डॉ. के परमेश्‍वरम
तमि‍लनाडु में मरगज़ी का महीना (दि‍सम्‍बर-जनबरी) एक ऐसा समय होता है जब जलवायु अपेक्षाकृत काफी ठंडी और आरामदेह होती है। तमि‍ल भाषा के शास्‍त्रीय ग्रंथ थि‍रूवेमपावई में भगवान शंकर की प्रशंसा में श्‍लोक भरे पड़े हैं, जि‍नके दैवी नृत्‍य में ऐसी हलचल पैदा करने की‍ शक्‍ति‍ है जि‍ससे समूचा ब्रह्मांड जीवि‍त हो उठता है। इस ग्रंथ में शुद्ध तमि‍ल भाषा में लि‍खा है कि‍ मरगज़ी माह का अर्द्धचन्‍द्र ऐसी शुभरात्रि‍ में अवतरि‍त होता है जब समूचे बातावरण में कला, मेधा और सभी क्षेत्रों में वि‍शेषज्ञता व्‍याप्‍त होती है- ‘मरगज़ी थिंगल मथी नि‍राइन्‍दा नन्‍नल’!

मरगज़ी का समय मधुर संगीत, जीवन्‍त नृत्‍यों और सभी प्रकार के कलारूपों का होता है। प्रसि‍द्ध संगीत अकादमी सहि‍त चेन्‍नई की वि‍भि‍न्‍न संगीत संस्‍थाएं इस अवसर पर कर्नाटक संगीत और नृत्‍य के अपने वार्षि‍क कार्यक्रम आयोजि‍त करती हैं। शास्‍त्रीय कर्नाटक संगीत और नृत्‍य के इन प्रति‍ष्‍ठि‍त कार्यक्रमों ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर ख्‍याति‍ अर्जि‍त की है और यह समय चेन्‍नई और उसके आसपास के इलाकों में पर्यटन मौसम के रूप में जाना जाता है। 

स्‍मारक टि‍कट 
इस मौसम की स्‍मृति‍ में संचार मंत्रालय के डाक वि‍भाग ने तीन डाक टि‍कट जारी कि‍ये हैं, जि‍नमें कर्नाटक संगीत के महान कलाकारों के चि‍त्र अंकि‍त हैं। ये डाक टि‍कट 3 दि‍सम्‍बर, 2010 को जारी कि‍ये गये। जि‍न संगीतकारों की याद में ये टि‍कट जारी कि‍ये गये हैं, वे हैं प्रसि‍द्ध नादस्‍वरम कलाकार टी एन राजरतनम पि‍ल्‍लई, जानी मानी नृत्‍यांगना टी बालासरस्‍वती और ख्‍याति‍प्राप्‍त वीणावादक वीना धनम्‍मल, जि‍नके वीणावादन प्रति‍भा ने समूची पीढ़ी को मंत्रमुग्‍ध कर दि‍या है। 

संगीतकार 
टी एन राजरतनम पि‍ल्‍लई का जन्‍म तन्‍जावुर जि‍ले में थि‍रूवदुथुरई के श्री कुप्‍पूस्‍वामी पि‍ल्‍लई और श्रीमती गोविंदमणी के घर 27 अगस्‍त, 1898 को हुआ था। तन्‍जावुर जि‍ला तमि‍लनाडु में संस्‍कृत का पालना कहलाता है1 उन्‍होंने बहुत ही कम उम्र में संगीत की शि‍क्षा लेनी शुरू कर दी थी। बाद में उन्‍होंने नादस्‍वरम के जाने माने वि‍द्वान श्री अम्‍माचत्रम कन्‍नूस्‍वामी पि‍ल्‍लई से नादस्‍वरम को बजाना सीखा। धीरे-धीरे संगीत की इस वि‍धा के वे महान कलाकार हो गये। नादस्‍वरम बजाने की उनकी कला ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावि‍त कि‍या और जब भी वे उनके कार्यक्रम सुनते वे मंत्रमुग्‍ध हो जाते। संगीत के इस महान कलाकार का देहांत 12 दि‍सम्‍बर, 1956 को हुआ था। 

वीणा धनम्‍मल का जन्‍म चेन्‍नई के जार्जटाउन में संगीतकारों और नृत्‍य कलाकारों के परि‍वार में 1867 में हुआ था। उनके पड़दादा, दादा और उनकी मॉ सभी कुशल संगीतकार थे। उन्‍होंने प्रसि‍द्ध गुरूओं से वीणा और कंठसंगीत की शि‍क्षा प्राप्‍त की। वीणा वादन में उनका कोई सानी नहीं था। वे बहुत मधुर वीणा बजाती थीं। उनकी धरोहर, उनकी प्रति‍ष्‍ठा, उनका व्‍यक्‍ति‍त्‍व और उनकी जीवन शैली ने लोगों का काफी सम्‍मान अर्जि‍त कि‍या। उनका नि‍धन 15 अक्‍तूबर, 1938 को हुआ था। 

बाला सरस्‍वती, वीणा धनम्‍मल की पड़पोती थीं। उनका जन्‍म मई 1918 में संगीतकारों के परि‍वार में हुआ था। उनकी मां जयम्‍मल एक बहुमुखी गायि‍का और तबला वादक थीं। बचपन में उन्‍होंने भरतनाट्यम की शि‍क्षा लेनी शुरू कर दी थी और धीरे-धीरे उन्‍होंने महान भरतनाट्यम नृत्‍यांगनाओं की श्रेणी में अपना स्‍थान बना लि‍या और वे कलात्‍मक प्रति‍भा की पर्याय बन गईं। वे अभि‍नय में पारंगत थीं और उनका कोई मुकाबला नहीं था। उन्‍हें 1957 में भारत भूषण सम्‍मान प्रदान कि‍या गया। इस महान नृत्‍यांगना का नि‍धन 9 फरबरी, 1984 को हो गया।

डाक टि‍कट संग्रह 
डाक टि‍कट संग्रह एक मजेदार शौक है जो कि‍सी व्‍यक्‍ति‍ के सौन्‍दर्यबोध को तेज करता है और उसे संतुष्‍टि‍ प्रदान करता है इससे ज्ञान का वि‍स्‍तार होता है और जि‍स संसार में आप रहते हैं उससे आप का संवाद बनता है। डाक टि‍कट राजनीति‍, इति‍हास, प्रमुख व्‍यक्‍ति‍यों, राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय घटनाओं, भूगोल, फूल पौधे और वनस्‍पति‍यों, कृषि‍, वि‍ज्ञान, स्‍मारक, सैनि‍कों, योद्धाओं, वैज्ञानि‍कों आदि‍ के बारे में रोचक जानकारी देते हैं। इसके अलावा डाक टि‍कट संग्रह का शौक देश और आयु की सीमाओं से परे लोगों से मि‍त्रता बढ़ाने में मदद करती है। 

डाक टि‍कट संग्रहालय प्रसि‍द्ध शहरों के मुख्‍य डाकघरों में स्‍थि‍त होते हैं। इन संग्रहालयों में डाक टि‍कट संग्रह करने वाले लोग अपना खाता खोल सकते हैं, वे डाक टि‍कट जारी होने के दि‍न प्रथम दि‍वस आवरण भी जारी करते हैं। इन संग्रहालयों में स्‍थि‍त काउंटर डाक टि‍कट संग्रह से संबंधि‍त सभी बस्‍तुओं की आपूर्ति‍ करते हैं लेकि‍न उन्‍हें वि‍शेष कैंसि‍लेशन जारी करने का अधि‍कार नहीं है। ये कैंसि‍लेशन प्रत्‍येक स्‍मारक डाक टि‍कट के साथ जारी होता है। अधि‍कृत कार्यालय केवल स्‍मारक/ वि‍शेष टि‍कट, सादा प्रथम दि‍वस आवरण और सूचना संबंधी वि‍वरणि‍का का वि‍क्रय करते हैं। 

जैसा कि‍ नाम से ही स्‍पष्‍ट है स्‍मारक टि‍कट कि‍सी महत्‍वपूर्ण घटना, वि‍भि‍न्‍न क्षेत्रों के प्रसि‍द्ध व्‍यक्‍ति‍, प्रकृति‍ के पहलुओं, सुंदर और दुर्लभ फूल पौधे, पर्यावरणीय मुद्दे, कृषि‍ गति‍वि‍धि‍यां, राष्‍ट्रीय/ अंतरराष्‍ट्रीय मुद्दे, खेल आदि‍ की याद में जारी कि‍ये जाते हैं। ये टि‍कट केवल डाक टि‍कट संग्रह व्‍यूरो और चुने हुए डाकघरों में ही उपलब्‍ध होते हैं। इनका मुद्रण सीमि‍त संख्‍या में होता है। 

डाक वि‍भाग ने इस वर्ष अब तक 87 स्‍मारक डाक टि‍कट जारी कि‍ये हैं, ये डाक टि‍कट अपने कलात्‍मक सौन्‍दर्य के लि‍ए जाने जाते हैं और इन्‍होंने वि‍श्‍व भर के डाक टि‍कट संग्रहकर्ताओं का ध्‍यान आकर्षि‍त कि‍या है।

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