फ़िरदौस ख़ान
देश में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर संशय बरक़रार है. सियासी दलों के नेताओं का मानना है कि चुनाव के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी कर चुनाव नतीजों को प्रभावित किया गया है. ख़बरों के मुताबिक़ गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी बीबी स्वैन ने माना है कि कम से कम चार मतदान केंदों पर ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान में गड़बड़ी पाई गई है. उन्होंने बताया कि मतगणना के दिन वागरा, द्वारका, अंकलेश्वर और भावनगर-ग्रामीण सीट पर नये तरह का मामला सामने आया है. क़ाबिले-ग़ौर है कि चुनाव आयोग ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारियों को हर विधानसभा क्षेत्र के कम से कम एक मतदान केंद्र की वोटर वेरीफ़ाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों का ईवीएम में पड़े मतों से मिलान करने का निर्देश दिया था. इस प्रक्रिया में मतदान केंद्र लॊटरी के ज़रिये चुने जाने थे. दरअसल, ईवीएम में गड़बड़ी पाए जाने के बाद इसे सुरक्षित बताने वाले चुनाव आयोग के तमाम दावों की भी पोल खुल गई है. इतना ही नहीं, विपक्ष में रहते ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी भी मौन साधे हुए है.

ग़ौरतलब है कि कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाख़िल करके मांग की थी कि मतगणना के दौरान कम से कम 20 फ़ीसद वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान किया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि अदालत तब तक इस मामले में दख़ल नहीं दे सकती, जब तक कि ईवीएम-वीवीपैट पर्चियों के मिलान में कोई गड़बड़ी या फिर पक्षपात नज़र नहीं आता है.

बहरहाल, गुजरात के सूरत में लोग ईवीएम के ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आए हैं. लोगों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. इस दौरान वे अपने हाथ में पोस्टर भी लिए हुए थे, जिन पर ‘वोट चोरी बंद करो’ और ‘ईवीएम हटाओ लोकतंत्र बचाओ’ जैसे नारे लिखे हुए थे. हाल में उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के दौरान भी ईवीएम में गड़बड़ी के मामले सामने आए थे. मतदाताओं का आरोप था कि ईवीएम में किसी भी पार्टी का बटन दबाने पर वोट भारतीय जनता पार्टी के खाते में जा रहा था. उनका कहना था कि हाथ के निशान और साइकिल के निशान का बटन दबाने पर कमल के निशान की बत्ती जलती थी. जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ये बात पता चली, तो उन्होंने बूथ के बाहर प्रदर्शन किया था. दोनों दलों के नेताओं ने इस बारे में प्रदेश के चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. उनका यह भी कहना था कि प्रशासन भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है. बहुजन समाज पार्टी इस मामले को लेकर अदालत पहुंच गई थी.

फ़िलहाल सियासी दल ईवीएम के ख़िलाफ़ देशभर में मुहिम चलाने की क़वायद में जुटे हैं. समाजवादी पार्टी ने सियासी दलों को एकजुट करने का फ़ैसला किया है, ताकि आगामी चुनाव ईवीएम की बजाय मतपत्र के ज़रिये कराने का दबाव बनाया जा सके. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव को लेकर जनता के मन में विश्वास होना चाहिए. ईवीएम को लेकर तमाम तरह की शंकाएं हैं,  इसलिए मतपत्र से मतदान होना चाहिए. ईवीएम से जनता का विश्वास खंडित हुआ है. चुनावों में कई जगह ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की शिकायतें आती रहती हैं. मतदान में कुल मतदाता संख्या और पड़े मतों में अंतर की भी काफ़ी शिकायतें होती हैं. यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत है. उनका यह भी कहना है कि आज देश में जिस एकाधिकारी राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल गुजरात में ईवीएम के ख़िलाफ़ मुहिम चलाए हुए हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर पैसे और बेईमानी से चुनाव जीतने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई है और यह हक़ीक़त है. उन्होंने कहा कि सूरत, राजकोट और अहमदाबाद में ईवीएम मशीनों में टेपरिंग हुई है, क्योंकि यहां हार और जीत का अंतर बेहद कम है. सूरत की वारछा रोड सीट पर एक लाख पटेल मतदाता हैं, लेकिन वहां रैली में इतनी भीड़ होने के बाद भी अगर हारे तो यह सवाल उठना जायज़ है कि ईवीएम में गड़बड़ी है. उनका यहां तक कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने इसलिए 99 सीटें जीतीं, ताकि कोई ईवीएम पर शंका न करे.उनका कहना है कि ईवीएम के ख़िलाफ़ उनका संघर्ष जारी रहेगा.  इस मुद्दे पर सभी विपक्षी दलों को एकसाथ खड़ा होना होगा.

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और गुजरात चुनाव के प्रभारी अशोक गहलोत ने भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे. उनका कहना था कि चुनाव आयोग पूरी तरह पीएम और पीएमओ के दबाव में काम कर रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग को बंधक बना लिया है. इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग के दफ़्तर के बाहर प्रदर्शन किया था.
ग़ौरतलब है कि इस साल के शुरू में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के वक़्त से ही बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भारतीय जनता पार्टी पर ईवीएम में छेड़छाड़ करने के आरोप लगा रही हैं. उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने ईवीएम में छेड़छाड़ करके ही विधानसभा चुनाव जीता है. उन्होंने राज्यसभा में ईवीएम से मतदान को बंद करने की मांग की थी.

पूर्व केंद्रीय मंत्री व जनता दल (यू)  के नेता शरद यादव का कहना है जब ईवीएम को लेकर जनता में भ्रम की स्थिति है, तो चुनाव आयोग आख़िर क्यों इस डिब्बे को गले लगाए बैठा है. दूसरी प्रणाली से चुनाव कराने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए. इस मामले में अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बनकर दुर्योधन को बचा रहा है. उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ियों की ख़बरों को लेकर शिवसेना ने भी भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था. पार्टी के मुखपत्र ’सामना’ में लिखा था कि उत्तर प्रदेश में जनता का ध्यान बांटने और ईवीएम में छेड़छाड़ के अलावा भाजपा के पास कोई चारा नहीं बचा है. पार्टी का आरोप था कि भाजपा उत्तर प्रदेश में डर्टी पॉलिटिक्स कर रही है. जहां ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती, वहां भाजपा कांग्रेस से पिट जाती है. चित्रकूट, मुरैना और सबलगढ़ इस बात का प्रमाण है.

बहरहाल, चुनाव आयोग ने गड़बड़ी पर सफ़ाई पेश की थी कि मशीन ख़राब है. लेकिन उसके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि मशीन ख़राब है, तो फिर सभी वोट किसी ’विशेष दल’ के खाते में ही क्यों जाते हैं?


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