स्टार न्यूज़ एजेंसी
नैनीताल (उत्तराखंड). तमाम सरकरी दावों के बावजूद भारत में कुपोषण समस्या बनी हुई है। आज पांच वर्ष से कम आयु वाले 42 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं और 69.5 प्रतिशत बच्चे खून की कमी का शिकार हैं और 15-49 वर्ष की 35.6 प्रतिशत महिलाएं सामान्य रूप से स्वस्थ नहीं हैं और 55 प्रतिशत महिलाओं में रक्त की कमी है।

महिलाओं और बच्चों में कुपोषण -समस्याएं और समाधान पर संसदीय सलाहकार समिति की बैठक यहां आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा तीरथ ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में भारी आर्थिक प्रगति की है। उन्होंने कहा कि कई कायक्रमों का लक्ष्य महिलाओं और बच्चों का समसुचित विकास है।

उन्होंने सलाहकार समिति के सदस्यों को बताया कि उन्होंने कुपोषण का जायजा लेने और राज्य सरकारों को नियमित निगरानी तथा जांच के लिए प्रेरित करने के विचार से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, केरल और सिक्किम का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि वह कुपोषण के खिलाफ जेहाद को आगे बढाने के लिए सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का दौरा करेंगी। उन्होंने बताया कि वे जल्द ही संबंधित युवा सांसदों की एक बैठक 2 से 9 जून को बुलाएंगी और उनके साथ चर्चा करेंगी। उसके बाद प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में भारत की पोषण चुनौतियों पर राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी।

इस अति महत्वपूर्ण बैठक में सांसदों ने भी अमूल्य सुझाव दिए। चर्चा में हिस्सा लेने वाले लोकसभा के तीन सांसद निखिल कुमार चौधरी, झांसी लक्ष्मी बोट्चा और सुस्मिता बौरी थे। सांसदों ने ग्रामीणों को भी खाद्य सुरक्षा के साथ -साथ स्वच्छता और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया।

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