गीत

Posted Star News Agency Saturday, July 12, 2025


बहेलिया रे बहेलिया रे, कहाँ बंद करी रे। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया। 

चिठिया चपठिया, सँदिसवा न हिचकियाँ। 
कगवा बिन सूनी, अटरिया पे सिसकियाँ। 
व्याकुल हैं सुनिवे को, कन्वा काँव-काँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया।-(1) 

बन  बन  गुहराये हमन, बस्तिन मा हेरा। 
बनि   के   बंजारा, डोले बेरा  कुबेरा। 
फलि गयीं छिलौरी तथा, फूलि गये पाँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया।-(2) 

चोरी    चपोरी   करी, और  हेरा  फेरी। 
मिलिवे  की  जुगत  करी, हमने बहुतेरी। 
साम, दाम, दण्ङ, भेद, चले  सबन दाँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया।-(3) 

हियरा   के   हौले  हौले, पटवा  हिलाते। 
जियरा   के  जौंरे  जौंरे, असना  लगाते। 
चूमते  निरन्तर  हम, तुमका  ठाँव  ठाँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया।-(4) 

सक्षम  यदि  होते, त्रिलोक से उङाई के। 
लयि आते हम तुमका, बन्धन तुङाई के। 
कल्पना   के  होते  कर, नैन, पंख, पाँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया।-(5) 

तुहरे  बिना  सगरी, निरर्थक  है  वन्दना। 
तुम  हीं से  हुई  है, सफल हमरी अर्चना। 
कुन्ज मा करीलन के, अँचरा की छाँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया।-(6) 

नेह  से  निहरिवे  में, बेङियाँ हों पाँव में। 
कबहूँ  ना   रहियौ, "बहार” ऐसे गाँव में। 
पूजा  है  प्रीत   चलैं, उङि के नन्द गाँव। 
हमर सोन चिरैया, कि हमर सोन चिरैया। (7) 
-बहार चिश्ती नियामतपुरी़


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