डिप्रेशन, गंभीर मानसिक बीमारी
ओर अकेलापन इन सभी का संबंध हृदय संबंधी बीमारी और डीमेंशिया से है। हार्ट
केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
के अध्यक्ष
डॉ. के के अग्रवाल
के मुताबिक़ यूनिवर्सिटी ऑफ
पिट्सबर्ग, स्कूल ऑफ मेडिसिन के
डॉ. जेसी स्टीवर्ट का हवाला देते हुए डॉ. अग्रवाल ने बताया डिप्रेशन और धमनियों का सख्त होने के बीच संबंध होता
है।
अध्ययन के
मुताबिक, जो लोग बहुत ज्यादा
डिप्रेशन में रहते हैं, उनकी धमनियां दोगुना
अधिक सिकुड़ जाती है बनिस्बत उन लोगों के जो सबसे कम डिप्रेशन की गिरफ्त
में होते हैं। धमनियों का सख्तपन भविश्य में होने वाले हार्ट अटैक और स्ट्रोक की
सूचक हैं।
डिप्रेशन से शरीर की
ग्रंथियां भी अनियमित हो सकती है जिनसे रसायन निकलते हैं
और शक्ति हासिल की जाती है और इसकी वजह से कोशिकाएं के फंक्शन पर असर होता है जिससे रक्त का
थक्का बनता है। धमनियों के सख्तपन से इम्यून सिस्टम पर अतिरिक्त असर होता है और
इसके परिणामस्वरूप
इन्फ्लेमेशन जिससे रसायन निकलते हैं,
बीमारियों की वजह बन सकता है।
एक ब्रिटिश अध्ययन का
हवाला देते हुए डॉ. अग्रवाल ने बताया कि गंभीर मानसिक बीमारी वालों
में कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक का खतरा तीन गुना अधिक होता है बनिस्बत उन
लोगों के जो मानसिक बीमारी के शिकार नहीं होते हैं। मानसिक बीमारी से
हृदय संबंधी बीमारी के चलते मौत का खतरा 75 साल की उम्र तक दो
गुना अधिक होता है। हृदय संबंधी बीमारी से मौत का खतरा तब भी अधिक
होता जब व्यक्ति एंटीसाइकोटिक दवाएं भी ले रहे होते हैं। बुढ़ापे में निरंतर
अकेलापन महसूस करने से
अल्झाइमर
बीमारी का खतरा दो गुना अधिक हो जाता है बनिस्बत उन लोगों के जो दूसरे लोगो के साथ शरीक रहते
हैं।