डॉ. फ़िरदौस ख़ान 
मेवात का महात्मा गांधी से गहरा रिश्ता है। इस रिश्ते की याद में ही हर साल 19 दिसम्बर को मेवात दिवस मनाया जाता है। क़ाबिले ग़ौर है कि हिन्दुस्तान के बंटवारे के बाद 19 दिसम्बर 1947 को महात्मा गांधी ने (तत्कालीन पंजाब) हरियाणा के नूह ज़िले के गांव घासेड़ा का दौरा किया था।

दरअसल यहां के ज़्यादातर लोग पकिस्तान नहीं जाना चाहते थे। उनका कहना था कि उन्होंने यहां की धरती पर जन्म लिया है, यहां पले-बढ़े हैं और यहीं की मिट्टी में दफ़न होना चाहते हैं। मगर कुछ लोगों का मानना था कि  विभाजन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा और तनाव की वजह से यहां रहना उनके लिए सुरक्षित नहीं है। इस पर महात्मा गांधी ने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा था कि मैं मेवों की सुरक्षा और समान नागरिकता का वचन देता हूं। मेवाती हिन्दुस्तान की रीढ़ की हड्डी के समान हैं। मैं भी उन लोगों के साथ मेवात में मरना पसंद करूंगा, जो अपनी मातृभूमि नहीं छोड़ना चाहते। महात्मा गांधी के आश्वासन पर भरोसा करके लाखों मेव लोगों ने पाकिस्तान जाने का इरादा बदल दिया और अपनी मातृभूमि मेवात में ही रहने का फ़ैसला किया। 

यह दिवस आज के दौर में बड़ा प्रासंगिक है, क्योंकि यह राष्ट्रीय एकता और सद्भावना का प्रतीक है। यह दिवस इस बात का प्रतीक है कि किस तरह मेव समुदाय ने विभाजन के मुश्किल दौर में भी महात्मा गांधी के आश्वासन पर देश की एकता और सद्भावना पर अपना भरोसा बनाए रखा। यह फ़ैसला उनके अपनी मातृभूमि भारत के प्रति अटूट प्रेम और विश्वास को दर्शाता है। यह दिन महात्मा गांधी के सर्वधर्म समभाव और शान्ति के मूल्यों की याद दिलाता है। इस दिन आयोजित समारोह में मेवात के पिछड़ेपन से जुड़े सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक मुद्दों को भी उठाया जाता है, ताकि इलाक़े के विकास के लिए कोशिश की जा सके।

मेवात के हाजी इब्राहिम ख़ान बताते हैं- “मेवात विकास सभा ने 19 दिसम्बर 2003 को गांव घासेड़ा से दिल्ली के राजघाट तक एक यात्रा निकाली थी। इसके बाद मैंने साल 19 दिसम्बर 2005 को पर्यावरण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह के सहयोग से मेवात दिवस मनाया था। फिर मैं साल 2006 में हज करने सऊदी अरब चला गया, तो मेवात विकास सभा ने 19 दिसम्बर को मेवात दिवस के रूप में मनाया। इसके बाद मेवात विकास सभा हर साल 19 दिसम्बर को मेवात दिवस के रूप में मना रही है।“ 
 
मेवात विकास सभा के अध्यक्ष पूर्व दीन मोहम्मद मामलिका के मुताबिक़ मेव समुदाय के नेताओं के बुलावे पर 19 दिसम्बर 1947 को महात्मा गांधी, तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीचंद भार्गव और स्वतंत्रता सेनानी रणवीर सिंह हुड्डा मेवात के गांव घासेड़ा में आए थे। गांधी जी ने यहां एक विशाल जनसभा को सम्बोधित किया और मेवों से अपील की कि वे देश छोड़कर न जाएं। इस तरह उन्होंने यहां के बाशिन्दों को पाकिस्तान जाने से रोका था। 

क़ाबिले ग़ौर है कि मेवात एक अंचल का नाम है, जो हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमाओं में फैला हुआ है। प्राचीन काल में इस इलाक़े को मत्स्य प्रदेश के नाम से जाना जाता था। इतिहासकार डॉ. कृपाल चन्द्र यादव के मुताबिक़ “मेवात शब्द की उत्पत्ति मत्स्य प्रदेश से हुई है। प्राचीनकाल में और बौद्धकाल में तथा उसके बाद भी लगभग सारे का सारा यह प्रदेश जो अब मेवात कहलाता है, मत्स्य प्रदेश कहलाता था।” 

मेवात का गौरवशाली एवं भव्य इतिहास रहा है। वेद और पुराणों में ब्रज की चौरासी कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व है। यह परिक्रमा हरियाणा के होडल से गुज़रती है। इस परिक्रमा में मधुवन, तालवन, बहुलावन, शांतनु कुंड, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, जतीपुरा, डीग, कामवन, बरसाना, नंदगांव, कोकिलायन, जाप, कोटवन, पैगांव, शेरगढ़, चीरभाट, बड़गांव, वृंदावन, लोहवन, गोकुल और मथुरा भी आता है। इस परिकमा में श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े स्थल, सरोवर, वन, मन्दिर और कुंड आदि का भ्रमण किया जाता है। श्रद्धालु भजन-कीर्तन एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हुए यह परिक्रमा पूरी करते हैं। 

आज के मेवात ज़िले की स्थापना 4 अप्रैल 2005 को फ़रीदाबाद और गुड़गांव के कुछ इलाक़ों को मिलाकर की गई। इसमें नूह, तावड़ू, नगीना, फ़िरोज़पुर झिरका, पुन्हाना और हथीन शामिल हैं। यहां मेवाती बोली जाती है, जो हरियाणवी से थोड़ी अलग है। मेवात को ज़िले का दर्जा दिलवाने के लिए यहां के लोगों ने लम्बा संघर्ष किया है। 
मेवात के साहित्यकार व इतिहासकार सिद्दीक़ अहमद मेव अपनी किताब ‘मेवात संस्कृति’ में लिखते हैं- “मेवात एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी सीमाएं कभी भी निश्चित तौर पर क़ायम नहीं की गईं। मेवात की सीमाएं समय-समय पर बदलती रही हैं। वर्तमान में मेवात क्षेत्र दिल्ली के दक्षिण में स्थित है। हरियाणा के ज़िला गुड़गांव की तहसील नूह, फ़िरोज़पुर झिरका व पुन्हाना, ज़िला फ़रीदाबाद की तहसील हथीन व पलवल का कुछ भाग, राजस्थान के ज़िला अलवर की तहसील अलवर, तिजारा, रामगढ़, किशनगढ़, लक्ष्मणगढ़ व गोविन्दगढ़ तथा ज़िला भरतपुर की तहसील पहाड़ी, कामा, डीग एवं नगर मेवात क्षेत्र का भाग है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के ज़िला मथुरा की तहसील कोसी व छाता भी मेवात क्षेत्र के अंतर्गत ही आते हैं। मोटे तौर पर सम्पूर्ण मेवात क्षेत्र उत्तर से दक्षिण तक लगभग 80 मील लम्बा तथा पूर्व से पश्चिम तक लगभग 75 मील चौड़ा है।”  


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

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