फ़िरदौस ख़ान
युवा कवि आलोक मिश्र की कविताएं ज़िन्दगी के बेहद क़रीब हैं. अपनी कविताओं के बारे में आलोक जी कहते हैं- " जब भी मैं देखता हूं दुनिया को, वह मुझसे कुछ कहती है और जो कहती है वह मेरी कविता है.”
कवि आलोक मिश्र की कविताएं भाव प्रधान कविताएं हैं. पिछले दिनों नई दिल्ली की ग्रंथ अकादमी ने उनका काव्य संग्रह ’लखनपुर और अन्य कविताएं’ प्रकाशित किया है. 104 पृष्ठों के इस कविता संग्रह में कुल 54 कविताएं हैं. ये कविताएं ज़िन्दगी के सफ़र की तरह हैं, जिसमें रफ़्तार भी और ठहराव भी है. इन कविताओं में प्रेम भी है और वियोग भी है. कहीं मिलन की चाह है, तो कहीं टूटन है, बिखराव है और दरकते रिश्तों का दर्द है. कवि ने जहां राजनीति पर कटाक्ष किया है, वहीं प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य का भी बखूबी चित्रात्मक वर्णन किया है. कवि ने आज के दौर में बढ़ते अपराधों, सांप्रदायिकता और नफ़रतों पर चिंता ज़ाहिर करते हुए इनसे उपजे दर्द को अपनी कविताओं में समेटने की भी भरपूर कोशिश की है.
यह कहना क़तई ग़लत नहीं होगा कि ज़िन्दगी के तमाम दुखों और तकलीफ़ों के बावजूद इन कविताओं में उम्मीद की एक ऐसी किरण भी है, जो ज़िन्दगी के अंधेरे को मिटाने देने के लिए आतुर नज़र आती है. यह सूरज की रौशनी की एक ऐसी चाह है, जो हर तरफ़ सुबह का उजियारा बनकर बिखर जाना चाहती है. ये कविताएं पाठक को अपने साथ भावों की नदी में बहा ले जाना चाहती हैं. ऐसी ही एक कविता है-
लिखूंगा तुम्हारा नाम
और पढूंगा सिर्फ़ तुमको
क्योंकि
तुमको ज़बान से नहीं
नज़रों से और
प्रेम की भाषा में पढ़ा जा सकता है
काव्य सृजन के मामले में भी यह काव्य संग्रह उत्कृष्ट है. कविता की भाषा में रवानगी है. कवि ने कम से कम शब्दों में अपनी बात कही है. कविताओं में शिल्प सौंदर्य है. कवि ने अपनी भावनाओं को मार्मिक शब्दों और सुन्दर बिम्बों के माध्यम से उकेरा है. कविता में चिंतन और विचारों को सहज और सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिससे कविता का मर्म और अर्थ पाठक को सहजता से समझ में आ जाता है. पुस्तक का आवरण भी आकर्षक है. अलबत्ता काव्य प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा कविता संग्रह है.
समीक्ष्य कृति : लखनपुर और अन्य कविताएं
कवि : आलोक मिश्र
प्रकाशक : ग्रंथ प्रकाशन, नई दिल्ली
पेज : 104
मूल्य : 200 रुपये