जगदीश्वर चतुर्वेदी
फेसबुक में एक नया मंच उभरकर आया है। एक नए किस्म के ऑनलाइन स्कूल बाथरूम
का जन्म हुआ है।यह ‘ई’ कुकर्मों का नाला है। यहां पर गंदे चुटकुले, नग्नता, कामुकता
पर ‘रसीली’ बातें खुलकर कर सकते हैं। Formspring.me नामक ‘ई’ मंच तुलनात्मक तौर पर
नया है लेकिन इस बेव मंच पर तरुणों की गतिविधियां विगत दो माह में काफी बढ़ी
हैं।
‘न्यूयार्क टाइम्स’ के अनुसार इस सामाजिक नेटवर्क को लेकर अमेरिकी अभिभावक बेहद
परेशान हैं। कोई भी यहां फ्री एकाउंट खोल सकता है। आप चाहें तो इस एकाउंट को ट्विटर
या फेसबुक खाते के साथ जोड़ सकते हैं।
यह ऐसा मंच है जिस पर जाकर आप वगैर अपनी पहचान बताए टीका-टिप्पणी कर सकते हैं।
साथ ही प्राइवेट मेल बॉक्स में जाकर सवाल कर सकते हैं। चाहे तो यूजर की उपेक्षा भी
कर सकते हैं।
इस सोशल नेटवर्क के जरिए ‘ई’ मंच पर अमेरिकी तरुणों की गंदगी बाहर आ गयी है। इस
मंच पर तरुणों ने गंदी-गंदी टिप्पणियां, दोस्तों के लुक और सेक्स को लेकर अवांछित
टिप्पणियां करनी शुरु कर दी हैं इससे अमेरिकी तरुणों के अभिभावक बेहद परेशान
हैं।
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं जब कोई व्यक्ति आपके सामने बोलने का साहस नहीं कर पाता
तो पीछे से वह क्या बोलता है,इस चीज को आसानी से इस बेव नेटवर्किंग के जरिए जाना जा
सकता है।
दूसरी ओर आम लोग परेशान है तरुणों के मन में छिपी गंदी, अश्लील, अशालीन,सेक्सी
टिप्पणियों की ‘ई’ अभिव्यक्ति से । अनेक अभिभावकों को मालूम ही नहीं है कि उनके
बच्चे इतनी गंदी सोशल नेटवर्किंग पर जाते हैं। ‘फॉर्मस्पायरिंग’ नामक इस सोशल साइट
पर अब तक 30 लाख से ज्यादा सवाल पूछे जा चुके हैं और उनके जबाव भी दिए जा चुके
हैं।
बच्चों के ऊपर इस साइट का बुरा असर देखा जा रहा है इसके कारण अमेरिका के कई
स्कूल और कॉलेजों में यह नेटवर्क बंद कर दिया गया है। यह भी प्रवृत्ति देखी गयी है
कि इस बेवसाइट पर बच्चे ज्यादा से दोस्तों की आंतरिक गॉसिप जानने के लिए जा रहे
हैं। अनेक बच्चों ने इस चक्कर में पढ़ना-लिखना बंद कर दिया है। तरुणियों के
अंग-प्रत्यंग के आकार-प्रकार को लेकर तरह-तरह की टीका-टिपप्णियों ने अनेक लड़कियों
को अवसाद और कुंठा में डुबो दिया है। इस पूरे प्रसंग में यह सवाल उठा भी है कि
बच्चों को कैसे बचाएं। हम तो यही कहना चाहते हैं कि अगर आपके ऊपर कोई धूल या कूड़ा
फेंकता है तो आप क्या करते हैं ? आप भाग खड़े होते हैं। आप बच्चों को समझाइए कि यह
सोशल नेटवर्किंग तरुण-तरुणियों पर कचरा फेंक रहा है आप इससे दूर रहें। अमेरिका में
भी यह भी देखा जा रहा है कि सोशल नेटवर्क पर जाने वाले बच्चों की पढ़ाई का स्तर
नीचे गिरता चला जा रहा है।
(लेखक
वामपंथी चिंतक और कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी
विभाग में प्रोफेसर हैं)