकसित किया। बीजों का जीवन आम तौर पर तीन से 12 महीनों का होता है। बीजों को ठंडे वातावरण में रखकर उसकी उपादेयता को कायम रखा जा सकता है। इससे उन्हें 4-8 सप्ताहों तक बोया जा सकता है। यद्यपि बांसों की कुछ ही प्रजातियों में एक समय में फूल आते हैं लेकिन जो लोग किसी विशेष प्रजाति के बाँस को लगाना चाहते हैं तो वे बीजों की प्रतीक्षा करने के बजाए पहले से ही लगे पौधों से काम चला सकते हैं।

बांस जब एक बार झुरमुट में विकसित हो जाते हैं तो बांसों को तब तक नष्ट नहीं किया जा सकता जब तक जमीन खोदकर उसकी गाँठों को समूल नष्ट न कर दिया जाए। यदि बांसों को खत्म करना है तो एक विकल्प और है, और वह यह है कि उसे काट दिया जाए और जब भी नई कोंपलें निकलें उन्हें फौरन तोड़ दिया जाए। यह काम तब तक किया जाए जब तक उसकी जड़ों का दाना-पानी न बंद हो जाए। अगर एक भी पत्ती फोटोसेंथेसिस का कार्य करने के लिए कायम रही तो बांस जी उठेगा और उसका बढ़ना जारी रहेगा। बांसों की बढत क़ो नियंत्रित करने के लिए रासायनिक तरीका भी इस्तेमाल किया जाता है।

एकलाक्षी बांस को अगल-बगल फैलने से रोकने के दो तरीके हैं। पहला तरीका है कि उसकी गांठों को लगातार छांटा जाता रहे, ताकि वहां से निकलकर बांस अपनी परिधि से बाहर नहीं जाए। इस कार्य के लिए कई औजार काम में आते हैं। अनुकूल मृदा परिस्थितियों में बांस की जड़ वाली गांठें जमीन की सतह के काफी निकट स्थित होती हैं। यानी तीन इंच तक या एक फुट तक। इसकी छंटाई साल में एक बार की जानी चाहिए लेकिन वसंत, ग्रीष्म या शीत के समय इसकी जांच जरूर की जाए। कुछ प्रजातियां ऐसी होती हैं जो बड़ी गहराई में होती हैं यहां तक कि फावड़ा उन तक नहीं पहुंच पाता।

बांस के झुरमुट को यहां-वहां फैलने से रोकने का दूसरा तरीका है कि झुरमुट के चारों तरफ बाड़ लगा दी जाए। ये तरीका सजावटी बांसों के लिए बहुत खतरनाक होता क्योंकि इससे बांस बंध जाते हैं और ऐसा लगता है कि पौधा बहुत दुखी है। ऐसे हालात में इस बात का भी अंदेशा रहता है कि गांठ ऊपर आ जाए और बाड़ तोड़कर बाहर निकल जाए। इस तरह की स्थिति में जो बांस रखे जाते हैं वे प्राय: नष्ट हो जाते हैं या उनकी बढत बाधित हो जाती है या कुछ का जीवन कम हो जाता है। उनकी बढत भी भरपूर नहीं होती, उनकी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, उनकी जड़ों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता और पत्तियां झड़ने लगती हैं। बाड़ प्राय: ईंट-गारे की और विशेष एचडीपीई प्लास्टिक की बनी होती हैं। ये बाड़ कभी न कभी नाकाम हो ही जाती है या इसके अंदर के बांस को बहुत नुकसान पहुंचता है। पांच-छह सालों में प्लास्टिक की बाड़ टूटने लगती है और उसके अंदर से गांठें बाहर निकलने लगती हैं। छोटे स्थान में नियमित रखरखाव ही बांस को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका है। निर्बाध फलने-फूलने वाले बांसों की तुलना में बाड़ों में कैद बांसों को नियंत्रित करना खासा कठिन काम है। संधिताक्षी बांसों के लिए बाड़ या उन्हें तराशना जरूरी नहीं है। इस तरह के बांस अगर बढ़ जाएं तो उनके एक हिस्से को काट दिया जाता है।


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • डॉ. फ़िरदौस ख़ान - डॉ. फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं