एक महिला हाथों में घातक हथियार लेकर आईएस आतंकियों से टक्कर लें, तो तस्वीर हैरान कर देती है. आईएस के बर्बर आतंकियों के खिलाफ लड़ने वाली ये कुर्दिश महिलाएं हैं. उत्तर पश्चिमी इराक में सिंजर के पहाड़ी क्षेत्रों में कुर्दिस्तान लेबर पार्टी (पीकेके) में पुरुषों की तरह महिलाएं भी सशस्त्र कार्रवाई के लिए हर समय तैयार रहती हैं.
इराक में आईएस के आतंकियों की बर्बरता को देखते हुए हर वर्ग उनके खिलाफ लड़ने और देश की रक्षा करने के लिए तैयार हो गया है. कुर्द महिलाएं भी इस लड़ाई में शामिल हैं. आतंकियों से लड़ाई के बीच कुर्द महिला सैनिकों की सेल्फी फोटो फोसबुक और ट्वीटर पर बड़े पैमाने पर शेयर की जा रही हैं. तस्वीर में महिलाएं फुर्सत के पलों में अपनी सेल्फी लेती हुई देखी जा सकती हैं. कुर्दिस्तान के लड़ाके पुरुष और महिलाएं दोनों एक दूसरे के साथ बराबरी के आधार पर काम करते हैं और इस लड़ाई में अपने निजी जीवन का बलिदान देते हैं.
इन फाइटर्स में से ज्यादातर की उम्र 18 से 25 साल के बीच की है. इनमें से बहुत सी ऐसी महिलाएं भी हैं, जिनका घर-परिवार है. इसके बावजूद वो अपने परिवार छोड़ आतंकियों के खिलाफ जंग के मैदान में हैं. उन्हें अपनी जमीन बचाने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं है. ये फाइटर्स कुर्दिस्तान के अलग-अलग हिस्सों से आई हैं, लेकिन ये सब कुर्दिश ही बोलती हैं, इसीलिए आपस में इनके लिए बातचीत करना भी आसान है. ये आपस में सभी एक-दूसरे को कामरेड कहकर संबोधित करती हैं, जिसका मतलब है कि वो हर चुनौती का सामना मिलकर करेंगी.
सुन्नी इस्लाम के सहाफी धड़े को मानने वाले कुर्द तुर्की, इरान, इराक और सीरिया में सबसे बड़ी तादाद में बसते हैं. इसमें भी तुर्की में कुल कुर्द आबादी में सर्वाधिक 55 फीसद आबादी बसती है। इसके बाद इराक, ईरान और सीरिया हैं. कुर्द कहां से पैदा हुए इसका ठीक इतिहास तो नहीं है लेकिन इनका भूगोल तय है. अपने इसी भूगोल को वे जीते हैं, जिसे कुर्दिस्तान कहते हैं. यह कुर्दिस्तान तुर्की, सीरिया, इराक और ईरान तक फैला हुआ है.
हालांकि इस कुर्दिस्तान का अब तक कोई भौगोलिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन इराक में कुर्दिश आटोनॉमस रिजन कुर्दों की अपनी रियासत है. वर्तमान आईएस वार की शुरूआत भी इसी कुर्दिश रीजन से ही शुरू होती है.
आईएस का कब्जा पहले से ही तेल के कई क्षेत्रों पर हो चुका है और यही उसकी कमाई का जरिया भी है. अब उसकी नजर कुर्दी क्षेत्र पर है. कुर्द में तेल का खजाना है, जो एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में छठा सबसे बड़ा आयल रिजर्व है.
आईएस कोबाने पर कब्जा जमाना चाहता है, ताकि वह उसे अपने योजना के मुताबिक इस्लामी राज्य में शामिल कर सके. ऐसा बताया जाता है कि कोबाने पर कब्जा जमा लेने के बाद आतंकियों के हाथ हजारों किलोमीटर लंबी तुर्की और सीरियाई सीमा आ जाएगी.
इन महिलाओं की बहादुरी ही है कि इराक में खूंखार आतंकी संगठन आईएस के लिए ये सबसे बड़ा डर बन गई हैं. आईएस के जिहादियों को इस बात का डर सताता है कि महिला के हाथ से मिली मौत के बाद वो जन्नत नहीं जा पाएंगे.
उत्तरी इराक में कुर्दिस्तान के सुलयमनियाह में 500 की संख्या वाली मजबूत सेना की सेकंड बटालियन की कमान 49 साल की कर्नल नाहिदा अहमद राशिद के हाथों में हैं. नाहिदा ने द सन को बताया था कि आईएस के आतंकी हमारे हाथों नहीं मरना चाहते. हालांकि, नाहिदा ने कहा कि उनकी महिला सिपाही आईएस आतंकियों के हाध जिंदा न पकड़े जाने की पूरी कोशिश करती हैं. पकड़े जाने पर इन फाइटर्स को या तो मार दिया जाता है या बर्बर तरीके से इनके साथ बलात्कर किया जाता है और ये टॉर्चर का भी शिकार बनती हैं. कुर्दी फाइटर्स, अपने हथियार में हमशे एक बुलेट बाकी रखती हैं. ऐसा पकडे जाने के हालात में खुद को मार देने के लिए किया जाता है. महिला फाइटर्स से आईएस का डर उस वक्त भी सामने आया, जब क्रूर आतंकी संगठन ने कुर्दी ब्रिगेड की पोस्टर गर्ल रेहाना का सिर कलम कर देने का दावा किया.
सीरिया में बीते अक्टूबर को आईएस ने यह दावा किया. रेहाना का नाम उनकी विनिंग पोज वाली तस्वीर से दुनिया मे चर्चित हो गया था. उनकी ये तस्वीर खासी वायरल हुई थी. ऐसा बताया जाता है कि सीरिया-तुर्की बॉर्डर पर स्थित कोबाने की लड़ाई में रेहाना ने आईएस के 100 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतारा था.
कुर्दी पत्रकार पवन दुरानी इसे गलत मानते हैं. वह कहते हैं कि रेहाना की मौत की अफवाह फैलाना भी आईएस की रणनीति का हिस्सा है. रेहाना अभी जिंदा है. दुरानी मानते हैं कि आईएस समर्थक मानसिक स्तर पर तोड़ना चाहते हैं. प्रोपैगेंडा और झूठ उनके खून में दौड़ता है.
हालांकि, डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर एक आइएस आतंकी के हाथ में रेहाना का सिर लिए फोटो शेयर किया गया.
नाहिदा कहती हैं, ‘मां, बहनें और बीवियां अपने घरों को छोड़कर देश को बचाने की लड़ाई में उतरती हैं. आप जानते हैं कि यह लड़ाई अपने खौफनाक दौर में पहुंच गई है.’नाहिदा ने हाल ही में कहा कि हम आतंक के खिलाफ लड़ाई में बचाव की आखिरी लकीर पर खड़े हैं.