कुछ सीढ़ियों का है फ़ासला
वो मिल जाएगा
अपनी शुरुआत का एक सिरा
हाथों में थमा जायेगा
होंगी कुछ बातें हमारे बीच
हमारे आस-पास........
देखते-देखते
फिर होगा कुछ सीढ़ियों का फ़ासला
और वो मिल जाएगा
सिलसिला रुकेगा नहीं
बस हमें थोड़ा रुकना है
आंखों में विश्वास भरकर कहना है
'यह साल तुम्हें ढेरों खुशियां दे जाए'
-रश्मि प्रभा
सालगिरह
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आज हमारी ईद है, क्योंकि आज उनकी सालगिरह है. और महबूब की सालगिरह से बढ़कर कोई
त्यौहार नहीं होता.
अगर वो न होते, तो हम भी कहां होते. उनके दम से ही हमारी ज़...