उन्नीसवीं सदी के मध्य में भारतीय भूमि पर अपने अवतरण के समय से ही भारतीय रेलवे ने राष्ट्रजीवन के हर पहलू में अहम योगदान दिया है। जहां एक तरफ उसने औद्योगिकीकरण, खाद्यान्नों की ढुलाई और लोगों की आवाजाही को आसान किया है वहीं उसने मानव संसाधन के विकास में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय रेलवे कई सफल खेलकूद गाथाओं के लिए उत्प्रेरक रहा है और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि आज वह राष्ट्रमंडल खेल 2010 में मुख्य सहयोगी है तथा देशभर में लोगों, खासकर युवकों में खेलकूद और सूचना प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष प्रदर्शनी रेल राष्ट्रमंडल एक्सप्रेस चला रहा है।
इस विशेष प्रदर्शनी रेल में 11 डिब्बे हैं। इसके पांच डिब्बे रेलवे खेलकूद संवर्धन बोर्ड को राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास, अक्टूबर, 2010 में होने वाले मौजूदा राष्ट्रमंडल खेल के स्थलों और विभिन्न कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार करने, विभिन्न खेलों के बारे में जागरूकता फैलाने तथा अपने अनोखे प्रदर्शन से देश का नाम रौशन करने वाले महत्वपूर्ण खिलाड़ियों से लोगों को अवगत कराने के लिए आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा एक डिब्बा बोर्ड को उसके अपने इतिहास तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी गतिविधियों और उपलब्धियों का प्रचार प्रसार करने के लिए सौंपा गया है।
पांच खेल डिब्बों में पहला डिब्बा राष्ट्रमंडल खेल के उद्भव से लेकर अबतक के स्वरूप के इतिहास की झलक पेश करता है। दूसरे डिब्बे को इस तरह डिजायन किया गया है ताकि लोग राष्ट्रमंडल खेल, 2010 के खेलकूद स्थलों और परिसरों से अवगत हो सकें। इसमें इस विश्वस्तरीय खेलकूद प्रतिस्पर्धा के आयोजन की मेजबानी के लिए दिल्ली में किए गए सघन बदलाव को प्रदर्शित किया गया है और स्टेडियमों एवं अवसंरचनाओं को आभासी प्रारूपों के माध्यम से दर्शाया गया है। तीसरे डिब्बे का डिजायन इस प्रकार बनाया गया है ताकि लोग राष्ट्रमंडल खेल के दौरान होने वाली विभिन्न खेल विधाओं के बारे में जान पाएं। दरअसल इसके पीछे धारणा यह है कि आम लोगों, खासकर सुदूर हिस्सों में रहने वालों, जो विभिन्न खेलों से अनभिज्ञ हैं, को खेलों और उनके तौर तरीकों के बारे में बताना। इसमें इसका भी उल्लेख किया गया है कि कौन-सी खेल प्रतिस्पर्धा किस तिथि को किस स्थल पर होगी। चौथा डिब्बा उत्कृष्ट खिलाड़ियों पर समर्पित है। इसमें उत्कृष्ट खिलाड़ियों की तस्वीर लगाई गई हैं ताकि लोग अतीत और वर्तमान के अपने खेल सूरमाओं को जान पाएं। पांचवां डिब्बा खेल में रेलवे के योगदान को प्रदर्शित करता है और सर्वश्रेष्ठ रेल खिलाड़ियों के बारे में बताता है। इसमें इन खिलाड़ियों की सूची दी गयी है जिन्होंने -अर्जुन, राजीव गांधी खेल रत्न, द्रोणाचार्य, पद्मश्री, ध्यानचंद जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं। इसमें एक ऐसा सभागार भी है जहां भारतीय रेलवे द्वारा जीती गयी ट्रॉफियों के प्रदर्शन के साथ प्रासंगिक फिल्में दिखायी जाएंगी।
खेलकूद के क्षेत्र में रेलवे के योगदान का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेलवे के परिवार में 129 अर्जुन पुरस्कार विजेता, 16 पद्मश्री विजेता, पांच ध्यानचंद पुरस्कार विजेता, चार द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता और सबसे बड़ी बात है कि खेलकूद के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के तीन विजेता हैं। सन 2006 में मेलबर्न में हुए पिछले राष्ट्रमंडल खेल में भारतीय रेलवे के खिलाड़ियों ने दो स्वर्ण और छह रजत पदक जीते। भारतीय महिला हॉकी टीम, जिसने रजत पदक जीता, की 16 खिलाड़ियों में से 14 रेलवे की ही सदस्य थीं।
रेलवे में खेलकूद को प्रोत्साहन देने की परंपरा सन् 1928 से ही है जब हॉकी, एथलैटिक्स और टेनिस को संरक्षण देने के साथ भारतीय रेलवे एथलेक्टिक्स एसोसिएशन का गठन किया गया था। बाद में सन् 1956 में इसका नाम बदलकर रेलवे खेलकूद नियंत्रण बोर्ड कर दिया गया। आगे चलकर बोर्ड के कामकाज के हिसाब से इसका नाम सन् 1998 में रेलवे खेलकूद संवर्धन बोर्ड (आरएसपीबी) कर दिया गया। पिछले आठ वर्षों में बोर्ड का उत्तरोत्तर विकास हुआ है। आरएसपीबी को एक संस्थानात्मक खेलकूद बोर्ड के रूप में पहचान मिली है और यह 29 राष्ट्रीय खेलकूद परिसंघों से संबध्द है।
शेष छह डिब्बे सूचना प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है। ये सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार प्रौद्योगिकी की विकास गाथा को बतालाते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी कैसे हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं। दूसरा और पांचवां डिब्बा विभिन्न सेवाओं को लोगों तक आसान तरीके से पहुंचाने के लिए ई-प्रशासन की राष्ट्रीय योजना पर केंद्रित है। तीसरा डिब्बा सामाजिक क्षेत्र खासकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में वीडियो कांफ्रेंसिंग और ई-शिक्षण जैसे आईटी क्षेत्र प्रयोग पर केंद्रित है। चौथा डिब्बा एक उद्योग के रूप में आईटी और यह किस प्रकार ऑनलाइन प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया को वैश्विक ग्राम में तब्दील करने के सपने को साकार कर रहा है, पर केंद्रित है। अंतिम डिब्बा एक सभागार है जहां प्रासंगिक फिल्में दिखायी जाएंगी और इसमें महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से प्रदर्शनी में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की क्षमता, सामर्थ्य, और इस क्षेत्र में किए गए कार्यों को दर्शाया गया है। इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी से संबध्द इकाइयों द्वारा ई-प्रशासन, अवसंरचना, ग्रामीण भारत के अनुरूप प्रौद्योगिकी सृजन आदि क्षेत्रों में की गयी पहलों को भी चित्रित किया गया है।
भारत की आईटी गाथा छह डिब्बों के जरिए पीछे लगे प्रदर्शकों, डिजिटल प्रिंटेड प्रोस्टरों, लघु सूचनात्मक फिल्मों आदि के माध्यम से बतायी गयी है। आम आदमी तक यथासंभव पहुंचने के लिए प्रदर्शकों की सामग्री अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगी और रेल जिस राज्य में प्रवेश करेगी, उस राज्य की भाषा सामग्री की भाषा बन जाएगी। इसकी सीमा 10 भाषाओं तक है। अधिकतर डिब्बों में स्लााो के रूप में सामग्रियों के प्रदर्शन के लिए एलसीडी पैनल का इस्तेमाल किया जाएगा। छठे डिब्बे में सभागार जैसे माहौल में आईटी और ई प्रशासन पर सूचनात्मक फिल्मों का विशेष प्रबंध होगा।
राष्ट्रमंडल एक्सप्रेस प्रदर्शनी रेल देश में 150 प्रमुख शहरों के परिभ्रमण के बाद अपनी यात्रा का एक अक्टूबर, 2010 को दिल्ली में समापन करेगी। नई दिल्ली में सफदरजंग स्टेशन पर एक और दो अक्टूबर, 2010 को आमजन इसे देख सकते हैं।