सरफ़राज़ ख़ान
नई दिल्ली. परंपरागत
वैदिक शास्त्र और
आयुर्वेद में पॉली
डायट जिसमें सभी
सातों रंग की
सब्जियां और छह
स्वाद शामिल हैं, लेने की
वकालत की गई
है। कई फलों
को अकेले नहीं
लिया जाता,
क्योंकि इनको खुराक
के संतुलन के
हिसाब से एक
साथ लेना होता
है।
हार्ट
केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
के अध्यक्ष डॉ.
के के अग्रवाल के मुताबिक़ आमतौर पर
यह माना जाता
है कि हर
रंग के फल
व सब्जियों में
एक अलग तरह
का विटामिन और
स्वाद होता है
साथ ही शरीर
के लिए भिन्न
तरह का काम
करता है। इन्हें
एकसाथ लेने पर
एक पूर्ण संतुलित
खुराक मिलती है।
इसी अवधारणा पर
एलोपैथी में भी
कई दवाओं को
मिलाकर एक साथ
लेने का प्रोत्साहन
दिया जा रहा
है। आज मोटापा, लिपिड, ब्लड
प्रेशर, डायबिटीज, टयूबरक्यूलोसिस, मलेरिया, एचआईवी, रूमैटॉयड
आर्थराइटिस
आदि में भी
सिंगल डोज की
उच्च मात्रा लेने
की बजाय कई
दवाओं को मिलाकर
कम डोज़ के
तौर पर लिया
जाता है।
टयूबरक्यूलोसिस, एचआईवी और
मलेरिया जैसे संक्रमणों
में सिंगल ड्रग
से ड्रग रीसिस्टेंट
उत्पन्न होता है
और सिंगल डोज़
नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज
जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और
उच्च कोलेस्ट्रॉल में
सही तरीके से
लक्षित सफलता को
हासिल नहीं किया
जा सकता है।
अधिकतर
मधुमेह रोगी और
हाइपरटेंशन
के शिकार लोगों
को 10 साल तक
तीन से चार
दवाओं के लेने
की जरूरत होती
है। यहां
तक कि घर
में तैयार की
गई सब्जियों में भी 10
तत्वों की जरूरत
होती है। इसलिए
जब आप उपचार
करवाएं तो दवाओं
की गिनती नहीं
करनी चाहिए।