फ़िरदौस ख़ान
कई साल पहले की बात है... गर्मियों का मौसम था... दोपहर के वक़्त सूरज आग बरसा रहा था...
कुछ पत्रकार साथी बैठे बात कर रहे थे... बात झुलसती से गरमी से शुरू हुई और सियासत पर पहुंच गई... टेलीविज़न चल रहा था... उस वक़्त कांग्रेस की हुकूमत थी... यानी केंद्र और दिल्ली राज्य में कांग्रेस की सरकार थी... एक विपक्षी नेता भाषण दे रहा था... ये देखकर दुख हुआ कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहा था... हम ख़बरें देख रहे थे... ये देखकर दुख के साथ अफ़सोस भी हुआ कि एक पत्रकार साथी भी कांग्रेस नेता का मज़ाक़ उड़ाने लगे... शायद इसकी वजह यह थी कि वह भी उसी विचारधारा के थे, जिस विचारधारा का वह नेता था... जो अपने भाषण के ज़रिये अपने संस्कारों और तहज़ीब का प्रदर्शन कर रहा था...
मीटिंग ख़त्म हुई... लेकिन उसके नेता के शब्द कानों में गूंज रहे थे... साथ ही उस पत्रकार का रवैया भी नागवार गुज़रा था... हम काफ़ी देर तक सोचते रहे... राहुल गांधी कांग्रेस के नेता हैं और एक ऐसे परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं, जिसने देश के लिए अनेक क़ुर्बानियां दी हैं... लेकिन यह देखकर दुख होता है कि अपने ही देश में राहुल गांधी को न जाने कैसे-कैसे नामों से ट्रोल किया जाता है... एक गिरोह ने उन्हें ’पप्पू’ और ’अमूल बेबी’ जैसे नाम देकर उनका मज़ाक़ उड़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी. यह राहुल गांधी की शिष्टता ही है, कि वे अपने विरोधियों का नाम भी सम्मान के साथ लेते हैं, उनके नाम के साथ ’जी’ लगाते हैं... जबकि उनके विरोधी भले ही वे देश के बड़े से बड़े पद पर हों, राहुल गांधी के लिए ग़लत शब्दों का इस्तेमाल करते हैं... यह देख और सुनकर बुरा लगता था...
तब ज़ेहन में आया कि क्यों न राहुल गांधी को कोई अच्छा-सा नाम दिया जाए... तब हमने फ़ेसबुक पर एक राहुल गांधी की एक तस्वीर पोस्ट किया और उसके कैप्शन में लिखा-
हिन्दुस्तान का शहज़ादा...
उसके बाद हमारे पास विपक्षी पार्टी के एक शख़्स का फ़ोन आया. उन्होंने तस्वीर और कैप्शन के बारे में हमसे बात की... उन्होंने कहा कि आगे चलकर तुम्हारा दिया उपनाम मशहूर हो जाएगा... ठीक ऐसा ही हुआ भी... यह नाम चलन में आ गया. अब उनके विरोधी ’शहज़ादा’ लक़ब का इस्तेमाल करने लगे... यहां तक कि जो उन्हें ’पप्पू’ और ’अमूल बेबी’ कहा करते थे, वे लोग अब उन्हें शहज़ादा कहने लगे थे...
हमने अपने बलॊग्स पर ’हिन्दुस्तान का शहज़ादा’ नाम से लिखना शुरू किया... फ़ेसबुक पर इस नाम से एक पेज भी बनाया... हमारा लिखना सार्थक हुआ...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
कई साल पहले की बात है... गर्मियों का मौसम था... दोपहर के वक़्त सूरज आग बरसा रहा था...
कुछ पत्रकार साथी बैठे बात कर रहे थे... बात झुलसती से गरमी से शुरू हुई और सियासत पर पहुंच गई... टेलीविज़न चल रहा था... उस वक़्त कांग्रेस की हुकूमत थी... यानी केंद्र और दिल्ली राज्य में कांग्रेस की सरकार थी... एक विपक्षी नेता भाषण दे रहा था... ये देखकर दुख हुआ कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहा था... हम ख़बरें देख रहे थे... ये देखकर दुख के साथ अफ़सोस भी हुआ कि एक पत्रकार साथी भी कांग्रेस नेता का मज़ाक़ उड़ाने लगे... शायद इसकी वजह यह थी कि वह भी उसी विचारधारा के थे, जिस विचारधारा का वह नेता था... जो अपने भाषण के ज़रिये अपने संस्कारों और तहज़ीब का प्रदर्शन कर रहा था...
मीटिंग ख़त्म हुई... लेकिन उसके नेता के शब्द कानों में गूंज रहे थे... साथ ही उस पत्रकार का रवैया भी नागवार गुज़रा था... हम काफ़ी देर तक सोचते रहे... राहुल गांधी कांग्रेस के नेता हैं और एक ऐसे परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं, जिसने देश के लिए अनेक क़ुर्बानियां दी हैं... लेकिन यह देखकर दुख होता है कि अपने ही देश में राहुल गांधी को न जाने कैसे-कैसे नामों से ट्रोल किया जाता है... एक गिरोह ने उन्हें ’पप्पू’ और ’अमूल बेबी’ जैसे नाम देकर उनका मज़ाक़ उड़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी. यह राहुल गांधी की शिष्टता ही है, कि वे अपने विरोधियों का नाम भी सम्मान के साथ लेते हैं, उनके नाम के साथ ’जी’ लगाते हैं... जबकि उनके विरोधी भले ही वे देश के बड़े से बड़े पद पर हों, राहुल गांधी के लिए ग़लत शब्दों का इस्तेमाल करते हैं... यह देख और सुनकर बुरा लगता था...
तब ज़ेहन में आया कि क्यों न राहुल गांधी को कोई अच्छा-सा नाम दिया जाए... तब हमने फ़ेसबुक पर एक राहुल गांधी की एक तस्वीर पोस्ट किया और उसके कैप्शन में लिखा-
हिन्दुस्तान का शहज़ादा...
उसके बाद हमारे पास विपक्षी पार्टी के एक शख़्स का फ़ोन आया. उन्होंने तस्वीर और कैप्शन के बारे में हमसे बात की... उन्होंने कहा कि आगे चलकर तुम्हारा दिया उपनाम मशहूर हो जाएगा... ठीक ऐसा ही हुआ भी... यह नाम चलन में आ गया. अब उनके विरोधी ’शहज़ादा’ लक़ब का इस्तेमाल करने लगे... यहां तक कि जो उन्हें ’पप्पू’ और ’अमूल बेबी’ कहा करते थे, वे लोग अब उन्हें शहज़ादा कहने लगे थे...
हमने अपने बलॊग्स पर ’हिन्दुस्तान का शहज़ादा’ नाम से लिखना शुरू किया... फ़ेसबुक पर इस नाम से एक पेज भी बनाया... हमारा लिखना सार्थक हुआ...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)