फ़िरदौस ख़ास 
पर्यटन भी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा है. कुछ लोग क़ुदरत की ख़ूबसूरती निहारने के लिए दूर-दराज़ के इलाक़ों में जाते हैं, तो कुछ लोगों को अक़ीदत इबादतगाहों और मज़ारों तक ले जाती है. पर्यटन रोज़गार का भी एक बड़ा साधन है. हमारे देश भारत में लाखों लोग पर्यटन से जुड़े हैं. यहां मज़हबी पर्यटन ख़ूब फल-फूल रहा है. हर साल विदेशों से लाखों लोग भारत भ्रमण के लिए आते हैं, जिनमें एक बड़ी तादाद धार्मिक स्थलों पर आने वाले ज़ायरीनों यानी पर्यटकों की होती है.  

देश की राजधानी दिल्ली में जामा मस्जिद पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है. यह मस्जिद लाल पत्थरों और संगमरमर से बनी हुई है. मुग़ल बादशाह शाहजहां ने इसे बनवाया था. इसके ख़ूबसूरत गुम्बद, शानदार मीनारें और हवादार झरोखे इसे बहुत ही दिलकश बनाते हैं. मस्जिद में उत्तर और दक्षिण के दरवाज़ों से दाख़िल हुआ जा सकता है. पूर्व का दरवाज़ा सिर्फ़ जुमे के दिन ही खुलता है. यह दरवाज़ा शाही परिवार के दाख़िले के लिए हुआ करता था. 

इसके अलावा ज़ायरीन दिल्ली में दरगाहों पर भी हाज़िरी लगाते हैं. यहां बहुत सी दरगाहें अक़ीदत का मर्कज़ हैं, ख़ासकर सूफ़ियाना सिलसिले से जुड़े लोग यहां अपनी अक़ीदत के फूल चढ़ाते हैं. यहां महबूबे-इलाही हज़रत शेख़ निजामुद्दीन औलिया और उनके प्यारे मुरीद हज़रत अमीर खुसरो साहब की मज़ारें हैं. ज़ायरीन हज़रत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत ख़्वाजा अब्दुल अज़ीज़ बिस्तामी, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह, हज़रत ख़्वाजा अलीअहमद एहरारी, हज़रत सैयद बदरुद्दीन शाह समरकंदी, हज़रत सैयद महमूद बहार, हज़रत सैयद सदरुद्दीन शाह, हज़रत सैयद आरिफ़ अली शाह, हज़रत सैयद अबुल कासिम सब्ज़वारी, हज़रत सैयद हसन रसूलनुमा, हज़रत सैयद शाह आलम, हज़रत मौलाना शेख़ जमाली और कमाली, हज़रत मौलाना फ़ख़रुद्दीन फ़ख़्र-ए-जहां, हज़रत मौलाना शेख़ मजदुद्दीन हाजी, हज़रत मौलाना नासेहुद्दीन, हज़रत शम्सुल आरफ़ीन तुर्कमान शाह, हज़रत शाह तुर्कमान बयाबानी सुहरवर्दी, हज़रत शाह सरमद शहीद, हज़रत शाह सादुल्लाह गुलशन, हज़रत शाह वलीउल्लाह, हज़रत शाह मुहम्मद आफ़ाक़, हज़रत शाह साबिर अली चिश्ती साबरी, हज़रत शेख़ सैयद जलालुद्दीन चिश्ती, हज़रत शेख़ कबीरुद्दीन औलिया, हज़रत शेख़ जैनुद्दीन अली, हज़रत शेख़ यूसुफ़ कत्ताल, हज़रत शेख़ नसीरुद्दीन महमूद चिराग़-ए-देहली, ख़लीफ़ा शेख़ चिराग़-ए-देहली, हज़रत शेख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल चिश्ती, हज़रत शेख़ नूरुद्दीन मलिक यारे-पर्रा, हज़रत शेख़ शम्सुद्दीन औता दुल्लाह, हज़रत शेख़ शहाबुद्दीन आशिक़उल्लाह, हज़रत शेख़ ज़ियाउद्दीन रूमी सुहरवर्दी, हज़रत मख़मूद शेख़ समाउद्दीन सुहरवर्दी, हज़रत शेख़ नजीबुद्दीन फ़िरदौसी, हज़रत शेख़ रुकनुद्दीन फ़िरदौसी, हज़रत शेख़ एमादुद्दीन इस्माईल फ़िरदौसी, हज़रत शेख़ उस्मान सय्याह, हज़रत शेख़ सलाहुद्दीन, हज़रत शेख़ अल्लामा कमालुद्दीन, हज़रत शेख़ बाबा फ़रीद (पोते), हज़रत शेख़ अलाउद्दीन, हज़रत शेख़ फ़रीदुद्दीन बुख़ारी, हज़रत शेख़ अब्दुलहक़ मुहद्दिस देहलवी, हज़रत शेख़ सुलेमान देहलवी, हज़रत शेख़ मुहम्मद चिश्ती साबरी, हज़रत मिर्ज़ा अब्दुल क़ादिर बेदिल, हज़रत शेख़ नूर मुहम्मद बदायूंनी, हज़रत शेख़ शाह कलीमुल्लाह, हज़रत शेख़ मुहम्मद फ़रहाद, हज़रत शेख़ मीर मुहम्मदी, हज़रत शेख़ हैदर, हज़रत क़ाज़ी शेख़ हमीदुद्दीन नागौरी, हज़रत अबूबकर तूसी हैदरी, हज़रत नासिरुद्दीन महमूद, हज़रत इमाम ज़ामिन, हज़रत हाफ़िज़ सादुल्लाह नक़्शबंदी, हज़रत शेख़ुल आलेमीन हाजी अताउल्लाह, हज़रत मिर्ज़ा मुल्लाह मज़हर जाने-जानां, हज़रत मीरानशाह नानू और शाह जलाल, हज़रत अब्दुस्सलाम फ़रीदी, हज़रत ख़ुदानुमा, हज़रत नूरनुमा और हज़रत मख़दूम रहमतुल्लाह अलैह की मज़ारों पर भी जाते हैं. यहां हज़रत बीबी हंबल साहिबा, हज़रत बीबी फ़ातिमा साम और हज़रत बीबी ज़ुलैख़ा की मज़ारें भी हैं, जहां महिला ज़ायरीन जाती हैं. यहां पंजा शरीफ़, शाहेमर्दां, क़दम शरीफ़ और चिल्लागाह पर भी ज़ायरीन हाज़िरी लगाते हैं. 

यूं तो हर रोज़ ही मज़ारों पर ज़ायरीनों की भीड़ होती है, लेकिन जुमेरात के दिन यहां का माहौल कुछ अलग ही होता है. क़व्वाल क़व्वालियां गाते हैं. दरगाह के अहाते में अगरबत्तियों की भीनी-भीनी महक और उनका आसमान की तरफ़ उठता सफ़ेद धुआं कितना भला लगता है. ज़ायरीनों के हाथों में फूलों और तबर्रुक की तबाक़ होते हैं. मज़ारों के चारों तरफ़ बनी जालियों के पास बैठी औरतें क़ुरान शरीफ़ की सूरतें पढ़ रही होती हैं. कोई औरत जालियों में मन्नत के धागे बांध रही होती है, तो कोई दुआएं मांग रही होती है. 

राजस्थान के अजमेर में ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह का मज़ार है. ख़्वाजा अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की औलादों में से हैं. ख़्वाजा की वजह से अजमेर को अजमेर शरीफ़ भी कहा जाता है. सूफ़ीवाद का चिश्तिया तरीक़ा हज़रत अबू इसहाक़ शामी ने ईरान के शहर चश्त में शुरू किया था. इसलिए इस तरीक़े या सिलसिले का नाम चिश्तिया पड़ गया. जब ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह हिन्दुस्तान आए, तो उन्होंने इसे दूर-दूर तक फैला दिया. हिन्दुस्तान के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी चिश्तिया सिलसिला ख़ूब फलफूल रहा है. दरअसल यह सिलसिला भी दूसरे सिलसिलों की तरह ही दुनियाभर में फैला हुआ है. यहां भी दुनियाभर से ज़ायरीन आते हैं.     

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में सैयद हाजी अली शाह बुख़ारी का मज़ार है. हाजी अली भी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की औलादों में से हैं. यह मज़ार मुम्बई के वर्ली तट के क़रीब एक टापू पर बनी मस्जिद के अन्दर है. सफ़ेद रंग की यह मस्जिद बहुत ही ख़ूबसूरत लगती है. मुख्य सड़क से मज़ार तक जाने के लिए एक पुल बना हुआ है. इसके दोनों तरफ़ समन्दर है. शाम के वक़्त समन्दर का पानी ऊपर आने लगता है और यह पुल पानी में डूब जाता है. सुबह होते ही पानी उतरने लगता है. यहां भी हिन्दुस्तान के कोने-कोने के अलावा दुनियाभर से ज़ायरीन आते हैं.

हरियाणा के पानीपत शहर में शेख़ शराफ़ुद्दीन बू अली क़लंदर का मज़ार है. यह मज़ार एक मक़बरे के अन्दर है, जो साढ़े सात सौ साल से भी ज़्यादा पुराना है. कहा जाता है कि शेख़ शराफ़ुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह ने लम्बे अरसे तक पानी में खड़े होकर इबादत की थी. जब उनकी इबादत क़ुबूल हुई, तो उन्हें बू अली का ख़िताब मिला. दुनिया में अब तक सिर्फ़ साढ़े तीन क़लन्दर हुए हैं. शेख़ शराफ़ुद्दीन बू अली क़लंदर, लाल शाहबाज़ क़लंदर और शम्स अली कलंदर. हज़रत राबिया बसरी भी क़लंदर हैं, लेकिन औरत होने की वजह से उन्हें आधा क़लंदर माना जाता है. बू अली क़लंदर रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार के क़रीब ही उनके मुरीद हज़रत मुबारक अली शाह का भी मज़ार है. यहां भी दूर-दूर से ज़ायरीन आते हैं.  

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले के देवा नामक क़स्बे में हाजी वारिस अली शाह का मज़ार है. आप अल्लाह के नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की औलादों में से हैं. उनके वालिद क़ुर्बान अल्ली शाह भी जाने-माने औलिया थे.     

उत्तर प्रदेश के ही कानपुर ज़िले के गांव मकनपुर में हज़रत बदीउद्दीन शाह ज़िन्दा क़ुतबुल मदार का मज़ार है. 
इनके बारे में कहा जाता है कि ये योगी दुर्वेश थे और अकसर योग के ज़रिये महीनों साधना में रहते थे. एक बार वह योग समाधि में ऐसे लीन हुए कि लम्बे अरसे से तक उठे नहीं. उनके मुरीदों ने समझा कि उनका विसाल हो गया है. उन्होंने हज़रत बदीउद्दीन शाह को दफ़न कर दिया. दफ़न होने के बाद उन्होंने सांस ली. उनके मुरीद यह देखकर हैरान रह गए कि वे ज़िन्दा हैं. वे क़ब्र खोदकर उन्हें निकालने वाले ही थे, तभी एक बुज़ुर्ग ने हज़रत बदीउद्दीन शाह से मुख़ातिब होकर कहा कि दम न मार यानी अब तुम ज़िन्दा ही दफ़न हो जाओ. फिर उस क़ब्र को ऐसे ही छोड़ दिया गया. इसलिए उन्हें ज़िन्दा पीर भी कहा जाता है. आपकी उम्र मुबारक तक़रीबन छह सौ साल थी.    

इनके अलावा देशभर में और भी औलियाओं की मज़ारें हैं, जहां दूर-दराज़ के इलाक़ों से ज़ायरीन आते हैं और सुकून हासिल करते हैं. 
(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में सम्पादक हैं)


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • डॉ. फ़िरदौस ख़ान - डॉ. फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं