कविता

Posted Star News Agency Sunday, October 30, 2022


पिता 
शाम काफ़ी हो चुकी है
पर अंधेरा नहीं हुआ है अभी
हमारे शहर में तो इस वक़्त 
रात का सा माहौल होता है
छोटे शहरों में शाम जल्दी घिर आती है
बड़े शहरों के बनिस्पत 
लोग घरों में जल्दी लौट आते हैं
जैसे पंछी अपने घोंसलों में

यह क्या है
जो मैं लिख रही हूं
शाम या रात के बारे में
जबकि मैं पढ़ने बैठी थी नाज़िम हिकमत को
कि अचानक याद आये मुझे मेरे पिता

आज वर्षों बाद
कुछ समय उनका साथ मिला
अक्सर हम इतने बड़े हो जाते हैं कि
पिता कहीं दूर छूट जाते हैं
पिता के मेरे साथ होने से ही 
वह क्षण महान हो जाता है

याद आता है मुझे मेरा बचपन
मैक्सिम गोर्की के बचपन की तरह
याद आते हैं मेरे पिता
और उनके साथ जीये हुए लम्हें
हालांकि उनका साथ उतना ही मिला
जितना कि सपने में मिल मिलते हैं
कभी कभार ख़ूबसूरत पल

उन्हें ज़्यादातर मैंने
जेल में ही देखा
अन्य क्रान्तिकारियों की तरह
मेरे पिता ने भी मुझसे सलाखों के उस पार से ही किया प्यार
उनसे मिलते हुए
पहले याद आती है जेल
फिर उसके पीछे लोहे की दीवार
उसके पीछे से पिता का मुस्कुराता हुआ चेहरा

वे दिन 
जब मैं छोटी थी
उनके पीछे पीछे भागती
 लगभग दौड़ती थी
जब मैं थक जाती
थाम लेती थी पिता की उंगलियां
उनके व्यक्तित्व में मैं ढली
उनसे मैंने चलना सीखा
चीते की तरह तेज़ चाल

आज वे मेरे साथ चल रहे हैं
साठ पार कर चुके मेरे मेरे पिता
कई बार मुझसे पीछे छूट जाते हैं

यह क्या
यह वही पिता है मेरा
साहसी और फुर्तीला
सोचते हुए मैं एकदम से रुक जाती हूं
क्या मेरे पिता बूढ़े हो रहे हैं 

आख़िर पिता बूढ़े क्यों हो जाते हैं
पिता! तुम्हें बूढ़ा नहीं होना चाहिए
ताकि दुनिया भर की सारी बेटियां
अपने पिता के साथ
दौड़ना सीख सके
दुनिया भर में...
-असीमा भट्ट 
*नाज़िम हिकमत : तुर्की के महान क्रांतिकारी और कवि
*मैक्सिम गोर्की : रुस के महान साहित्यकार


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

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