ईद के चांद की खोज में हर बरस
दिखती दुनिया बराबर ये बेज़ार है
बांटने को मगर सब पै अपनी ख़ुशी
कम ही दिखता कहीं कोई तैयार है
ईद दौलत नहीं, कोई दिखावा नहीं
ईद जज़्बा है दिल का, ख़ुशी की घड़ी
रस्म कोरी नहीं, जो कि केवल निभे
ईद का दिल से गहरा सरोकार है !!1!!
अपने को औरों को और क़ुदरत को भी
समझने को ख़ुदा के ये फ़रमान है
है मुबारक घड़ी, करने अहसास ये
रिश्ता है हरेक का, हरेक इंसान से
है गुंथी साथ सबकी यहां ज़िंदगी
सबका मिल जुल के रहना है लाज़िम यहां
सबके ही मेल से दुनिया रंगीन है
प्यार से ख़ूबसूरत ये संसार है !!2!!
मोहब्बत, आदमीयत, मेल मिल्लत ही
तो सिखाते हैं सभी मज़हब संसार में
हो अमीरी, ग़रीबी या कि मुफ़लिसी
कोई झुलसे न नफ़रत के अंगार में
सिर्फ़ घर-गांव -शहरों ही तक में नहीं
देश दुनियां में ख़ुशियों की ख़ुशबू बसे
है ख़दा से दुआ उसे सदबुद्धि दे
जो जहां भी कहीं कोई गुनहगार है !!3!!
ईद सबको ख़ुशी से गले से लगा
सिखाती बांटना आपसी प्यार है
है मसर्रत की पुरनूर ऐसी घड़ी
जिसको दिल से मनाने की दरकार है
दी ख़ुदा ने मोहब्बत की नेमत मगर
आदमी भूल नफ़रत रहा बांटता
राह ईमान की चलने का वायदा
ख़ुद से करने का ईद एक तेवहार है !!4!!
जो भी कुछ है यहां सब ख़ुदा का दिया
वह है सबका किसी एक का है नहीं
बस ज़रूरत है ले सब ख़ुशी से जियें
सभी हिल मिल जहां पर भी हों जो कहीं
ख़ुदा सबका है सब पर मेहरबान है
जो भी ख़ुदग़र्ज़ है वह ही बेईमान है
भाईचारा बढ़े और मोहब्बत पले
ईद का यही पैग़ाम, इसरार है !!5!!
-प्रो.सीबी. श्रीवास्तव
ओ बी 11, विद्युत मंडल कॊलोनी, रामपुर
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
दिखती दुनिया बराबर ये बेज़ार है
बांटने को मगर सब पै अपनी ख़ुशी
कम ही दिखता कहीं कोई तैयार है
ईद दौलत नहीं, कोई दिखावा नहीं
ईद जज़्बा है दिल का, ख़ुशी की घड़ी
रस्म कोरी नहीं, जो कि केवल निभे
ईद का दिल से गहरा सरोकार है !!1!!
अपने को औरों को और क़ुदरत को भी
समझने को ख़ुदा के ये फ़रमान है
है मुबारक घड़ी, करने अहसास ये
रिश्ता है हरेक का, हरेक इंसान से
है गुंथी साथ सबकी यहां ज़िंदगी
सबका मिल जुल के रहना है लाज़िम यहां
सबके ही मेल से दुनिया रंगीन है
प्यार से ख़ूबसूरत ये संसार है !!2!!
मोहब्बत, आदमीयत, मेल मिल्लत ही
तो सिखाते हैं सभी मज़हब संसार में
हो अमीरी, ग़रीबी या कि मुफ़लिसी
कोई झुलसे न नफ़रत के अंगार में
सिर्फ़ घर-गांव -शहरों ही तक में नहीं
देश दुनियां में ख़ुशियों की ख़ुशबू बसे
है ख़दा से दुआ उसे सदबुद्धि दे
जो जहां भी कहीं कोई गुनहगार है !!3!!
ईद सबको ख़ुशी से गले से लगा
सिखाती बांटना आपसी प्यार है
है मसर्रत की पुरनूर ऐसी घड़ी
जिसको दिल से मनाने की दरकार है
दी ख़ुदा ने मोहब्बत की नेमत मगर
आदमी भूल नफ़रत रहा बांटता
राह ईमान की चलने का वायदा
ख़ुद से करने का ईद एक तेवहार है !!4!!
जो भी कुछ है यहां सब ख़ुदा का दिया
वह है सबका किसी एक का है नहीं
बस ज़रूरत है ले सब ख़ुशी से जियें
सभी हिल मिल जहां पर भी हों जो कहीं
ख़ुदा सबका है सब पर मेहरबान है
जो भी ख़ुदग़र्ज़ है वह ही बेईमान है
भाईचारा बढ़े और मोहब्बत पले
ईद का यही पैग़ाम, इसरार है !!5!!
-प्रो.सीबी. श्रीवास्तव
ओ बी 11, विद्युत मंडल कॊलोनी, रामपुर
जबलपुर (मध्य प्रदेश)