चांदनी
नई दिल्ली. आप अपनी कार में कोई खराबी न आए इसके लिए नियमित तौर पर उस पर प्रयोग किये जाने वाले तेल को बदलते रहते हैं, लेकिन अपने शरीर के लिए ही इस तरह का ख्याल नहीं रखते।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल और डॉ. बी सी राय के मुताबिक़ हृदय संबंधी बीमारी मौत की प्रमुख वजह है और हाइपरटेंशन हृदय संबंधी बीमारी का मुख्य कारक है।
जैसे-जैसे रक्तचाप बढ़ता है वैसे ही हृदय बीमारी, स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारी, मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियां जगह बनाती जाती हैं। सिर्फ़ अमेरिका में ही बीस या बीस साल से अधिक उम्र के 7.2 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप की गिरफ्त में हैं। इनमें से 30 फीसदी को तो मालूम ही नहीं होता कि वे इस बीमारी के शिकार हैं और 65 प्रतिशत तो उच्च रक्तचाप काबू नहीं कर पाते। भारत में ऐसे लोगों की तादाद दस करोड़ से अधिक है।
पूरी दुनिया में 2000 के आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 97.2 करोड़ लोग हाइपरटेंशन के शिकार थे। अनुमान के मुताबिक 2025 तक 156 करोड़ लोग इसकी गिरफ्त में होंगे। उच्च रक्तचाप का पता आसानी से लगाकर उस पर काबू संभव है। सामान्य रक्तचाप सिस्टॉलिक 120 mmHg से कम और डायस्टॉलिक 80 mmHg से कम होना चाहिए। हाइपरटेंशन की स्थिति तब होती है जब सिस्टॉलिक रक्तचाप 140 mmHg या इससे अधिक हो और डायस्टॉलिक 90 mmHg या इससे अधिक हो। ''प्रीहाइपरटेंशन'' की स्थिति तब होती है जब सिस्टॉलिक 120-139 mmHg के बीच और डायस्टॉलिक 80-89 mmHg के बीच हो। ये वह बिंदु हैं जिनको जीवन शैली में बदलाव लाकर रक्तचाप में कमी करने की सलाह दी जाती है।
हाल की खोज के मुताबिक रक्तचाप में थोड़ी भी कमी करने से कई फायदे होते हैं भले ही लोग हाइपरटेंशन के शिकार न हो।
रक्तचाप के सिस्टॉलिक में 3-4 mmHg
की बढ़ोतरी से स्ट्रोक से होने वाली मौत का खतरा 20 प्रतिशत बढ़ जाता है और हृदय बीमारी से मृत्यु का खतरा 12 प्रतिशत बढ़ जाता है।
रक्तचाप में थोड़े से बदलाव से हृदय सम्बंधी बीमारी में काफी असर पड़ता है बनिस्बत मोटापे, मधुमेह और हाइपरलीपीडेमिया के मरीजों में।
- हाइपरटेंशनकेकोईखासलक्षणनहींहोते, इसीलिएइसे ''मौनहत्यारा'' कहाजाताहै।
- शुरुआतमेंइससमस्याकापतालगनेमेंकाफीसमयलगताहैऔरजबलोगोंकोइसकापतालगताहैतबतककाफीदेरहोचुकीहोतीहै।
नियमित तौर पर रक्तचाप की जांच करवाएं।
हाइपरटेंशन से बचाव के लिए स्वस्थ जीवन षैली को अपनाएं।
- अपने वजन पर खास ध्यान दें।